अधिकारियाें ने हड़प लिए भू-अर्जन के 8.89 करोड़

जल संसाधन विभाग का कारनामा

कार्यपालन अभियंता सहित 4 के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध

जांच में जुटी पुलिस

अम्बिकापुर/ रामानुगंज। जल संसाधन सरंचनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए जारी की गई राशि का फर्जी भुगतान करने के मामले में कार्यपालन अभियंता एनसी सिंह की तहरीर पर रामानुगंज पुलिस ने तत्कालीन प्रभारी ईई सहित अन्य तीन आरोपियों के खिलाफ अपराधिक प्रकरण पंजीबद्ध कर मामले को जांच में लिया है।

शासन द्वारा पिछले वर्ष जल संसाधन संभाग क्रमांक 2 रामानुजगंज को जल संरचनाओं के लिए किए गए भू-अर्जन के मामलों में भुगतान के लिए 8 करोड़ 89 लाख रूपए का आबंटन जारी किया था। शासन ने विभिन्न अनियमितताओं के आरोप में तत्कालीन कार्यपालन अभियंता आरएस राम को निलंबित कर एसडीओ संजय कुमार ग्रायकर को प्रभारी कार्यपालन अभियंता का प्रभार सौंपा था। प्रभारी कार्यपालन अभियंता श्री ग्रायकर ने षड्यंत्रपूर्वक अन्य अधिकारी-कर्मचारियों के सहयोग से षड्यंत्रपूर्वक भू-अर्जन की राशि का फर्जी भुगतान कर दिया। खजाने की राशि चेक के माध्यम से रिश्तेदारों, दोस्तों एवं कर्मचारियों के खाते में जमा कर दी गई। इस बड़े घपले की जानकारी मिली तो मुख्य अभियंता ने प्रभारी कार्यपालन अभियंता संजय ग्रायकर, वरिष्ठ लेखा लिपिक मिथिलेश कुमार पांडेय, डाटा एंट्री ऑपरेटर संजय कुमार सिंह एवं संभागीय लेखा अधिकारी धीरज अभिषेक एक्का को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

शासन के निर्देश पर तत्कालीन मुख्य अभियंता कोतिम उइके, अधीक्षक अभियंता राजीव वर्मा, वरिष्ठ लेखा अधिकारी नंद किशोर वर्मा, सहायक अभियंता अरूण साय की चार सदस्य टीम ने मामले की जांच कर रिपोर्ट शासन को भेजी थी। रिपोर्ट पर शासन ने खजाने की राशि हड़पने वाले अधिकारी-कर्मचारियों के विरूद्ध अपराधिक प्रकरण दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। शासन के निर्देश के बावजूद पुलिस भ्रष्टाचार से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने के कारण मामले में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज नहीं कर रही थी। एक सप्ताह पूर्व शासन स्तर के अधिकारियों कलेक्टर, एसपी से चर्चा की तो शनिवार की देर शाम रामानुजगंज पुलिस ने मामले में विभिन्न धाराओं के तहत रिपोर्ट दर्ज की।

राशि व्यक्तिगत खातों में जमा

शासकीय राशि हड़पने के लिए विभाग के कार्यपालन अभियंता ने संबंधित तकनीकी कर्मचारियों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचकर तथा योर सेल्फ चेक के माध्यम से भू-अर्जन के करोड़ों रूपए रिश्तेदारों एवं दोस्तों के व्यक्तिगत खातों में जमा कर दिया। विभाग द्वारा खरीदी से संबंधित बिलों का भुगतान फर्म के खाते में किया जाता है। भुगतान के लिए बकायदा सामग्री के फर्जी बिलों का भी सहारा लिया गया है। शासन ने बिना किसी काम के शासकीय राशि हासिल करने वाले लोगों के विरूद्ध भी एफआईआर दर्ज कराने का निर्णय लिया है।

अधिकारियों ने जताई थी नाराजगी

करोड़ो रूपए के इस बड़े घोटाले में शासन के निर्देश के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं होने से वरिष्ठ अधिकारी कार्यपालन अभियंता सहित अधिकारियों से नाराज थे तथा कई बार खरी-खोटी सुना चुके थे। वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कलेक्टर एवं एसपी से चर्चा करने के बाद सोमवार को मामले में अपराध दर्ज किया गया।

की जा रही जांच

जांच रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन प्रभारी ईई सहित अन्य तीन आरोपियों के विरूद्ध मामला पंजीबद्ध किया गया है। मामले की जांच की जा रही है।

संतलाल आयाम, टीआई, रामानुजगंज

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