अखंड भारत: संघ प्रमुख भागवत के इस बयान के क्या हैं मायने, उलझन में भाजपा

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने 10-15 साल में भारत के अखंड राष्ट्र बनने की भविष्यवाणी कर दी है। उनकी अखंड भारत की परिकल्पना को संघ के जानकार महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की अखंड भारत की परिकल्पना से जोड़ रहे हैं। इसके मुताबिक अफगानिस्तान, भूटान, म्यांमार, तिब्बत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाईलैंड की भौगोलिक सीमाओं को मौजूदा भारत में शामिल करके अखंड भारत होगा। संघ प्रमुख की इस भविष्यवाणी पर जहां संघ के नेताओं को सही जवाब नहीं सूझ रहा है, वहीं शिवसेना के नेता संजय राउत ने संकेतों में कड़ा ताना मार दिया है। नागपुर से जुड़े संघ के नेता ने यह कहकर खामोशी उचित समझी कि वह संघ प्रमुख से समझकर तब बताएंगे।

लखनऊ में संघ के प्रचारक और संगठन को गहराई से समझने वाले अजय कुमार के मुताबिक उत्तराखंड के कनखल में संघ प्रमुख ने जिस अखंड भारत राष्ट्र की बात की है, वह महर्षि अरविंद और स्वामी विवेकानंद की परिकल्पना है। संघ प्रमुख ने अगले 10-15 साल में अखंड भारत राष्ट्र बनने तथा इसके रास्ते में आने वालों के मिट जाने की बात की है। अजय कुमार कहते हैं कि अखंड भारत की परिकल्पना हिमालय से पार और समुद्र पार तक की सीमा रेखाओं से है। इसमें मौजूदा भारत में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, थाईलैंड और तिब्बत तक शामिल हैं। हालांकि अजय कुमार ने कहा कि इसका गलत अर्थ न लगाएं।

क्या है संघ प्रमुख के कहने का मतलब?
संघ के प्रचारक अजय कुमार कहते हैं कि इसका मतलब यह कतई नहीं है कि अखंड भारत राष्ट्र की परिकल्पना में आने वाले मौजूदा भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, तिब्बत समेत अन्य देशों का संविधान एक होगा। इन सभी देशों की एक सेना, एक सीमा रेखा और एक राष्ट्राध्यक्ष होगा। सभी की संसद या विधायिका भी एक ही होगी। अजय कुमार ने इसकी व्याख्या करके बताया कि मोहन भागवत के अनुसार भारत धार्मिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, व्यापारिक तौर पर इतना विकास करेगा कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान, तिब्बत, बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार समेत सभी देशों में आवाजाही, मेलजोल, तालमेल, संबंध सब बहुत घनिष्ठ स्तर पर होंगे। देशों की बंद सीमाएं खुल जाएंगी और भारत सभी का मुख्य केंद्र बन जाएगा।

संघ प्रमुख की इस परिकल्पना और भविष्यवाणी पर भाजपा के एक नेता ने कहा कि उन्होंने स्थान, काल, पात्र को देखकर यह बात कही है। इसके संदर्भ को उन्होंने किस आधार पर लिया है, वह नहीं बता सकते। संघ के मुख्यालय में एक बड़े नेता से भी जब इस बारे में समझने की कोशिश हुई तो उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख प्रवास पर हैं। उनसे मिलकर ही इसे सही तरीके से समझा जा सकता है। सूत्र का कहना है कि उन्हें अखंड भारत राष्ट्र के बारे में यह वक्तव्य उचित और समीचीन प्रतीत हो रहा है।

शिवसेना के नेता संजय राउत का बयान चर्चा में
शिवसेना के नेता और प्रवक्ता संजय राउत का बयान काफी चर्चा में है। संजय राउत ने मोहन भागवत के वक्तव्य को हाथों-हाथ लिया। उन्होंने सुझाव भी दे दिया कि सबसे पहले पाक अधिकृत कश्मीर को भारत का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। इसके बाद सभी देशों को बारी-बारी से जोड़कर महा सत्ता बनाई जाए। उन्होंने वीर सावरकर को भारत रत्न देने की भी मांग की और कहा कि बाला साहब ठाकरे भी अखंड भारत के पक्षधर थे। संजय राउत ने एक बात और जोड़ी। उन्होंने कहा कि संघ प्रमुख को 15 साल में अखंड भारत की बजाय 15 दिन में इसे बनाने का वादा करना चाहिए। उनके इस बयान को संघ प्रमुख के वक्तव्य पर जोरदार तंज के रूप में भी लिया जा रहा है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए को समाप्त करने, पूर्ण राज्य का विशेष दर्जा वापस लेने तथा राज्य को तीन हिस्सों में केन्द्र शासित प्रदेश बनाने के विधेयक पर संसद में चर्चा के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने भी पीओके को भारत में शामिल करने का भरोसा दिया था।

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