गुवाहटी। असम सरकार ने बाल विवाह को लेकर कड़ा रुख अख्तियार किया है। सरकार के आदेश पर लगातार गिरफ्तारियां की जा रही हैं। ऐसे में अब इस मामले पर गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में बड़ी संख्या में गिरफ्तारियों से लोगों के निजी जीवन में तबाही पैदा हो सकती है। अदालत ने कहा कि इस तरह ऐसे मामलों में अब आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की कोई जरूरत नहीं है। अदालत ने पॉक्सो जैसे कठोर कानून और बाल विवाह के आरोपियों पर रेप के आरोप लगाने के लिए असम सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि ये बेहद अजीब आरोप हैं। अग्रिम जमानत और अंतरिम जमानत के लिए आरोपियों के एक समूह की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुमन श्याम ने सभी याचिकाकर्ताओं को तत्काल प्रभाव से जमानत पर रिहा करने की मंजूरी दी। बता दें कि 14 फरवरी तक बाल विवाह के मामलों में अब तक 4225 मामले दर्ज हुए हैं जबकि 3031 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। यह कार्रवाई तीन फरवरी को शुरू हुई थी और उस समय 4004 एफआईआर दर्ज की गई थी। जज ने कहा कि यह हिरासत में पूछताछ का मामला नहीं है। आप कानून के अनुसार कार्यवाही कर रहे हैं। हमारे पास अब कहने को कुछ नहीं है। अगर आपको कोई दोषी मिलता है तो उसके खिलाफ चार्जशीट दायर करें. उस पर मुकदमा चलाएं और अगर उन्हें दोषी ठहराया जाएगा तो वे दोषी हैं। उन्होंने कहा कि ये नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंसेज (एनडीपीएस), स्मलिंग या संपत्ति की चोरी से जुड़ा हुआ मामला नहीं है। इन मामलों में गिरफ्तारियों से लोगों के निजी जीवन में तबाही आ सकती है। इन मामलों में बच्चे, परिवार के सदस्य और बुजुर्ग लोग जुड़े होते हैं। गिरफ्तारी बेशक कोई अच्छा आइडिया नहीं है। यह यकीनन बुरा विचार है।
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