तीर्थ स्थल बना रहेगा सम्मेद शिखर, केंद्र और झारखंड सरकार ने किया फैसला

  • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख ने दी जानकारी

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के प्रमुख इकबाल सिंह लालपुरा ने बुधवार को कहा कि केंद्र और झारखंड सरकार ने फैसला किया है कि जैन स्थल सम्मेद शिखर तीर्थस्थल बना रहेगा और इसे पर्यटन केंद्र में नहीं बदला जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई की जहां झारखंड सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही एक आधिकारिक आदेश जारी करेगी। लालपुरा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, झारखंड में सम्मेद शिखर के मुद्दे पर केंद्र और झारखंड सरकार ने तय किया है कि यह एक तीर्थ स्थल बना रहेगा। शराब या मांस की वहां अनुमति नहीं दी जाएगी। हमने इस मामले में हस्तक्षेप किया था और हम केंद्र और झारखंड सरकार को हमारी सिफारिश पर ध्यान देने के धन्यवाद देते हैं। कल हमारी सुनवाई हुई और यह फैसला लिया गया कि इसे पर्यटन स्थल में नहीं बदला जाएगा और यह एक धार्मिक स्थान बना रहेगा।

एनसीएम ने पहले कहा कि उसे झारखंड सरकार और केंद्र सरकार द्वारा जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर हिल को इको-टूरिज्म हब में बदलने के संबंध में जैन समुदाय से विभिन्न विरोध-पत्र प्राप्त हुए थे।

पर्यटन गतिविधियों पर लगी थी रोक

केंद्र ने पांच जनवरी को पारसनाथ पहाड़ी पर सभी पर्यटन गतिविधियों पर रोक लगा दी थी और झारखंड सरकार को इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए तत्काल सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया था। बता दें, झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखर जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। पारसनाथ हिल में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के राज्य सरकार के कदम का समुदाय के सदस्य विरोध कर रहे हैं। बता दें, अगस्त 2019 में, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव के अनुसरण में इको-टूरिज्म गतिविधियों को मंजूरी दी थी।

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