कॉलेजियम मामला… बैकफुट में केंद्र… सुप्रीम कोर्ट से कहा- दो-तीन दिनों में 44 जजों के नाम को दे देंगे मंजूरी

जजों की नियुक्ति पर सरकार की जमकर की खिंचाई

नई दिल्ली। जजों की नियुक्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति में अब सरकार का रुख नरम पड़ता दिखाई दे रहा है। दरअसल हाईकोर्ट के 44 जजों की नियुक्ति पर कॉलेजियम की सिफारिशों को समय सीमा में मानने के लिए केंद्र राजी हो गया है। शुक्रवार को कोर्ट को आश्वासन देते हुए केंद्र सरकार ने कहा कि हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की तरफ से भेजी गई सिफारिशों का तेज़ी से निपटारा किया जाएगा। 104 लंबित सिफारिशों में से 44 को दो-तीन दिन में मंजूरी दे दी जाएगी।

केंद्र के इस जवाब पर कोर्ट ने संतोष जताया साथ ही बाकी सिफारिशों पर भी जल्द फैसले के लिए कहा। सर्वोच्च अदालत ने कॉलेजियम से भेजी गई 10 सिफारिशों की स्थिति की जानकारी मांगी जो केंद्र के पास लंबित हैं। इनमें दो तो काफी पुरानी हैं जो अक्टूबर 2021 से लंबित हैं और बाकी नवंबर 2022 में की गई थीं.पिछली सुनवाई में कॉलेजियम पर कानून मंत्री के बयानों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 3 फरवरी की तारीख तय की है।

अटॉर्नी जनरल ने सरकार का रखा पक्ष

जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की पीठ के सामने केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटार्नी जनरल आर वेंकटरमानी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की टाइमलाइन को फॉलो करने के लिए सभी प्रयास किए जा रहे हैं। अटॉर्नी जनरल ने बेंच को आश्वासन दिया कि वे व्यक्तिगत तौर पर इस मामले की प्रक्रिया को खुद देख रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की जमकर की खिंचाई

बता दें कि न्यायाधीशों के तबादले के लिए कॉलेजियम की सिफारिशों में हो रही देरी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की खिंचाई की और सवाल किया कि क्या इसमें तीसरे पक्ष का हस्तक्षेप शामिल है? वहीं सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के लिए जजों की नियुक्ति में हो रही देरी को लेकर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से कहा था कि जो भी नाम लंबित हैं, उन्हें पास जल्द से जल्द किया जाए।

सीजेआई की अध्यक्षता में पीठ कर रही सुनवाई

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने पिछले माह पांच न्यायाधीशों को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की सरकार से सिफारिश की थी। इनमें राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्थल और पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के नाम भी शामिल हैं।

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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने होगी सुनवाई

उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने के मुद्दे पर देश भर के विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष लंबित सभी याचिकाओं को एक साथ जोड़ते हुए उन्हें अपने पास स्थानांतरित कर लिया। प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला की पीठ ने केंद्र से 15 फरवरी तक इस मुद्दे पर सभी याचिकाओं पर अपना संयुक्त जवाब दाखिल करने को कहा और निर्देश दिया कि मार्च में सभी याचिकाओं को सूचीबद्ध किया जाए। पीठ ने कहा कि कोई भी याचिकाकर्ता यदि अदालत के समक्ष भौतिक रूप से बहस करने के लिए उपलब्ध नहीं है तो वह डिजिटल मंच की सुविधा का लाभ उठा सकता है। शीर्ष अदालत ने तीन जनवरी को कहा था कि वह समलैंगिक विवाहों को मान्यता देने के लिए उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की याचिका पर छह जनवरी को सुनवाई करेगी।

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शीर्ष अदालत ने पिछले साल 14 दिसंबर को केंद्र से दो याचिकाओं पर जवाब मांगा था जिसमें दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित याचिकाओं को शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी ताकि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने के निर्देश दिए जा सकें।
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