अहमदाबाद में सेना ने 3-डी प्रिंटेड आवासीय यूनिट का किया निर्माण

नई दिल्ली।

चीन के साथ एलएसी पर जारी विवाद के बीच भारतीय सेना 3-डी प्रिंटेड रैपिड कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी के साथ जवानों के लिए आवासीय परिसरों का तेजी से निर्माण करने में लगी हुई है। इसी कड़ी में अब उसने अहमदाबाद छावनी में पहली 3-डी प्रिंटेड दो मंजिला आवासीय यूनिट का निर्माण किया है। बीते बुधवार को इसका उद्घाटन किया गया। सेना ने बताया कि इसका निर्माण मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस (एमईएस) ने एमआईसीओबी प्राइवेट लिमिटेड के साथ मिलकर किया है। गौरतलब है कि इससे पहले सेना ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के सुदूर इलाकों में तैनात जवानों के रहने के लिए इसी तकनीक से आवासीय शेल्टरों का निर्माण किया है।

गैरेज के 71 स्क्वायर किमी. इलाके में निर्माण

सेना ने बताया कि इस निर्माण कार्य के लिए उसने गैराज के करीब 71 स्क्वायर किमी. इलाके का प्रयोग किया। जिसमें इस आवासीय यूनिट को 3-डी प्रिंटेड फाउंडेशन, दीवारों और स्लैब के साथ कुल 12 हफ्तों में तैयार किया गया है। इसकी एक अन्य खास बात ये है कि यह यूनिट प्राकृतिक आपदाओं को भी आसानी से झेल सकती है। जोन-3 भूकंप के साथ हरित बिल्डिंग नॉर्म्स का भी इसके निर्माण के दौरान पालन किया गया है।

आत्मनिर्भरता को मिलेगा बढ़ावा

3-डी प्रिंटेड घर आधुनिक समय में तेजी से किए जाने वाले निर्माण प्रयासों का बेहतरीन नमूना है। जो कि सशस्त्र सैन्यकर्मियों की बढ़ती हुई आवासीय जरूरतों को पूरा करने में काफी मददगार है। यह निर्माण ढांचा भारतीय सेना द्वारा केंद्र सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करता है। 3-डी प्रिंटेड निर्माण में एक पूरा कंक्रीट प्रिंटर जो कि त्रि-दिशाओं वाले डिजाइन और ढांचे को स्वीकार करता है। उसके जरिए तैयार किया जाता है। अहमदाबाद स्थित सेना की गोल्डन कतर डिवीजन इस प्रोजेक्ट को अभियानों के दौरान प्रयोग करती रही है। सेना इस तकनीक का प्रयोग स्थायी ढांचों के निर्माण के लिए कर रही है। जिससे अभियानों के दौरान भी बलों के पास रहने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच मौजूद रहे। 3-डी प्रिंटेड ढांचों से निर्माण कार्य बीते एक साल से चल रहा है और अब इसे सभी भौगोलिक परिस्थितियों के बीच देखा जा सकता है। जिसमें केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख मुख्य रूप से शामिल है।

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