रिपोर्ट्स का दावा, जंग में यूक्रेन से ज्यादा रूस के सैनिकों की हुई है मौत
-चार क्षेत्रों में कब्जा कर चुका है रूस
-दोनों देशों के बीच सुलह होने के कोई आसार नहीं
इंट्रो
रूस-यूक्रेन युद्ध को एक साल पूरे होने वाले हैं। 24 फरवरी 2022 से दोनों देशों के बीच भीषण जंग शुरू हुई थी। अभी भी ये जंग जारी है। दोनों में से कोई भी देश पीछे हटने को तैयार नहीं है। करीब आधा दर्जन क्षेत्रों पर रूस कब्जा कर चुका है। कई इलाकों को यूक्रेन ने वापस हासिल भी किया है। फिलहाल, रूस जहां लगातार हमले कर रहा है, वहीं नाटो के सहयोग से यूक्रेन का भी पलटवार जारी है। ऐसे हालात में आइए जानते हैं कि बीते एक साल में क्या हुआ? कितने लोगों की मौत हुई? तबाही का आलम क्या था…
नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध में मारे गए लोगों का कोई सटीक आंकड़ा तो नहीं है, लेकिन अलग-अलग रिपोर्ट्स के अनुसार, एक साल के अंदर पांच लाख से ज्यादा लोग दोनों तरफ से मारे जा चुके हैं। नॉर्वे चीफ ऑफ डिफेंस की रिपोर्ट के अनुसार, इस युद्ध में 22 जनवरी 2023 तक यूक्रेन के तीस हजार से ज्यादा आम लोग मारे जा चुके हैं। एक लाख बीस हजार से ज्यादा यूक्रेनियन जवान अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं, तमाम रिपोर्ट्स ये दावा करती हैं कि यूक्रेन से ज्यादा रूसी सैनिकों की मौत हुई है। अमेरिका के आंकड़े बताते हैं कि 24 फरवरी 2022 से 16 फरवरी 2023 तक दो लाख से ज्यादा रूसी सैनिक या तो मारे जा चुके हैं या फिर यूक्रेन में बंधक बनाए गए हैं। इसके अलावा करीब सात हजार से ज्यादा रूस का साथ देने वाले यूक्रेनियन अलगाववादी भी मारे जा चुके हैं। दोनों तरफ से दो लाख से ज्यादा जवान और नागरिक लापता हैं।
-44 विदेशियों की भी हुई मौत
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते 44 विदेशी नागरिकों की भी मौत हो चुकी है। एक भारतीय छात्र ने भी अपनी जान गंवा दी है। आंकड़े के अनुसार, सबसे ज्यादा ग्रीस के 12, अरबैजान के आठ नागरिकों ने इस युद्ध में जान गंवाई।
इन इलाकों पर कब्जा
रूस अब तक यूक्रेन के मैरियूपोल, दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहांस्क पर पूरी तरह से कब्जा कर चुका है। युद्ध के बाद रूस ने माइकोलाइव और खारकीव पर भी कब्जा कर लिया था। हालांकि, बाद में यूक्रेनी सेना ने रूस को जोरदार टक्कर देते हुए इन दोनों राज्यों पर वापस कब्जा जमा लिया।
दो तरफ से हमला
अभी भी कई राज्यों में रूस और यूक्रेन के बीच आक्रामक युद्ध जारी है। नए शहरों पर कब्जा करने के साथ-साथ रूसी सैनिक अपने इलाकों की रक्षा में जुटी यूक्रेनी सेनाओं पर तोप से गोले बरसा रहे हैं। रूस इस वक्त दो तरफ से उत्तर में आइजम और पश्चिम में सेवेरदोनेत्स्क से हमला कर रहा है।
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यूक्रेन की मदद को कई देशों ने बढ़ाया हाथ
रूसी हमले के विरोध में अमेरिका समेत दुनिया के कई देश यूक्रेन के साथ आ गए। अभी दुनिया के 80 से ज्यादा देशों से यूक्रेन को अलग-अलग तरह से मदद मिल रही है। इनमें 31 देश ऐसे हैं, जो यूक्रेन को घातक हथियार और मिसाइलें दे रहे हैं।
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युद्ध का दूसरे देशों पर असर युद्ध शुरू होने के कुछ दिन बाद ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमोडिटी की कीमतों में उछाल आई। कच्चा तेल 140 डॉलर प्रति बैरल के करीब जा पहुंचा जो 2008 के बाद कच्चे तेल के दामों का सबसे ऊंचा स्तर था। गैस के दामों से लेकर स्टील, एल्युमिनियम, निकेल से लेकर सभी कमोडिटी के दाम आसमान छूने लगे। इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर देखा गया। वैश्विक महंगाई आसमान छूने लगी। युद्ध के चलते सप्लाई चेन पूरी तरह से बाधित हो गई। यूक्रेन पर हमला बोलने के बाद अमेरिका और यूरोपीय देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया जिससे रूस को आर्थिक तौर से नुकसान पहुंचाया जा सके।
अब आगे क्या?
इसे समझने के लिए हमने विदेश मामलों के जानकार डॉ. आदित्य पटेल से बात की। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल दोनों देशों के बीच सुलह की कोई संभावना नहीं दिख रही है। रूस और यूक्रेन दोनों पीछे हटने को तैयार नहीं है। यूक्रेन को अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों का साथ मिल रहा है तो रूस भी अपने कदम पीछे नहीं हटाना चाहता है। ऐसे में युद्ध रुकने की फिलहाल कोई संभावना नहीं है।
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जब कीव पर हवाई हमले होने लगे
23 फरवरी 2022 की रात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन का एलान किया। चंद घंटे बाद यानी 24 फरवरी की तड़के सुबह अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव और आसपास के शहरों में हवाई हमले होने लगे। रूस के इस हमले से पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया। यूक्रेन का साथ देने के लिए नाटो सदस्य देश खड़े हो गए। अमेरिका, ब्रिटेन, पोलैंड, फ्रांस समेत कई देशों ने युद्ध से बाहर रहते हुए यूक्रेन को मदद पहुंचानी शुरू कर दी।
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अब छह साल के बच्चों को ही पहली कक्षा में दाखिला
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स्कूल में बदला नियम, शिक्षा मंत्रालय ने राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को दिए निर्देश
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नई दिल्ली। अब पहली कक्षा में छह साल से अधिक उम्र के बच्चों को दाखिला मिलेगा। शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को पहली कक्षा में प्रवेश के लिए आयु को एक समान 6+ वर्ष रखने को कहा है। शिक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 देश के लिए राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में ‘मूलभूत चरण’ में बच्चों की शिक्षा को मजबूत बनाने की सिफारिश करती है। मूलभूत चरण में 3 से 8 वर्ष के बीच सभी बच्चों के लिए 5 वर्ष का सीखने का अवसर शामिल है। इसमें 3 साल की स्कूल पूर्व शिक्षा और 2 साल की प्रारंभिक प्राथमिक कक्षा-1 और कक्षा-2 शामिल हैं।
मंत्रालय का कहना है कि यह केवल आंगनवाड़ियों या सरकारी/सरकारी सहायता प्राप्त, निजी और गैर-सरकारी संगठन द्वारा संचालित स्कूल पूर्व (प्री-स्कूल) केंद्रों में पढ़ने वाले सभी बच्चों के लिए तीन वर्ष की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करके ही किया जा सकता है। बयान के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग ने इस दृष्टि पर अमल करने के लिए 9 फरवरी 2023 के एक पत्र के माध्यम से सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासनों को प्रवेश के लिए अब आयु को समान रूप से 6+ वर्ष करने तथा 6+ वर्ष की आयु में पहली कक्षा में प्रवेश देने के निर्देशों को दोहराया है। इसके अनुसार, राज्य और केंद्रशासित प्रदेशों को यह सलाह भी दी गई है कि वे अपने यहां प्री-स्कूल शिक्षा में दो वर्षीय डिप्लोमा (डीपीएसई) पाठ्यक्रम तैयार करने और चलाने की प्रक्रिया प्रारंभ करें।
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पांच साल सीखने का अवसर
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार, मूलभूत चरण में सभी बच्चों (3 से 8 वर्ष के बीच) के लिए पांच साल सीखने का अवसर शामिल है। इसमें तीन साल की प्री- स्कूली शिक्षा और फिर कक्षा 01 और 02 शामिल हैं।
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राज्यों में भिन्न-भिन्न उम्र सीमा
असम, गुजरात, पुदुचेरी, तेलंगाना और लद्दाख में पांच साल के बच्चों का पहली कक्षा में दाखिला हो सकता है। वहीं, आंध्र प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, उत्तराखंड, हरियाणा, गोवा, झारखंड, कर्नाटक और केरल में कक्षा 1 में दाखिले की न्यूनतम उम्र पांच साल से अधिक है।
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बिगड़ रहा नामांकन का अनुपात
रिपोर्ट के अनुसार, पहली कक्षा में दाखिले की उम्र नई शिक्षा नीति के अनुसार नहीं होने के चलते विभिन्न राज्यों में शुद्ध नामांकन अनुपात की माप प्रभावित हो रही थी। रिपोर्ट के अनुसार, 28 मार्च 2022 को शिक्षा मंत्रालय ने लोकसभा को बताया कि इस विसंगति के कारण आयु-उपयुक्त कक्षाओं में बच्चों के नामांकन की गलत रिपोर्टिंग होती है।
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छत्तीसगढ़ में पांच साल है प्रवेश की उम्र
फिलहाल छत्तीसगढ़ में कक्षा पहली में प्रवेश की उम्र पांच साल है। पांच साल से अधिक उम्र के बच्चों को कक्षा पहली में प्रवेश दिया जाता है।
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