जम्मू। जम्मू-कश्मीर में पहली बार संपत्ति कर लागू कर दिया गया है। यह शहरी सीमा में आने वाले सभी भवनों आवासीय व व्यावसायिक दोनों पर लागू होगा। नगर निगम तथा शहरी निकाय सीमा में एक अप्रैल 2023 से यह आदेश प्रभावी होगा। पिछले काफी समय से इसकी कवायद चल रही थी। इस व्यवस्था से 78 नगर निकायों के भवन दायरे में आएंगे। इससे शहरी सुविधाएं विकसित करने में स्थानीय निकाय को सहूलियत होगी। नई व्यवस्था में सभी को अपनी संपत्ति का स्वयं मूल्यांकन करना होगा। इसके लिए सरकार ने फार्मूला तय किया है। संपत्ति के मूल्यांकन के आधार पर आवासीय भवनों के लिए अधिकतम पांच तथा व्यावसायिक भवनों के लिए छह प्रतिशत कर लगेगा। संपत्ति का मूल्यांकन पहले चरण में तीन साल के लिए एक अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2026 के लिए होगा। मूल्यांकन हो जाने के बाद यदि कोई नया भवन बनता है तो उसके कर की गणना संबंधित वर्ष के अनुरूप होगी।
30 मई तक जमा करना होगा संपत्ति कर
सरकार के आवास एवं शहरी विकास विभाग के आदेश के अनुसार किसी भी वित्तीय वर्ष में 30 मई तक संपत्ति कर जमा करना होगा। यदि दो किस्तों में संपत्ति कर जमा किया जा रहा हो तो 30 नवंबर तक दूसरी किस्त जमा करनी होगी। यदि कोई व्यक्ति समय पर संपत्ति कर जमा नहीं कर पाता है तो उस पर जुर्माने के रूप में 100 रुपये प्रति महीने या टैक्स का एक प्रतिशत, जो भी अधिकतम होगा, देय होगा। किसी भी हालत में जुर्माने की राशि एक हजार रुपये से अधिक नहीं होगी।
केंद्र व राज्य सरकार के भवनों को तीन फीसदी देना होगा सेवा कर
केंद्र सरकार तथा केंद्र शासित प्रदेश सरकार की ओर उपयोग में लाए जा रहे भवनों को भी संपत्ति कर से छूट दी गई है। लेकिन तीन फीसदी सेवा कर संबंधित नगर निकाय को देना होगा। यह राशि वित्तीय वर्ष के अनुरूप जमा करनी होगी। भवनों के निरीक्षण के लिए कम से कम 14 दिन का नोटिस देना होगा। दोबारा संपत्ति कर के मूल्यांकन के लिए कम से कम 21 दिन का नोटिस देना होगा।
खाली जमीन, मंदिर, मस्जिद गुरुद्वारे को संपत्ति कर से छूट
प्रदेश सरकार की ओर से खाली जमीन को संपत्ति कर से मुक्त रखा गया है। यदि कोई जमीन खाली छोड़ रखी गई हो जिस पर खेती होती है। नगर निकाय की सभी संपत्तियों, सभी धार्मिक स्थलों- मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च, जियारत आदि, श्मशान घाट व कब्रिस्तान को भी संपत्ति कर से मुक्त रखा गया है।
प्रतिनिधित्व के बिना कोई कर स्वीकार नहीं- उमर अब्दुल्ला
नेका उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि प्रतिनिधित्व के बिना कोई कराधान स्वीकार नहीं है। जम्मू कश्मीर में लोगों को प्रस्तावित संपत्ति कर सहित राज्य करों का भुगतान क्यों करना चाहिए, हमारी सरकार कैसे चल रही है, जम्मू कश्मीर के निर्णय लेने में हमारी कोई भूमिका नहीं है। हमसे राजभवन के सभी अन्यायपूर्ण निर्णयों के मूकदर्शक बने रहने की अपेक्षा की जाती है।
यह नया जम्मू-कश्मीर है – विकार रसूल
यह नया जम्मू-कश्मीर है प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष विकार रसूल वानी ने लोगों पर संपत्ति कर लगाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा यह नया जम्मू-कश्मीर है। जहां लोग पहले ही महंगाई, बेरोजगारी व शून्य व्यावसायिक गतिविधियों के कारण अपना घर चलाने में असमर्थ हैं। विकार रसूल, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस।
सदन की बैठक बुलाकर लागू करेंगे- मेयर
आने वाले तीन से चार दिनों में सदन की विशेष बैठक बुलाई जाएगी। सभी पार्षदों से इसे लागू करने पर राय ली जाएगी। गरीबों के हकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा और इसे लागू करवाया जाएगा। – राजिंदर शर्मा, मेयर, जम्मू।
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