पत्नी की हत्या करने वाले शख्स का ‘दहेज’ पर कोई अधिकार नहीं

  • पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का फैसला

चंडीगढ़। पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि अपनी पत्नी की हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए शख्स का उसके स्त्रीधन (दहेज में मिला सामान) पर कोई हक नहीं है। ये सारी चीजें महिला के पिता को दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट ने इस मामले में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को सही ठहराया जिसमें सजायाफ्ता पति की याचिका को ठुकरा दिया गया था। हाईकोर्ट का कहना था कि लोअर कोर्ट का फैसला सही था। संदीप तोमर बनाम स्टेट ऑफ पंजाब के मामले में हाईकोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि स्त्रीधन लड़की को उसके पिता की तरफ से दिया जाता है। दरअसल पत्नी की हत्या के मामले में दोषी करार दिए गए संदीप ने कोर्ट से मांग की थी कि स्त्रीधन पर उसका और बच्चों का अधिकार है। 2014 में संदीप को एक अदालत ने पत्नी की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा सुनाई थी।

संदीप के वकील ने हाईकोर्ट में दलील दी कि Hindu Succession Act, 1956 का सेक्शन 15(1) के तहत जो कुछ भी पत्नी का था वो उसके बाद पति और बच्चों को मिलना चाहिए। जबकि विरोधी पक्ष के वकील ने कहा कि शादी के समय स्त्रीधन के रूप में जो महिला को मिला वो उसके पिता ने दिया था। लिहाजा उसकी मौत के बाद इन सारी चीजों पर उसका ही हक होना चाहिए। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को सही बताया जिसमें कहा गया था कि हत्या के मामले से बरी होने के बाद भी पति का स्त्रीधन पर कोई हक नहीं होगा।

मजिस्ट्रेट,जज कानून से ऊपर नहीं, उन पर भी होगी कार्रवाई : केरल हाईकोर्ट

कोच्चि। केरल हाईकोर्ट ने एक आरोपी को दोषी करार देने के लिए मुकदमे में कथित रूप से साक्ष्य थोपने के मामले में शुक्रवार को लक्षद्वीप के पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) को निलंबित करने का आदेश सुनाया। सीजेएम के निलंबन के बाद अदालत ने गंभीर टिप्पणी की और कहा कि मजिस्ट्रेट, न्यायाधीश और अन्य न्यायिक अधिकारी कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें कर्तव्य में लापरवाही के मामले में परिणाम भुगतने होंगे। केरल हाईकोर्ट ने कहा कि इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों के मद्देनजर इस अदालत का प्रथम दृष्टया निष्कर्ष है कि अतिरिक्त तृतीय प्रतिवादी (पूर्व सीजेएम) ने पीडब्ल्यू 7 (आपराधिक मामले में एक गवाह) के सबूत गढ़कर जालसाजी की। प्रथम दृष्टया, मेरी राय है कि अतिरिक्त तृतीय प्रतिवादी ने गंभीर कदाचार किया और कर्तव्य में लापरवाही की। तीनों को 23 जनवरी, 2023 को उच्च न्यायालय में पेश होने का निर्देश दिया गया है।

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