-त्रिपुरा-नगालैंड और मेघालय में कौन कितना मजबूत जानिए यहां के समीकरण
-चुनाव आयोग ने बुधवार को किया है इन राज्यों में विधानसभा चुनाव का ऐलान
-इंट्रो
त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय के लिए विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। त्रिपुरा में 16 फरवरी और नगालैंड-मेघालय में 27 फरवरी को एक-एक चरण में मतदान होगा। तीनों ही राज्यों में 60-60 सदस्यीय विधानसभा है। त्रिपुरा में इस वक्त भाजपा की सरकार है। वहीं, नगालैंड में एनडीपीपी के नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री हैं। मेघालय में एनपीपी के कोनराड संगमा की सरकार है। दोनों राज्यों में भाजपा सत्ताधारी गठबंधन का हिस्सा है। नगालैंड विधानसभा का कार्यकाल 12 मार्च, मेघालय विधानसभा का 15 मार्च और त्रिपुरा विधानसभा का कार्यकाल 22 मार्च को समाप्त हो रहा है। आइए जानते हैं तीनों राज्यों में कौन सी पार्टी कितनी मजबूत है…
त्रिपुरा : कांग्रेस-सीपीएम की जुगलबंदी पड़ेगी भारी
2018 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की थी। भाजपा ने यहां 25 साल से शासन कर रहे लेफ्ट को बेदखल किया था। बिप्लब देब राज्य मुख्यमंत्री बने। 2022 में भाजपा ने देब की जगह मानिक साहा को राज्य की कमान सौंपी। अब साह पर भाजपा को सत्ता में वापसी कराने की जिम्मेदारी होगी। 60 सीटों वाली विधानसभा में 31 सीट पर बहुमत मिलता है। भाजपा ने पिछले चुनाव में 36, सीपीएम 16 व आईपीएफटी ने 8 सीट जीती थी। हालांकि, बीते कुछ महीनों से राज्य में सियासी उथलपुथल जारी है। एक तरफ भाजपा ने 2018 में जीत दिलाने वाले बिप्लब कुमार देब को हटाकर मानिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया तो कई नेता पार्टी से अलग भी हो गए। वहीं, आदिवासी अधिकार पार्टी भाजपा विरोधी राजनीतिक मोर्चा बनाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही कई नेता पार्टियां बदल रहे हैं। हमेशा एक-दूसरे की धुर विरोधी रही कांग्रेस और सीपीएम ने इस बार हाथ मिला लिया है।
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मेघालय : एनपीपी, भाजपा में दरारें
2018 में राज्य में नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और भाजपा गठबंधन की सरकार बनी थी। कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। हालांकि, बहुमत के आंकड़े से दूर रह गई थी। एनपीपी-भाजपा ने गठबंधन किया था और एनपीपी के कोनराड संगमा मुख्यमंत्री बने। यहां भी चुनाव से पहले राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। यहां तक की गठबंधन सरकार चला रही एनपीपी और भाजपा के बीच भी दरारें दिख रही हैं। हाल ही में दो विधायक एनपीपी से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए। कहा जहा रहा है कि 2018 की तरह ही इस बार भी दोनों दल अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे। मेघालय में भी 60 सीटे हैं। गत चुनाव में कांग्रेस ने 21, एनपीपी ने 20, भाजपा-02 व अन्य ने 17 सीटें जीती थीं।
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नगालैंड : सीट बंटवारा बनेगा सिरदर्द
2018 के विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) में दो टुकड़ों में बंट गई थी। बागियों ने नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) बनाई। पार्टी के बड़े नेता और राज्य के मुख्यमंत्री रहे नेफ्यू रियो बागी गुट के साथ चले गए। चुनाव से पहले एनपीएफ ने भाजपा से गठबंधन तोड़ लिया। भाजपा और एनडीपीपी ने मिलकर चुनाव लड़ा। एनडीपीपी को 17 तो भाजपा को 12 सीटों पर जीत मिली। गठबंधन सत्ता में आया और नेफ्यू रियो मुख्यमंत्री बने। नेफ्यू रियो के सीएम बनने के बाद 27 सीट जीतने वाली एनपीएफ के ज्यादातर विधायक एनडीपीपी में शामिल हो गए। बाद में एनपीएफ ने भी सत्ताधारी गठबंधन को समर्थन दे दिया। मौजूदा समय में राज्य विधानसभा के सभी 60 विधायक सत्तापक्ष में हैं। इस बार यहां सीट बंटवारे में विवाद हो सकता है।
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