आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बाजार में बादशाहत कायम करने के लिए दुनिया की दिग्गज टेक कंपनियों के बीच वर्चस्व की होड़ शुरू हो चुकी है। जहां एक ओर माइक्रोसॉफ्ट चैट जीपीटी का निर्माण करने वाले स्टार्टअप ओपनएआई के साथ खड़ा है वहीं दूसरी ओर गूगल भी एंथ्रोपिक को मदद देने की घोषणा के साथ गूगल एआई के भविष्य के बाजार में वर्चस्व बनाने के लिए ताल ठोक चुका है। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने चैटजीपीटी के प्रतिद्वंदी बार्ड नामक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संचालित चैटबॉट की घोषणा कर दी है। आइए जानते हैं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बाजार से जुड़े हालिया घटनाक्रम और उससे जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब।
हिंदी में बार्ड का क्या अर्थ है?
Bard का मतलब है ‘वह व्यक्ति जो शायरी या कविता लिख सकता हो यानी कवि हो’। बार्ड का तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है जो वीरों और उनके कामों पर छंदों की रचना और पाठ करने में कुशल होता है। गूगल ने अपने ग्राहकों के सवालों का सटीक जवाब देने के लिए बार्ड को विकसित किया है इस लिए इसे नाम दिया गया है बार्ड यानी कवि। अब गूगल का यह Bard सीधे-सीधे ओपनएआई की ओर से विकसित चैटजीपीटी को टक्कर देगा। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने एक ब्लॉग पोस्ट में इस परियोजना की घोषणा की, जिसमें बार्ड को प्रायोगिक संवादी AI सेवा बताया गया है यह उपयोगकर्ताओं के प्रश्नों का उत्तर देगा और उनसे बातचीत करेगा।
ब्लेक लिमोइन कौन थे और Bard से उनका क्या कनेक्शन है?
गूगल की ओर से बार्ड नामक जिस चैटबॉट की घोषणा की गई है वह लैम्डा नामक उसी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक से संचालित है जिसे गूगल के एक पूर्व कर्मचारी ब्लेक लिमोइन ने संवेदनशील करार दिया था। बता दें कि लैम्डा को विकसित करने का श्रेय लिमोइन को ही जाता है। उन्होंने लैम्डा के साथ अपनी चैट को सार्वजनिक करते हुए उसे संवेदनशील कहा था। इस दावे के बाद गूगल ने ब्लेक लिमोइन को नौकरी से निकाल दिया था।
एंथ्रोपिक में गूगल कितना निवेश कर रही है?
गूगल ओपनएआई के पूर्व कर्मचारियों की ओर से ही बनाई गई कम चर्चित कंपनी एंथ्रोपिक में निवेश का एलान कर चुका है। टेक मार्केट के जानकारों के मुताबिक अपने निवेश के बदले गूगल ने एथ्रोपिक में 10 फीसदी हिस्सेदारी हासिल करने का समझौता किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस समझौते के तहत गूगल एंथ्रोपिक में 400 मिलियन डॉलर (करीब 32 अरब रुपये) का निवेश करेगी। गूगल ने एंथ्रोपिक से साझेदारी की बात तो मानी है पर इस बात का साफ तौर पर खुलासा नहीं किया है कि आईटी कंपनी नए नवेले एआई स्टार्टअप में कितना निवेश कर रही है? फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 के अंत में गूगल ने चैटजीपीटी की दर्ज पर शुरू किए गए एआई स्टार्टअप में दस फीसदी हिस्सेदारी के बदले 300 (करीब 24 अरब रुपये) मिलियन निवेश किया है। उसके बाद बीते हफ्ते एंथ्रोपिक ने घोषणा की है कि वह क्लाउड सेवाओं के लिए गूगल की मदद ले रहा है वह गूगल के साथ मिलकर एआई कम्प्यूटिंग सिस्टम विकासित कर रहा है।
क्या माइक्रोसॉफ्ट-ओपनएआई जैसा है गूगल-एंथ्रोपिक का संबंध?
इस सवाल का जवाब है हां। गूगल और एंथ्रोपिक की साझेदारी लगभग उसी तरह की है जो माइक्रोसॉफ्ट और चैटजीपीटी के निर्माता ओपनएआई के बीच है। जहां एक ओर ओपनएआई अपनी रिसर्च विशेषज्ञता मुहैया करा रहा है तो दूसरी ओर माइक्रोसॉफ्ट चैटजीपीटी के विकास के लिए अरबों के डॉलर के निवेश के साथ ओपनएआई को अपने विशाल क्लाउड प्लेटफॉर्म तक पहुंच उपलब्ध करा रहा है। ये क्लाउड सुविधाएं एआई आधारित स्टार्टअप को सफल बनाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। गूगल की ओर से एंथ्रोपिक में निवेश की इस खबर से कुछ हफ्तों पहले ही माइक्रोसॉफ्ट ने ओपनएआई में 10 अरब डॉलर के निवेश की बात कही थी।
क्या एंथ्रोपिक भी कोई एआई चैटबॉट विकसित कर रहा है?
हां, यह गौर करने वाली बात है कि एंथ्रोपिक भी Claude नाम का एक चैटबॉट विकसित कर रहा है जो निकट भविष्य में चर्चित चैट जीपीटी का प्रतिद्वंदी साबित हो सकता है। हालांकि यह अब तक साफ नहीं है कि क्या गूगल भी अपने प्लेफॉर्म्स पर Claude का उसी तरह इस्तेमाल करेगा जैसा माइक्रोसॉफ्ट चैट जीपीटी का करने की तैयारी कर रहा है। गूगल अपने स्तर से भी एआई से जुड़ी कई परियाजनाओं पर काम कर रहा है। छंटनियों के बावजूद इन परियोजाओं पर बड़ा निवेश किया गया है।
एंथ्रोपिक की स्थापना किसने की, इसका ओपनएआई से क्या कनेक्शन है?
एंथ्रोपिक के बनने की कहानी भी बहुत दिलचस्प है। इसकी स्थापना वर्ष 2021 में पब्लिक बैनेफिट कॉरपोरेशन के रूप में दारियो अमोदेई ने की थी। वे पूर्व में ओपन एआई के रिसर्च सेगमेंट के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। एफटी के अनुसार अमोदेई ने जब ओपन एआई को अलविदा कहा अपने साथ कई इंजीनियर्स को ले गए उनमें एआई लैंग्वेज मॉडल विकसित करने वाले जीपीटी-3 के प्रमुख इंजीनियर टॉम ब्राउन भी शामिल थे। अमोदेई का ओपन एआई से विवाद वर्ष 2019 में माइक्रोसॉफ्ट के साथ हुई स्टार्टअप की पहली डील के बाद शुरू हुआ। वे कंपनी में बढ़ते कमर्शियल फोकस से सहमत नहीं थे। उनका मानना था कि ओपनएआई नाम के जिस विचार की शुरुआत की गई थी भटक रहा है। अब ओपनएआई ‘ओपन’ ना रहकर एक कंपनी का नाम भर रह गया है।
माइक्रोसॉफ्ट समर्थित ओपनएआई की आलाेचना क्यों हुई?
ओपनएआई अपने बढ़ते कमर्शियल रुख के कारण कई एक आई रिसर्चर्स के निशाने पर रहा है। कई एआई शोधकर्ताओं ने ओपनएआई पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए उसकी आलोचना की है। विशेष रूप से पिछले साल के अंत में सार्वजनिक वेब पर चैटजीपीटी की लॉन्चिंग के बाद उसे और अधिक आलोचना का शिकार होना पड़ा है। एआई क्षेत्र के शोधकर्ताओं का मानना है कि बिना उचित सुरक्षा उपायों या सॉफ्टवेयर क्षमताओं के साथ इसे लॉन्च कर दिया गया है। दूसरी ओर, एंथ्रोपिक (अब गूगल से समर्थित) अपने वेबसाइट पर एआई से संबंधित अपने कार्यों को विश्वसनीय और व्याख्यात्मक करार देते हुए स्टीयरेबल एआई सिस्टम विकसित करने पर जोर देता है। हालांकि यह अब तक साफ नहीं है कि गूगल के निवेश से एंथ्रोपिक के इन प्राथमिकताओं में बदलाव आएंगे या नहीं?
एंथ्रोपिक और क्रिप्टोएक्सचेंज FTX का क्या कनेक्शन है?
एंथ्रोपिक अपनी स्थापना के एक साल के भीतर पहली बार तब चर्चा में आया जब उसने अचानक 580 मिलियन डॉलर की फंडिग मिलने की घोषणा की। फंडिंग की इस राशि में से अधिकतर निवेश सैम बैंकमैन फ्राईड का था। ये वही फ्राईड हैं जिन्होंने क्रिप्टो करेंसी एक्सचेंज FTX के पतन के बाद दिवालिया हो गए। उन्हें इस मामले में गिरफ्तार भी किया गया था। बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का वैश्विक बाजार में क्या भविष्य है?
ग्लोबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का बाजार दिन दुना रात चौगुना की गति से बढ़ रहा है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा समेत सभी प्रमुख आईटी कंपनियांस इस बाजार में दखल की होड़ में शामिल हो चुकी हैं। वर्ष 2021 के आंकड़ों के अनुसार उस साल इस क्षेत्र को 66.8 बिलियन डॉलर की फंडिंग हासिल हुए। इस दौरान रिकॉर्ड रूप से 65 एआई कंपनियों का मार्केट कैप 1 बिलियन डॉलर से अधिक रहा। वर्ष 2020 की तुलना में इसमें 442 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। हर साल बड़ी संख्या में कंपनियां और सरकारें एआई आधारित तकनीकों में निवेश कर रही हैं।
भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बाजार की क्या स्थिति है?
अकेले भारत में ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बाजार का 2025 तक 7.8 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इंटरनेशनल डेटा कॉरपोरेशन (IDC) की कुछ समय पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार एआई मार्केट हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर और सेवा बाजारों को कवर करते हुए 20.2 प्रतिशत की सीएजीआर (Compound Annual Growth Rate) से बढ़ रहा है। IDC के अनुसार भारत में AI का कारोबार अगले पांच वर्षो में बहुत तेजी से बढ़ सकता है।
000000

