शिष्या को 10 साल बाद मिला इंसाफ, रेप के दोषी आसाराम को उम्रकैद

—अदालत ने 2013 में दर्ज दुष्कर्म के मामले में सुनाई सजा

— 50 हजार का जुर्माना भी, हाईकोर्ट में चुनौती देगा आसाराम


अहमदाबाद। गांधीनगर की एक अदालत ने मंगलवार को स्वयंभू बाबा आसाराम को 2013 में एक पूर्व महिला शिष्या द्वारा दायर बलात्कार के एक मामले में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अभियोजन पक्ष ने आसाराम को ‘आदतन अपराधी’ बताते हुए सख्त सजा की मांग की थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डी.के.सोनी ने आसाराम पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। जुर्माने से प्राप्त राशि पीड़िता को दी जाएगी। वहीं बचाव पक्ष ने कहा कि वह इस फैसले को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती देगा। वर्तमान में जोधपुर जेल में बंद 81 वर्षीय आसाराम 2013 में राजस्थान में अपने आश्रम में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। मंगलवार को गांधीनगर की अदालत में आसाराम की वीड़ियो कांफ्रेंस के जरिए अदालत पेशी हुई और इस दौरान न्यायाधीश ने फैसला सुनाया। एक दिन पहले अदालत ने आसाराम को सूरत की महिला शिष्या के साथ वर्ष 2001 से वर्ष 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म करने के आरोप में वर्ष 2013 में दर्ज मामले में दोषी करार दिया था। महिला शिष्या के साथ दुष्कर्म की घटना तब हुई थी जब वह आसाराम के अहमदाबाद के मोंटेरा आश्रम में रह रही थी। अभियोजन पक्ष ने बताया कि अपराध में साथ देने और उकसाने के मामले में अदालत ने आसाराम की पत्नी लक्ष्मीबेन, उसकी बेटी और चार अन्य शिष्यों सहित कुछ छह लोगों को सबूतों के अभाव में आरोप मुक्त कर दिया। विशेष लोक अभियोजक आरसी कोडेकर ने बताया, अदालत ने मंगलवार को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(सी) (दुष्कर्म) और धारा- 377 (अप्राकृतिक अपराध) के तहत दोषी ठहराया। न्यायाधीश ने 50 हजार रुपये की जुर्माना राशि पीड़िता को देने का आदेश दिया। बाकी धाराओं में एक साल की सजा सुनाई गई और उसपर मामूली जुर्माना लगाया गया। उन्होंने बताया कि अदालत ने आसाराम को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(सी) और 377 के अलावा धारा- 342 (अवैध तरीके से बंधक बनाना), 354 (महिला की सुचिता को भंग करने के लिए आपराधिक बल प्रयोग), धारा-357 (हमला) और धारा- 506 (आपराधिक धमकी) के तहत भी दोषी करार दिया। एक दिन पहले अदालत में जिरह पूरी होने के बाद अदालत परिसर के बाहर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कोडेकर ने कहा था, जिस मामले में अदालत ने आसाराम को दोषी ठहराया है, उसमें उम्रकैद या 10 साल कारावास सजा का प्रावधान है, लेकिन हमने तर्क दिया है कि वह पहले ही जोधपुर में इसी तरह के मामले में दोषी करार दिया जा चुका है, इसलिए वह आदतन अपराधी है।

अभियोजन पक्ष ने बताया ‘आदतन अपराधी’

अभियोजन पक्ष ने आसाराम को ‘आदतन अपराधी’ बताते हुए उम्रकैद देने की मांग की थी और तर्क दिया था कि जोधपुर के अपने आश्रम में एक लड़की से दुष्कर्म करने के मामले में वह दोषी करार दिया गया है और जेल की सजा काट रहा है। उम्र कैद की सजा का विरोध करते हुए बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि अगर आसाराम को 10 साल कारावास की सजा होती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।


बंद कमरे में हुई सुनवाई

पूरे मामले की सुनवाई बंद कमरे में हुई। अभियोजन पक्ष ने अदालत से मांग की है कि आसाराम ने जिस तरह से पीड़िता को बंधक बनाया, उसके साथ दुष्कर्म और कुकर्म किया और आश्रम में रहने को मजबूर किया उसके आधार पर उसे सख्त सजा दी जानी चाहिए।

22 साल पुराना केस

10 साल से जेल में बंद आसाराम के खिलाफ दुष्कर्म का यह मामला 22 साल पुराना है। महिला के साथ अहमदाबाद शहर के बाहर बने आश्रम में 2001 से 2006 के बीच कई बार दुष्कर्म किया गया। महिला तब आसाराम के आश्रम में थी। अक्टूबर 2013 में अहमदाबाद के चांदखेड़ा थाने में एफआईआर दर्ज हुई थी। मामले में पुलिस ने जुलाई 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने रेप के आरोपी को किया बरी, खत्म की 10 साल की सजा

रेप केस के एक आरोपी को मिली 10 साल की सजा खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि शादी करने का वादा तोड़ने के हर मामले को रेप के तौर पर नहीं देखा जा सकता। जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी की बेंच ने कहा, ‘कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि आरोपी ने भले ही शादी का वादा किया हो, लेकिन कुछ परिस्थितियों के चलते उसे इनकार करना पड़ा हो। ऐसे में वादा तोड़ने को रेप केस ही नहीं माना जा सकता। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने ट्रायल कोर्ट की ओर से शख्स को सुनाई गई 10 साल की कैद की सजा को माफ कर दिया। दरअसल इस मामले में आरोपी के एक विवाहित महिला के साथ संबंध थे, जिसके पहले से ही तीन बच्चे थे। आरोपी और महिला पड़ोस में ही किराये पर रहते थे और दोनों के बीच संबंध बन गए। इस रिश्ते से एक बच्चे का भी जन्म हुआ। महिला कुछ वक्त बाद उस शख्स के गांव गई तो पता चला कि वह पहले से ही शादीशुदा है और बच्चे हैं। इसके बाद भी वह महिला एक अलग घर में उसके साथ रहती रही। 2014 में महिला ने अपने पति से आपसी सहमति से तलाक ले लिया और बच्चों को भी छोड़कर चली गई। हालांकि एक साल बाद ही 2015 में उसने आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। महिला ने कहा कि मैंने शादी का वादा किए जाने पर सेक्शुअल रिलेशन बनाए थे। इसलिए यह रेप का मामला है। इसी पर अदालत ने आरोपी को 10 साल कैद की सजा सुनाई थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कहा है, आरोप लगाने वाली महिला शादी शुदा थी और तीन बच्चों की मांग थी। वह पूरी तरह से परिपक्व थी और उसे मालूम था कि इस तरह के रिश्ते में जाने का क्या अंजाम हो सकता है। यदि आरोपी के साथ महिला के रिश्तों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि उसने अपने पति और तीन बच्चों को ही धोखा दिया था।

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