नई दिल्ली। केंद्र ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने के मुद्दे पर विचार कर रहा है। इस मुद्दे पर राज्यसभा के पूर्व सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने भाजपा नेता से कहा कि अगर वह चाहें तो सरकार को एक आवेदन दें। पीठ ने कहा, सॉलिसिटर जनरल (तुषार मेहता) ने कहा है कि वर्तमान में संस्कृति मंत्रालय में एक प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा है कि याचिकाकर्ता (स्वामी) अगर चाहें तो अतिरिक्त आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं।
शीर्ष अदालत ने केंद्र से इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए कहा और स्वामी को मुद्दे पर स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं होने पर पुन: अर्जी दाखिल करने की अनुमति देते हुए अंतरिम अर्जी का निपटारा कर दिया। स्वामी ने कहा, मैं किसी से नहीं मिलना चाहता, हम एक ही पार्टी में हैं, यह हमारे घोषणापत्र में था। उन्हें छह सप्ताह में या जितने में हो, फैसला करने दीजिए। भाजपा के नेता स्वामी ने कहा, मैं फिर आऊंगा। संक्षिप्त सुनवाई की शुरुआत में स्वामी ने कहा कि 2019 में तत्कालीन संस्कृति मंत्री प्रह्लाद पटेल ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई थी और रामसेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की सिफारिश की थी। उन्होंने कहा, मुद्दा यह है कि उन्हें हां या ना कहना है। विधि अधिकारी ने कहा कि सरकार इस पर गौर कर रही है। तीन न्यायाधीशों के संयोजन में बैठी पीठ ने कहा कि न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे क्योंकि वह पहले इस मामले में एक वकील के रूप में पेश हुए थे। ऐसे में मामले में दो न्यायाधीशों- प्रधान न्यायाधीश और न्यायमूर्ति पारदीवाला द्वारा आदेश पारित किया गया। इससे पूर्व शीर्ष अदालत ने कहा था कि वह फरवरी के दूसरे सप्ताह में स्वामी की याचिका पर सुनवाई करेगी।
‘एडम ब्रिज’ के नाम से भी
रामसेतु को ‘एडम ब्रिज’ के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट से पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट से दूर मन्नार द्वीप के बीच छोटे-छोटे पत्थर-चट्टानों की एक श्रृंखला है। भाजपा नेता ने दलील दी थी कि वह मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं जिसमें केंद्र ने रामसेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था।
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इधर, कोर्ट ने कहा- आरोपी को अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता
एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि किसी आरोपी को अनिश्चित काल के लिए जेल में नहीं रखा जाना चाहिए जब तक कि वह दोषी साबित न हो जाए। आशीष मिश्रा केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा का बेटा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में सबसे ज्यादा पीड़ित वे किसान हैं जो जेल में बंद हैं और अगर आशीष मिश्रा को राहत नहीं मिली तो उनके भी जेल में ही रहने की संभावना है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जे. के. माहेश्वरी की पीठ ने जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि यह मामला सभी पक्षों के अधिकारों में संतुलन बनाने का है। गौरतलब है कि तीन अक्टूबर 2021 को लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में उस समय हुई हिंसा में आठ लोग मारे गए थे, जब किसान क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे।

