एलएसी पर भारत की चौकस तैयारी, 135 किमी लंबी लद्दाख रोड पर शुरू हुआ काम

-रणनीतिक रूप से अहम चुशुल और डेमचोक को जोड़ेगी यह सड़क

  • चीन की बढ़ेगी सिरदर्दी, पूर्वी लद्दाख पर हिंदुस्तान की स्थिति होगी मजबूत

(फोटो : रोड)

नई दिल्ली। भारतीय सीमाओं को लेकर चीन का रवैया कभी भरोसे के लायक नहीं रहा। समय-समय पर चीन ऐसी हरकत जरूर करता है, जिससे उसकी ही कलई खुल जाती है। हालांकि, बीते कुछ वर्षों ने भारत के आक्रामक रुख ने चीन को कई मौकों पर पीछे धकेलने का काम किया है। अब भारतीय सेना ने सीमाओं की निगेहबानी के लिए पूर्वी लद्दाख में एलएसी (एलएसी) के पास एक और सड़क का निर्माण शुरू कर दिया है, जो चीनी सरकार के लिए सिरदर्द बन गई है। दरअसल, सीमा सड़क संगठन ने एलएसी के पास 135 किलोमीटर लंबी सड़क निर्माण का काम शुरू कर दिया है। यह सड़क चुशुल और डेमचोक को जोड़ेगी, ये दोनों ही जगह रणनीतिक रूप से भारत के लिए महत्वपूर्ण हैं। अनुमान है कि अगले दो साल में यह सड़क बनकर तैयार हो जाएगी और कई प्रमुख लोकेशन को जोड़ने में मदद करेगी।

सैनिकों की आवाजाही होगी आसान

यह सड़क भारत के लिए रणनीतिक रूप से बहुत अहम है। सड़क सैनिकों के लिए आवाजाही और हथियारों की पहुंच के लिए तो महत्वपूर्ण है ही साथ में यह डुंगती में तिब्बती शरणार्थी बस्ती, आईटीबीपी हेना पोस्ट और फुकचे में अग्रिम लैंडिंग ग्राउंड तक भी तेजी से पहुंच प्रदान करेगी। अभी तक यह रास्ता रेतीला था, जिस पर सड़क बनाने की मांग कई सालों से उठ रही थी। वहीं चीन की ओर से इस सेक्टर में काफी काम किया जा चुका है।

74.5 मीटर इस सड़क पर बनेंगे तीन अहम ब्रिज

इस नैशनल हाइवे पर तीन महत्वपूर्ण पुलों का भी निर्माण किया जाएगा। सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ ने 2018 में ही इस सड़क मार्ग को लेकर विस्तार परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली थी। 23 जनवरी को बीआरओ ने चुशुल-दुंगती-फुकचे-देमचोक राजमार्ग जिसे सरल भाषा में सीडीएफडी सड़क के नाम से भी जाना जाता है के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की थीं। उसके बाद अब चीन को जवाब देने के लिए राजमार्ग बनाने की प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है।

चुशुल और देमचोक

असल में चुशुल वही इलाका है जहां साल 1962 में रेजांग ला की लडाई लड़ी गई थी। वहीं देमचोक की बात करें तो यह भी भारत और चीन की झड़पों का गवाह रहा है। प्लानिंग यह भी है कि इस नई वाली सड़क की मदद से भारतीय सेना के उपकरणों और दल को जल्द से जल्द पहुंचाया जा सकेगा। इसके अलावा इस एरिया को एक सर्किट में बदलकर यहां पर्यटन को विकसित करने में मदद मिलेगी।

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