गे वकील को जज बनाने की सिफारिश; केंद्र ने ठुकराया प्रस्ताव, कॉलेजियम ने जताई आपत्ति

लीड …….. जजों की नियुक्ति पर फिर तकरार, सीजेआई चंद्रचूड़ ने सार्वजनिक की आईबी व रॉ की र‍िपोर्ट

नई दिल्ली। केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम के बीच फिर तकरार और बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने ऐसा कदम उठाया है, जो शायद ही कभी हुआ हो। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित एक बयान में विस्तार से खुलासा किया है कि कॉलेजियम द्वारा हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए अनुशंसित नामों को केंद्र सरकार ने क्यों ठुकरा दिया। इस बयान में हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति से संबंधित खुफिया एजेंसी रॉ और आईबी की रिपोर्ट भी सार्वजनिक कर दी गई है, जो अपने आप में अप्रत्याशित है।

कॉलेजियम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाले एक वकील को जज बनाने और एक गे जज के कार्यकाल को पांच साल के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव भेजा है। उनका सहचर स्विट्जरलैंड का नागरिक है। सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर इस प्रस्ताव को ठुकरा सकती है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कहा कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि उम्मीदवार का साथी, जो एक स्विस नागरिक है, हमारे देश के लिए शत्रुतापूर्ण व्यवहार करेगा, क्योंकि उसका मूल देश एक मित्र राष्ट्र है।

गे सौरभ के नाम पर आपत्ति और कॉलेजियम का जवाब

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक कॉलेजियम ने दिल्ली हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए एडवोकेट सौरभ कृपाल का नाम भेजा था। केंद्र सरकार ने उनके नाम को रिजेक्ट कर दिया और तर्क दिया है कि वो समलैंगिक हैं। उनका पार्टनर विदेशी है। कॉलेजियम ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि संविधान यौन स्वतंत्रता की गारंटी देता है। सौरभ कृपाल, की नियुक्ति से दिल्ली हाईकोर्ट में डाइवर्सिटी आएगी। विदेशी पार्टनर होना, अयोग्यता का आधार नहीं हो सकता है।

सुंदरेसन पर केंद्र की बात का दिया यह जवाब

इसी तरह कॉलेजियम ने मुंबई हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए सोमशेखर सुंदरेसन का नाम भेजा था। रिपोर्ट के मुताबिक सरकार का पक्ष है कि सुंदरेसन ने सोशल मीडिया पर पेंडिंग केसेज पर अपनी राय रखी थी। कॉलेजियम ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि किसी मसले पर किसी अभ्यर्थी की राय उसके डिसक्वालीफिकेशन का कारण नहीं बन सकती है।

सत्यन मामले में कॉलेजियम ने दी यह राय

कॉलेजियम ने मद्रास हाईकोर्ट में नियुक्ति के लिए आर.जॉन सत्यन का नाम सुझाया। सरकार का तर्क है कि सत्यन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पीएम नरेंद्र मोदी की आलोचना से जुड़ा एक लेख शेयर किया था। कॉलेजियम ने सरकार के इस तर्क का जवाब देते हुए कहा है कि किसी लेख को साझा करने से किसी अभ्यर्थी की योग्यता, गरिमा और कैरेक्टर पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है।

4 दिन के मंथन के बाद सीजेआई ने लिया कड़ा फैसला

सीजेआई की फोटो लगाएं …..

कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए नामों को जिस तरीके से केंद्र सरकार ने ठुकराया और कॉलेजियम ने जैसे प्रतिक्रिया दी है, उसे अप्रत्याशित बताया जा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने 4 दिनों तक विचार विमर्श और मंथन के बाद केंद्र सरकार की आपत्तियों का विस्तार से जवाब देने का फैसला लिया। तय किया कि पूरी बात सार्वजनिक की जाए। जिसमें रॉ और आईबी की रिपोर्ट का भी हवाला दिया जाए और उसपर कॉलेजियम का क्या स्टैंड है, यह भी बताया जाए। सीजेआई चंद्रचूड़ ने बयान सार्वजनिक करने से पहले इस पर कॉलेजियम के अन्य सदस्यों से गहरी मंत्रणा की।

कानून मंत्रालय पर तीखी नाराजगी जताई

कॉलेजियम ने केंद्रीय कानून मंत्रालय के न्याय विभाग पर भी तीखी आपत्ति जताई है। दरअसल, कॉलेजियम ने कलकत्ता हाईकोर्ट में जज के तौर पर नियुक्ति के लिए एडवोकेट अमितेश बनर्जी और शाक्य सेन का नाम सुझाया था। जो जुलाई 2019 से ही सरकार के पास पेंडिंग है।

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