मुंबई में हिंदू जन आक्रोश रैली 5 को
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को हेट स्पीट को लेकर एक अहम टिप्पणी की। शीर्ष न्यायालय ने मुंबई में हिंदू जन आक्रोश रैली निकालने को लेकर कहा कि इसकी अनुमति तभी दी जाएगी जब हेट स्पीच न होने की गारंटी मिलेगी। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि अगर 5 फरवरी को मुंबई में हिंदू जन आक्रोश रैली की अनुमति दी जाती है तो इसमें कोई अभद्र भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई के दौरान वचन दिया कि नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने भी इस कार्यक्रम को रोकने की मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पूर्व-सेंसरशिप के समान होगा।
रैली की वीडियो रिकार्डिंग का निर्देश
जस्टिस केएम जोसेफ और जेबी पर्दीवाला की पीठ ने निर्देश दिया कि यदि कार्यक्रम आयोजित होने जा रहा है तो यह इस शर्त के अधीन होगा कि कोई भी अभद्र भाषा नहीं बोलेगा और कानून की अवहेलना नहीं करेगा। पीठ ने इसी के साथ महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि हेट स्पीच की घटना न हो इसको देखने के लिए पुलिस द्वारा वीडियो रिकॉर्डिंग हो और इसकी सामग्री अदालत को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
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उत्तराखंड जैसी घटना नहीं होने दे सकते
सॉलिसिटर जनरल के सवाल पर न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा कि उत्तराखंड में जो हेट स्पीच हुई और फिर राज्य सरकार ने कार्रवाई की, यह सबने देखा। इसलिए जो कुछ हुआ उसको हम दौबारा होने की अनुमति नहीं दे सकते।
यह है पूरा मामला
बता दें कि हेट स्पीच की घटनाओं को देखते हुए इस रैली को अनुमति न देने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने तर्क दिया कि 29 जुलाई को हुई एक बैठक के दौरान, सत्ता पक्ष के एक सांसद सहित प्रतिभागियों द्वारा हेट स्पीच दी गई थी। सिब्बल ने कहा कि अगली रैली की अनुमति देने का निर्णय लेने से पहले इन कारकों पर विचार किया जाना चाहिए। याचिका में राज्य के अधिकारियों को कार्रवाई करने और मुंबई में 5 फरवरी को होने वाली रैली की अनुमति नहीं देने का निर्देश देने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मंच का इस्तेमाल समुदायों के बीच नफरत फैलाने के लिए किया जाएगा।
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