-भगोड़े को भारत लाने की कोशिशों को झटका
नई दिल्ली। इंटरपोल ने भगोड़ा मेहुल चोकसी के खिलाफ जारी रेड नोटिस वापस ले ली है। घटनाक्रम से परिचित लोगों ने बताया कि हीरा कारोबारी के प्रतिनिधित्व के आधार पर यह फैसला लिया गया है। मालूम हो कि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के 2 अरब डॉलर के धोखाधड़ी मामले में चोकसी भारत में वांटेड है। दिसंबर 2018 में उसका नाम रेड नोटिस में जोड़ा गया था। इंटरपोल की वांटेड लिस्ट से चोकसी का नाम हटाने का भारत सरकार की ओर से जोरदार विरोध किया गया। हालांकि, ग्लोबल पॉलिसी बॉडी इससे सहमत नहीं हुई। उसने प्रथम दृष्टया भगोड़े के आरोप में विश्वास जताया कि भारतीय एजेंसियों ने उसका अपहरण करने का प्रयास किया था। भारत सरकार और 2 संघीय एजेंसियों- केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को इससे तगड़ा झटका लगा है। रेड नोटिस को हटाने का मतलब है कि मेहुल चोकसी एंटीगुआ और बरबुडा से बाहर भी यात्रा कर सकेगा, जहां कि उसे नागरिकता हासिल है। इंटरपोल ने अपने आदेश में कहा, ‘इस बात की विश्वसनीय संभावना है कि आवेदक का एंटीगुआ से डोमिनिका में अपहरण का प्रयास हुआ, जिसका अंतिम मकसद उसे भारत भेजना था। चोकसी अगर भारत लौटता है तो उसे फेयर ट्रायल या ट्रीटमेंट न मिलने का रिस्क है।’
चोकसी की ओर से दी गई दलील
इंटरपोल की कार्यवाही से परिचित लोगों ने बताया कि चोकसी ने अपने रेड नोटिस की समीक्षा के लिए पिछले साल ग्लोबल बॉडी से संपर्क किया था। इसे लेकर उसने एंटीगुआ और बारबुडा से अपने कथित अपहरण का हवाला दिया था। एक अधिकारी ने कहा, ‘हमारी ओर से (भारत) इंटरपोल में उसके आरोपों का जोरदार विरोध किया गया। हमने कहा कि अगर उसका रेड नोटिस हटाया गया तो वह एंटीगुआ से भाग सकता है जहां प्रत्यर्पण की कार्यवाही अहम चरण में है। इसके अलावा, वह कई मामलों में वांटेड है।’
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