अरुणाचल को भारत के अभिन्न अंग के रूप में अमेरिका ने दी मान्यता, चीन को फटकार

विशेषज्ञ बोले, अरुणाचल को खुला समर्थन देकर यूएस ने भारत की तरफ दिखाई दोस्ती, चीन को उकसाया।

नई दिल्ली।

एलएसी विवाद और चीन के जासूसी गुब्बारों की दुनियाभर में मौजूदगी की खबरों के बीच अमेरिका ने एक असाधारण घटनाक्रम के तहत अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देते हुए चीन को कड़ी फटकार लगाई है। दरअसल बीते गुरुवार को अमेरिका की सीनेट में दो अमेरिकी सांसदों जेफ मर्कले और बिल हेगर्टी द्वारा इस बाबत एक द्विदलीय प्रस्ताव लाया गया है। जो कि इस बात की पुष्टि करता है कि अमेरिका मैकमोहन रेखा को चीन और भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के बीच में अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता देता है और चीन के उन तमाम दावों को नकारता है। जिसमें वो कहता है कि अरुणाचल प्रदेश उसका हिस्सा है। अमेरिका की सीनेट में इस प्रस्ताव को लाने वाले दो सांसदों में से एक जेफ मर्कले ओरेगन से डेमोक्रेटिक सीनेटर हैं और चीन पर बनी हुई अमेरिकी कांग्रेस के कार्यकारी आयोग के सह-अध्यक्ष भी हैं। वहीं बिल हेगर्टी अमेरिकी सीनेटर होने के अलावा जापान में अमेरिका के पूर्व राजदूत रह चुके हैं। दोनों ही विदेश समिति के सक्रिय सदस्य हैं। सीनेट में इस प्रस्ताव को लाने से पहले अमेरिका के इन दोनों सांसदों ने करीब छह वर्षों तक एलएसी और उसके पूर्वी क्षेत्र में भारत-चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद तक पूरे मामले को लेकर एक साथ मिलकर काम किया है।

दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है अरुणाचल: चीन

गौरतलब है कि अमेरिका की तरफ से अरुणाचल को लेकर पहले भी भारत के पक्ष में बयानबाजी की जा चुकी है। लेकिन ये पहला ऐसा मौका है जब यूएस सीनेट की तरफ से कोई प्रस्ताव लाकर अरुणाचल प्रदेश के मामले में भारत को स्पष्ट रूप से समर्थन देने के साथ ही चीन की आक्रामकता की तीखी आलोचना की गई है। ड्रैगन का अरुणाचल पर हमेशा से ही भारत विरोधी रुख रहा है। जिसमें वह अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा मानता है। जिसके चलते एलएसी के पूर्वी भाग में दोनों देशों की सेनाओं के बीच अक्सर टकराव की घटनाएं होती रहती हैं। वहीं रक्षा और विदेश मामलों के विशेषज्ञों का इस अमेरिकी प्रस्ताव पर कहना है कि एक तरफ ये भारत के लिए संतुष्टि की बात है कि उसे एलएसी, अरुणाचल के मुद्दे पर यूएस का खुला समर्थन मिला है। वहीं दूसरी तरफ उक्त प्रस्ताव अमेरिका की तरफ से चीन के लिए उकसाने वाला कदम माना जा सकता है।

यथास्थिति बदलने के चीनी रुख की निंदा की

प्रस्ताव में चीन के विस्तारवादी रवैये की कड़ी निंदा की गई है। इसमें ड्रैगन द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर यथास्थिति को एकतरफा ढंग से बदलने के लिए सैन्य बल का प्रयोग करना, विवादित क्षेत्रों में गांवों का निर्माण, शहरों के लिए मंदारिन भाषा के नामों के साथ मानचित्रों का प्रकाशन करना, भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश और भूटान में पीआरसी के क्षेत्रीय दावों के विस्तार की पुरजोर ढंग से आलोचना की गई है।

भारत सरकार की सराहना की

चीन की आक्रामकता और उससे उत्पन्न होने वाले सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर भारत सरकार की इस प्रस्ताव में सराहना की गई है। दूरसंचार अवसंरचना को सुरक्षित करना, इसकी खरीद प्रक्रियाओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं की जांच करना, निवेश स्क्रीनिंग को लागू करना, सार्वजनिक स्वास्थ्य और क्षेत्र में ताइवान के साथ अपने सहयोग का विस्तार करने जैसे कदमों को शामिल किया गया है।

दोनों सांसदों के तर्क

जेफ मर्कले ने प्रेस बयान में कहा कि स्वतंत्रता का समर्थन करने वाले अमेरिका के मूल्य और एक नियम आधारित आदेश दुनिया में हमारे सभी कार्यों और संबंधों के केंद्र में होना चाहिए। ये प्रस्ताव साफ कर देता है कि अमेरिका अरुणाचल को भारत का अभिन्न अंग मानता है ना कि चीन का। प्रस्ताव में अमेरिकी सरकार से सहयोगी देशों के साथ संबंधों को और अधिक मजबूत बनाने के लिए कहा गया है और चीन के आक्रामक रुख की आलोचना की गई है। सीनेटर बिल हेगर्टी ने कहा कि ऐसे समय में जब चीन हिंद-प्रशांत महासागर में लगातार खतरा बना हुआ है। तब अमेरिका को अपने रणनीतिक साझेदारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए। खासकर भारत के साथ। यूएस को भारत के साथ क्वाड में भी सहयोग बढ़ाना चाहिए। जिससे हिंद महासागर में खुली आवाजाही संपन्न हो सके।

विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत रहे वरिष्ठ राजनयिक अशोक सज्जनहार ने कहा कि अमेरिका की तरफ से अरुणाचल को लेकर पहले भी बयान दिए गए हैं। लेकिन ये पहली बार है जब खुली स्वेच्छा से यूएस सीनेट की तरफ से ऐसी कोई बात बतौर प्रस्ताव के रूप में सामने रखी गई है। यह भारत के लिए कूटनीतिक लिहाज से अच्छा और संतोषजनक है कि अरुणाचल प्रदेश और एलएसी पर चीन की आक्रामकता के मुद्दे पर अब उसे अमेरिका का खुला समर्थन मिल रहा है। सेना में पूर्व इंफेंट्री (महानिदेशक) रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी ने कहा कि अमेरिका का ये प्रस्ताव भारत को खुली दोस्ती के साथ समर्थन दिखाने और चीन को उकसाने के लिए लाया गया है। अब अमेरिका स्पष्ट रूप से अरुणाचल के मामले में चीन को दोषी मान रहा है। भारत को इस परिस्थिति में फिलहाल मौन रहना चाहिए। क्योंकि ये अमेरिका का नजरिया है। भारत अपनी क्षेत्रीय सुरक्षा को बरकरार रखने और द्विपक्षीय विवादों को अपने स्तर पर निपटाने में भी पूरी तरह से सक्षम है।

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