रामलीला मैदान में जुटे देशभर के किसान, सरकार के खिलाफ फिर खोला मोर्चा

– दी चुनौती, कहा-मांगें पूरी नहीं हुईं तो सरकार को करना होगा मुश्किल का सामना

इंट्रो

लंबे समय बाद दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बार फिर किसान अपनी पुरानी मांगों को लेकर जुटे। हजारों किसानों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध किसान संगठन भारतीय किसान संघ के बैनर तले ‘किसान गर्जना’ रैली की। कृषि उत्पादों पर से जीएसटी वापस लेने की मांग की। प्रदर्शनकारी किसानों ने मांगें नहीं मांगे जाने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी।


नई दिल्ली। राहत उपायों की मांग को लेकर भारतीय किसान संघ (बीकेएस) द्वारा यहां रामलीला मैदान में आयोजित ‘किसान गर्जना’ रैली में भाग लेने के लिए पंजाब, महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों के हजारों किसान अत्यधिक ठंड के बावजूद ट्रैक्टर, मोटरसाइकिल और निजी बसों से दिल्ली पहुंचे। आयोजकों ने कहा कि प्रदर्शनकारी कृषि गतिविधियों पर जीएसटी को वापस लेने और ‘पीएम-किसान’ योजना के तहत प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता में वृद्धि, आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) फसलों के व्यावसायिक उत्पादन की अनुमति को रद्द करने और उनकी उपज के लिए लागत आधार पर लाभकारी मूल्य की मांग कर रहे थे। दिसंबर 2018 में शुरू की गई प्रधानमंत्री-किसान योजना के तहत सभी जोत भूमि वाले किसान परिवारों को तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। बीकेएस द्वारा जारी एक बयान कहा गया है, यदि समय पर किसानों की मांग पर ध्यान नहीं दिया गया तो राज्य और केंद्र सरकारों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। बीकेएस के राष्ट्रीय महासचिव मोहिनी मोहन ने कहा, ‘‘किसानों के अधिकारों को लेकर प्रधानमंत्री द्वारा किए गए वादे खोखले साबित हुए हैं। उन्होंने कहा, सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। किसान भिखारी नहीं हैं, उन्हें अपनी फसल के लिए लाभकारी मूल्य पाने का अधिकार है। मोहन ने कहा कि अगर सरकार समय पर नहीं जागी तो दुनिया का सबसे बड़ा किसान संगठन और मुखर होगा।

मध्य प्रदेश के इंदौर से आए नरेंद्र पाटीदार ने कहा कि खेती से जुड़ी मशीनरी और कीटनाशकों पर से जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, बढ़ती लागत और मुद्रास्फीति के बीच, हमें कोई लाभ नहीं होता हैं। सरकार को हमारी समस्याओं पर ध्यान देना चाहिए। डेयरी उद्योग पर भी जीएसटी नहीं लगाया जाना चाहिए। मौजूदा स्थिति में कोई 6,000 रुपये या 12,000 रुपये में परिवार कैसे चला सकता है? कई किसानों ने कहा कि अगर सरकार ने तीन महीने के भीतर उनकी मांगों को पूरा नहीं किया तो वे विरोध तेज करेंगे। मध्य प्रदेश के एक अन्य किसान दिलीप कुमार ने कहा, कृषि मशीनरी, कीटनाशकों और उर्वरकों पर से जीएसटी हटाया जाना चाहिए। उन्होंने ‘डेयरी फार्मिंग’ पर भी पांच प्रतिशत कर लगाया है। किसान सम्मान निधि के तहत 6,000 रुपये और कुछ नहीं, बल्कि किसानों का अपमान है। यह कम से कम 15,000 रुपये होना चाहिए। महाराष्ट्र के रायगढ़ के प्रमोद ने सरकार पर किसानों पर जीएसटी थोपने और कंपनियों को सब्सिडी देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, वे बीज पर भी जीएसटी लगाते हैं। कम से कम जीएसटी बारे में कुछ न कुछ किया जाना चाहिए। जो पेंशन वे प्रदान करते हैं, वह एक मजाक है। इस बीच, पंजाब के फिरोजपुर के सुरेंद्र सिंह ने दावा किया कि सरकार ने पीएम-किसान योजना के तहत पिछली दो किस्त नहीं दी। उन्होंने कहा, किसान भी कुशल मजदूर हैं, कम से कम हमें इतना सम्मान दिया जाना चाहिए। नागपुर से आये अजय बोंद्रे ने कहा, जब तक हमें अनुसंधान विवरण प्रदान नहीं किया जाता है, जब तक कि हमें कोई प्रमाण नहीं मिल जाता है कि यह विश्वसनीय है, हम जीएम बीजों का उपयोग करने के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं। किसान बहुत लंबे समय से जीएम फसलों का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सरकार हम पर ध्यान नहीं देती है। पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर की कंचन रॉय ने कहा कि कई लोगों ने खेती छोड़ दी है, क्योंकि वे लागत वहन नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, वे पश्चिम बंगाल से दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश में पलायन कर रहे हैं। क्या सरकार को इस बात का एहसास है कि देश भर में महंगाई कैसे बढ़ रही है और वह अब भी चाहती है कि हम सिर्फ 6,000-12,000 रुपये से गुजारा करें।

गुजरात के अरावली के किशोर पटेल ने कहा कि कुछ मांगें मान ली गई हैं, लेकिन राज्य चुनावों से पहले आश्वासन के बावजूद प्राथमिक मांगों पर विचार नहीं किया गया है। बीकेएस ने कहा कि उसने दिल्ली आने से पहले चार महीने तक देश भर के 560 जिलों के 60,000 से अधिक गांवों में जन जागरूकता कार्यक्रम चलाया। उसने कहा कि अकेले तेलंगाना और मध्य प्रदेश में लगभग 20,000 पदयात्राएं, 13,000 साइकिल यात्राएं और 18,000 बैठकें आयोजित की गईं।


फिर उठी स्वामीनाथन कमीशन रिपोर्ट की मांग

गर्जना रैली में किसान संघ के प्रमुख नेताओं ने कहा कि भारतीय संसद पर अब राज वही करेगा, जो हमारी मांगों को स्वीकार करेगा। इस दौरान स्वामीनाथन कमीशन रिपोर्ट को पूरी तरह से लागू करने पर जोर दिया गया। गर्जना रैली में न्यूनतम समर्थन मूल्य समेत किसानों की कर्जमाफी, फसलों के बीमा योजना और जीएसटी समाप्त करने की मांग रखी गई। इसके अलावा विभिन्न प्रांतों से आए किसान संघ के नेताओं ने अपने प्रदेश के किसानों की स्थानीय स्तर पर प्रमुख समस्याओं को रखा। इसमें बीज और सिंचाई जैसे प्रमुख समस्याओं को भी सामने रखा।


मांगों की अनदेखी सरकारों को पड़ सकती है महंगी

भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय महामंत्री मोहनी मोहन मिश्र ने कहा कि यदि किसानों की मांगों पर केंद्र और प्रदेश सरकार संजीदा नहीं होती तो सरकार पर संकट के बादल गहरा सकते हैं। उन्होंने एक-एक कर किसानों की प्रमुख मांगों की ओर ध्यान आकृष्ट किया। मोहनी मिश्र ने कहा कि लागत के आधार पर किसानों के लिए लाभकारी मूल्य को तत्काल लागू किया जाए। उन्होंने कहा कि सरकार को इसके मिलने का समय भी सुनिश्चित करना चाहिए।


बड़ी तादाद में महिला कार्यकर्ताओं ने लिया हिस्सा

किसान संघ की इस गर्जना रैली में देशभर से हजारों की संख्या में महिला किसानों ने पूरे जोश एवं उत्साह के साथ हिस्सा लिया। इस रैली में किसानों की सर्वाधिक संख्या यूपी, बिहार, राजस्थान और हरियाणा से रही। उधर, दिल्ली के रामलीला मैदान में पिछले एक सप्ताह से चल रही तैयारियां व्यापक स्तर पर चल रही थीं। कुछ किसान पहले से राजधानी पहुंच गए थे। इन किसानों ने मैदान में पंडाल के नीचे पूरी रात गुजारी।


चार राज्यों में 300 ट्रेनें रद्द

बताया जाता है कि रविवार को रेलवे ने करीब 300 ट्रेनों को रद कर दिया था। इसमें खासकर यूपी, बिहार, राजस्थान व हरियाणा से आने वाली ट्रेनें शामिल हैं। भारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राधवेंद्र सिंह पटेल ने कहा कि ट्रेनों के निरस्त होने से करीब 40 हजार किसान इस रैली में हिस्सा नहीं ले सके।

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