दूसरे माध्यम का इस्तेमाल कर होती राजनीति, 1984 की घटनाओं पर क्यों नहीं दिखी कोई डॉक्यूमेंट्री: जयशंकर’

-बीबीसी डॉक्यूमेंट पर देश में उठे विवाद के बीच बोले विदेश मंत्री जयशंकर

-मंगलवार को एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में कई मसलों पर रखी बात

हरिभूमि ब्यूरो.नई दिल्ली।

बीते दिनों आई ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन यानी बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री इंडिया: द मोदी क्वेश्चन पर मचे घमासान के बीच मंगलवार को विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने भी इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। जिसमें उन्होंने बेहद सधे हुए अंदाज में बीबीसी द्वारा इस डॉक्यूमेंट्री को सामने लाने की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि इसके जरिए किसी दूसरे माध्यम का इस्तेमाल कर राजनीति की जा रही है। आप किसी के मान सम्मान को धक्का पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं और कहते हैं कि ये सत्य के लिए एक केवल एक खोज है। जिसे हमने 20 साल बाद इस समय पर लाने का फैसला किया है। ये जानकारी विदेश मंत्री ने मंगलवार को एक न्यूज एजेंसी को दिए साक्षात्कार में दी है। जिसमें उन्होंने बीबीसी डॉक्यूमेंट्री से लेकर बीते आठ वर्षों में देश की विदेश नीति में आए महत्वपूर्ण बदलावों, एलएसी विवाद-कांग्रेस के सवाल और दुनिया के तमाम देशों से भारत के संबंधों जैसे विषयों पर बेबाकी से जवाब दिए। गौरतलब है कि बीबीसी की ये डॉक्यूमेंट्री 2002 में गुजरात में हुए दंगों पर आधारित है। जिस वक्त नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। भारत की तरफ से इसके सामने आने के तुरंत बाद ही इसके प्रसारण पर रोक लगा दी गई थी। साथ ही केंद्र सरकार ने इसे दुष्प्रचार का एक हिस्सा बताते हुए खारिज कर दिया था। भारत ने ये भी कहा था कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता की झलक स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है।

1984 की घटनाओं पर नहीं बनी कोई डॉक्यूमेंट्री

विदेश मंत्री ने कहा कि आपको क्या लगता है कि ये डॉक्यूमेंट्री अचानक आई है? मैं ये बताना चाहता हूं कि चुनाव का समय भले ही भारत और दिल्ली में शुरू हुआ हो या नहीं। लेकिन न्यूयॉर्क और लंदन में ये जरूर शुरू हो गया है। कई बार भारत में चल रही राजनीति बाहर से आई हुई होती है। जिसमें विचार और एजेंडा भी बाहरी होता है। उन्होंने सवाल पूछने वाले अंदाज में कहा कि आप डॉक्यूमेंट्री ही बनाना चाहते हैं तो दिल्ली में 1984 में भी बहुत कुछ हुआ था। हमें उस विषय पर कोई डॉक्यूमेंट्री देखने को क्यों नहीं मिली। यह केवल एक राजनीति है जो उन लोगों द्वारा की जा रही है। जिनमें राजनीतिक क्षेत्र में आने की कोई ताकत नहीं है। वे खुद को बचाने के लिए कहते हैं कि हम एक गैर सरकारी संगठन और मीडिया संगठन इत्यादि हैं। लेकिन असल में वे राजनीति कर रहे हैं।

चीन पर राहुल गांधी और कांग्रेस को घेरा

जयशंकर ने एलएसी विवाद के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा की जा रही सरकार की आलोचना से जुड़े एक प्रश्न के जवाब में कहा कि कभी कहा जाता है कि सरकार रक्षात्मक हो रही है, कभी उदार हो रही है। लेकिन मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि अगर हम उदार हो रहे हैं तो एलएसी पर सेना को किसने भेजा? राहुल गांधी ने एलएसी पर सेना नहीं भेजी। उसे नरेंद्र मोदी ने भेजा है। ये समझना काफी मुश्किल है कि जो राजनीतिक विचारधारा और पार्टियां देश के बाहर हैं। उससे मिलती-जुलती विचारधारा और पार्टियां देश के अंदर भी हैं और दोनों एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन ने 1962 में हमारी जमीन के एक टुकड़े पर कब्जा कर लिया था और विपक्ष अब 2023 में मोदी सरकार पर आरोप लगा रहा है कि चीन उस जमीन पर पुल बना रहा है। जिस पर उसने 1962 में कब्जा कर लिया था। सभी कहते हैं कि हमें सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण करना चाहिए। फिर आपने क्यों नहीं कराया? मोदी सरकार में बजट पांच गुना बढ़ा है। 2014 तक ये 3 से 4 हजार करोड़ था। आज ये 14 हजार करोड़ है। आज हमारी सरकार इसे लेकर गंभीर है।

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राहुल से भी सीखने को तैयार जयशंकर

चीन के मामले पर विदेश मंत्री को नसीहत देने को तैयार राहुल गांधी को जयशंकर ने कहा कि मैं सबसे लंबे समय तक चीन का राजदूत रहा और बॉर्डर मुद्दों को डील कर रहा था। मैं ये नहीं कहूंगा कि मुझे ही सबसे अधिक ज्ञान है। लेकिन इतना जरूर कहूंगा कि मुझे चीन के विषय पर काफी कुछ पता है। अगर राहुल गांधी को चीन पर ज्ञान होगा तो मैं उनसे भी सीखने के लिए तैयार हूं। पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति पर विदेश मंत्री ने कहा कि उसका भविष्य काफी हद तक उसकी कार्रवाई से तय होता है। कोई अचानक ऐसी कठिन परिस्थिति में नहीं पहुंचता और अब उन्हें इसके लिए खुद रास्ता खोजना है। आज हमारा संबंध वैसा नहीं है। जहां सीधे हम उस पर प्रासंगिक हो सकते हैं। पूर्व पीएम इंदिरा और राजीव गांधी का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि मेरे पिता सरकारी अधिकारी थे और 1979 में सरकार में सचिव बने थे। लेकिन उन्हें पद से हटा दिया गया था। 1980 में वे रक्षा उत्पादन सचिव थे। लेकिन जब इंदिरा गांधी दोबारा चुनकर आईं तो उन्होंने उन्हें पद से हटा दिया था। वे काफी ज्ञानी थे। शायद यही दिक्कत थी।

भारत का बढ़ा वैश्विक कद

उन्होंने कहा, आज हमारा वैश्विक स्तर बहुत ऊंचा है। अपनी सोच, अभियान और रणनीति को लागू करने को लेकर अब हम पहले की तुलना में काफी स्पष्ट हैं और ये होना भी चाहिए। यह हमारी विदेश नीति की सबसे बड़ी सफलता है। वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय मसलों पर दुनिया जानना चाहती है कि भारत का क्या विचार है? जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद से मुकाबला, कालाधन और सुरक्षा जैसे यह तमाम मामले कुछ भी हो सकते हैं। भारत ने विश्व को स्पष्टता के साथ ये दिखा दिया है हम अंतरराष्ट्रीय शक्ति हैं। इस समय पर हम बाकियों की तुलना में अन्य देशों के लिए काफी काम करने के लिए तैयार हैं। कोविड के समय हुई आलोचना को लेकर कहा कि जब हम कुछ करते हैं तो कहा जाता है कि क्यों कर रहे हो। लेकिन जब कुछ नहीं करते तो कहा जाता है कि क्यों नहीं कर रहे हो। राष्ट्रहित में हमारे अमेरिका और पश्चिम से अच्छे संबंध हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध का रूस से हमारे संबंधों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। चीन को छोड़कर बाकी सभी ताकतों से हमारे संबंध अच्छे हैं। चीन के साथ हमारे संबंध इसलिए अच्छे नहीं है क्योंकि उसने कई समझौते तोड़े हैं।

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