नियुक्ति से पहले आपराधिक रिकार्ड की जानकारी देना अनिवार्य

हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि शासन के किसी भी विभाग में नियुक्ति से पहले अपनी संपूर्ण जानकारी स्पष्ट रूप से देनी होगी। खासकर अगर आपराधिक रिकार्ड है तो उसका उल्लेख करना होगा। आपराधिक रिकार्ड को छिपाना गलत है। इस आधार पर राज्य शासन ने बर्खास्तगी की कार्रवाई की है तो शासन का निर्णय उचित है।

मामला शासकीय दंत महाविद्यालय रायपुर का है। राज्य शासन ने याचिकाकर्ता की नियुक्ति को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि पदस्थापना के बाद इस बात की जानकारी शासन को मिली कि याचिकाकर्ता का शासकीय सेवा में आने से पहले आपराधिक रिकार्ड रहा है। थाने में उनके नाम से एफआइआर दर्ज है। चोरी के एक प्रकरण में पुलिस ने भादिव की धारा 379 के तहत अपराध दर्ज किया था। इस बात की जानकारी होने के बाद राज्य शासन ने आपराधिक रिकार्ड जैसी जानकारी छिपाने और विभाग में पदभार ग्रहण करते वक्त इसकी जानकारी न देने के आरोप में बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया था।

नियुक्ति से पहले छिपाई जानकारी

दंत चिकित्सा महाविद्यालय में लैब क्लीनर पद के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके लिए लिखित परीक्षा का आयोजन किया गया था। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने के कारण अनिल को दो वर्ष की परिवीक्षावधि में नियुक्ति किया गया था। नियुक्ति से पहले संपूर्ण दस्तावेज जमा करने का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा पुलिस से चरित्र प्रमाण पत्र पेश करने कहा गया था। याचिकाकर्ता ने आपराधिक रिकार्ड को छिपा लिया था। शिकायत मिलने पर जब प्रबंधन ने पुलिस से दस्तावेज मंगाए तब पता चला कि याचिकाकर्ता के खिलाफ गोल बाजार पुलिस थाने में भादवि की धारा 379,34 के तहत अपराध दर्ज किया गया है।

शासन की कार्रवाई को उचित माना

पुलिस से मिली जानकारी और अहम दस्तावेज के बाद प्रबंधन ने याचिकाकर्ता को आरोप पत्र जारी करते हुए सुस्पष्ट जानकारी मांगी थी। इस पर याचिकाकर्ता ने अपने जवाब में बताया कि उक्त प्रकरण में उसे बरी कर दिया गया था। यह भी स्वीकार किया कि इस बात की जानकारी उसने आवेदन में नहीं दिया है। याचिकाकर्ता द्वारा पेश जानकारी को संतोषजनक नहीं मानते हुए प्रबंधन से सेवा समाप्त करते हुए बर्खास्तगी आदेश जारी कर दिया। इसे याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन द्वारा बर्खास्तगी आदेश को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि पुलिस ने मुकदमा चलाया है और इस बात की जानकारी छिपाई जा रही है। यह गंभीर बात है। राज्य शासन की कार्रवाई उचित है।

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