नौ विपक्षी दलों के नेताओं की पीएम को चिट्ठी, कहा- सीबीआई-ईडी का हो रहा ‘दुरुपयोग’

—–शराब घोटाले में गिरफ्तार मनीष सिसोदिया का दिया ताजा उदाहरण, कहा- उनके खिलाफ आरोप बेबुनियाद

इंट्रो

विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को सरकारी एजेंसी के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए एक चिट्ठी लिखी है। पत्र लिखने वालों में 9 विपक्षी पार्टियों के नेता शामिल हैं। इस पत्र में उन्होंने दिल्ली शराब घोटाले में गिरफ्तार किए गए मनीष सिसोदिया का भी जिक्र किया है। चिट्ठी लिखने वालों में दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल का भी नाम शामिल है।


हैदराबाद। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, के चंद्रशेखर राव समेत नौ विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संयुक्त रूप से एक पत्र लिखकर विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का ‘खुल्लम खुल्ला दुरुपयोग’ किए जाने का आरोप लगाया है। इस पत्र पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार, नेशनल कांफ्रेंस (जम्मू-कश्मीर) के नेता फारूक अब्दुल्ला, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में कहा गया, विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों का खुल्लम-खुल्ला दुरुपयोग यह दर्शाता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में आ गए हैं। चुनावी मैदान के बाहर बदला लेने के लिए केंद्रीय एजेंसी और राज्यपाल जैसे संवैधानिक पदों का दुरुपयोग घोर निंदनीय है क्योंकि यह हमारे लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।

दिल्ली आबकारी नीति में अनियमितताओं को लेकर सीबीआई द्वारा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किए जाने का जिक्र करते हुए इन नेताओं ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता के खिलाफ लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार और एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा’ हैं। उन्होंने दावा किया कि सिसोदिया की गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए सिसोदिया को वैश्विक स्तर पर पहचाना जाता है। इन नेताओं ने कहा कि सिसोदिया की गिरफ्तारी को दुनिया भर में राजनीतिक प्रतिशोध के एक उदाहरण के रूप में उद्धृत किया जाएगा और इस घटना से दुनिया के इस संदेह की पुष्ट होती है कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को निरंकुश भाजपा शासन में खतरा’ है।

तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के राज्यपालों और दिल्ली के उपराज्यपाल की ओर इशारा करते हुए इन नेताओं ने इन कार्यालयों पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करने और अक्सर राज्य के शासन में बाधा डालने का आरोप लगाया। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेताओं शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय का उदाहरण देते हुए दावा किया कि जांच एजेंसी भाजपा में शामिल हुए पूर्व विपक्षी नेताओं के खिलाफ मामलों में धीमी गति से काम करती हैं।

विपक्ष को खत्म करने की कोशिश

पत्र में विपक्षी नेताओं ने लिखा है, सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर मोदी सरकार देश के विपक्ष को खत्म करने की कोशिश कर रही है। साजिश के तहत सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं पर ही सीबीआई-ईडी की रेड करवाई जा रही है। आज जिस तरह से पक्षपातपूर्ण तरीके से सरकारी एजेंसियां कार्रवाई कर रही है उससे देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ गया है।

इन नेताओं ने लिखा संयुक्त पत्र

  1. बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी
  2. दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल
  3. पंजाब के मुख्यमंत्री और आप नेता भगवंत मान
  4. तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस प्रमुख के चंद्रशेखर राव
  5. यूपी के पूर्व सीएम और सपा चीफ अखिलेश यादव
  6. बिहार के डिप्टी सीएम और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव
  7. एनसीपी चीफ शरद पवार
  8. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे
  9. जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला

3000 से ज्यादा जगहों पर ईडी की रेड

सीबीआई-ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए विपक्ष ने कहा कि 2014 से अब तक सीबीआई ने जितने भी मुकदमे दर्ज किए उसमें 95% सिर्फ विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ हुए। यूपीए के समय ईडी ने मात्र 112 जगहों पर रेड की थी, लेकिन मोदी सरकार के दौरान ईडी ने 3000 से ज्यादा जगहों पर रेड की है। अभी हाल ही में एक जानकारी सामने आई जिसमें बताया गया कि ईडी ने जितने भी मुकदमे दर्ज हुए उसमें कनविक्शन रेट मात्र 0.05% है। मतलब कोर्ट में लगभग मुकदमे फर्जी साबित हुए।

असम सीएम और शुभेंदु अधिकारी का नाम भी

पत्र में आगे लिखा गया कि 2014 के बाद से देश में केंद्रीय जांच एजेंसियों ने जितनी भी कार्रवाई की उनमें अधिकांश विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ ही थीं। जिन नेताओं ने बाद में बीजेपी का दामन था लिया उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। असम के मौजूदा सीएम हिमंत बिस्वा सरमा का उदाहरण देते हुए पत्र में कहा गया कि हिमंत विस्व सरमा के खिलाफ साल 2014 और 2015 में सारदा चिट फंड घोटाले में जांच की थी। यह जांच सीबीआई ने की थी। बीजेपी में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ जांच को आगे नहीं बढ़ाया गया। इसी तरह टीएमसी से भाजपा में आए शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय के खिलाफ चल रही नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में जांच भी बंद नहीं कर दी है।

राज्यपाल से हस्तक्षेप की चर्चा

विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में राज्यपाल के हस्तक्षेप की भी चर्चा की। विपक्षी दलों के नेताओं कहा कि केंद्र सरकार राज्यपाल के माध्यम से राज्य सरकार के रोजाना के कामकाज में दखल दे रही है। यह लोकतंत्र के लिए गलत संकेत है।

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