–ईडी ने 31 जनवरी 2023 तक तीन कानून के तहत की गई अपनी कार्रवाई का शेयर किया डेटा
-मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, भगौड़े आर्थिक अपराध के तहत दर्ज हैं मामले
- इन दिनों प्रवर्तन निदेशालय कर रहा कई बड़े नेताओं की जांच
 
नई दिल्ली। लालू यादव, मनीष सिसोदिया, सोनिया गांधी समेत देश के कई नेताओं पर चल रही जांच के बीच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, ईडी के पास दर्ज कुल मामलों में केवल 2.98% केस ही सांसदों और विधायकों से जुड़े हैं। इसमें पूर्व सांसद और पूर्व विधायक या जनप्रतिनिधि भी शामिल हैं। हैरानी की बात है कि ऐसे मामलों में 96 फीसदी आरोपी दोषी पाए गए हैं और उन्हें सजा मिली है। मतलब सांसद, विधायकों पर ईडी की जांच में कन्विक्शन रेट सबसे अधिक 96 फीसदी है। ईडी ने 31 जनवरी 2023 तक तीन कानून के तहत की गई अपनी कार्रवाई का डेटा शेयर किया है। इसमें मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट, भगौड़े आर्थिक अपराध के तहत दर्ज मामले शामिल हैं।
2005 से शुरू किया काम
ईडी ने पीएमएलए के प्रावधानों के तहत 2005 से काम करना शुरू किया। इसके तहत एजेंसी को जांच के दौरान अभियुक्तों को बुलाने, गिरफ्तार करने, उनकी संपत्ति कुर्क करने और अदालत के समक्ष अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का कानून अधिकार दिया गया है।
आर्थिक अपराध से जुड़ी 5906 शिकायतें
डेटा में कहा गया है कि ईडी ने आर्थिक अपराध से जुड़े अब तक कुल 5,906 शिकायतों को दर्ज किया है। इसमें 2.98 प्रतिशत यानी 176 मामले ही मौजूदा और पूर्व सांसदों, विधायकों और एमएलसी के खिलाफ दर्ज हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पीएमएलए के तहत अब तक कुल 1,142 अभियोजन शिकायतें या चार्जशीट दायर की गई हैं और इन ईसीआईआर और अभियोजन शिकायतों के तहत कुल 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
25 मामलों में सुनवाई पूरी
आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि तक पीएमएलए के तहत कुल 25 मामलों में सुनवाई पूरी हुई और इसके परिणामस्वरूप 24 मामलों में सजा हुई। एक मामले में दोषमुक्ति हुई। इन मामलों में धनशोधन रोधी कानून के तहत दोषी अभियुक्तों की संख्या 45 है। आंकड़ों के अनुसार दोषसिद्धि का प्रतिशत 96 प्रतिशत तक है।
इन दोषसिद्धियों के कारण 36.23 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की गई, जबकि अदालत ने दोषियों के खिलाफ 4.62 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया। विपक्षी दलों ने अक्सर ईडी की अपने स्तर के नेताओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए चुनने की आलोचना की है और कहा है कि एजेंसी की सजा की दर निराशाजनक है।
40 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क
पीएमएलए के निर्णायक प्राधिकरण ने 1,632 ऐसे कुर्की आदेशों (71,290 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति रखने वाले) की पुष्टि की, जबकि 260 (40,904 करोड़ रुपये मूल्य की कुर्की के तहत संपत्ति के साथ) पुष्टि के लिए लंबित थे। एजेंसी ने यह भी कहा कि उसने 15 लोगों के खिलाफ एफईओए की कार्यवाही शुरू की, जिनमें से नौ को अदालतों द्वारा अब तक भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) घोषित किया गया है और 2018 में लाए गए इस कानून के तहत कुर्क की गई संपत्ति 862.43 करोड़ आंकी गई है।
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