एम्स के बाद अब हैकर्स के निशाने पर आए केंद्र सरकार के मंत्रालय

जल शक्ति मंत्रालय व ‘स्वच्छ भारत’ के ट्विटर हैंडल पर हुआ साइबर अटैक

-दिल्ली एम्स के ई-हॉस्पिटल सर्वर के बाद फिर निशाने पर भारतीय संस्थान

  • दोनों ट्वीटर हैंडल पर अनवांटेड मैसेज की भरमार

नई दिल्ली। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के ई-हॉस्पिटल सर्वर पर बड़ा साइबर हमला होने के बाद भी हैकर्स की करतूतें जारी हैं। एम्स पर हुए साइबर हमले में नुकसान पहुंचाने की क्षमता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि घटना के सात दिन बाद भी एम्स का सर्वर पहले वाली स्थिति में नहीं आ सका है। गुरुवार सुबह केंद्र सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के ट्वीटर पर हैकरों की नजर पड़ गई। इसके साथ ही ‘स्वच्छ भारत’ का ट्विटर अकाउंट भी साइबर हमले का शिकार हो गया।

दोनों ही ट्वीटर हैंडल पर क्रिप्टो और सू वॉलेट ‘ज्वाइन टेस्ट नेट गैट एयरड्रॉप’ के मैसेज की भरमार लग गई। हालांकि बाद में जल शक्ति मंत्रालय का ट्वीटर ठीक हो गया, लेकिन साढ़े 11 बजे तक ‘स्वच्छ भारत’ का ट्विटर हैंडल ठीक नहीं हो सका था। साइबर विशेषज्ञ रक्षित टंडन का कहना है, भारत में साइबर सुरक्षा को लेकर लोगों का मूड, रिएक्टिव होने का है, प्रोएक्टिव होने का नहीं। केंद्र सरकार को इस दिशा में प्रभावी कदम उठाने होंगे।

लोगों को भी साइबर सुरक्षा पर गंभीरता दिखानी होगी

देश में साइबर सुरक्षा को लेकर लाखों लोगों को जागरूक कर चुके प्रमुख साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ रक्षित टंडन कहते हैं, देश में पीएम से लेकर कई दूसरे वीवीआईपी और अन्य संगठनों का ट्विटर हैक हो चुका है। दरअसल देश में ‘साइबर हाइजीन’ को लेकर अभी लोग उतने जागरूक नहीं हैं। हर एक मिनट में खतरे का एक लिंक आ रहा है। कई तरह के लालच में आकर लोग उस लिंक पर क्लिक कर देते हैं। बस यहीं से जोखिम शुरू हो जाता है। सोशल मीडिया पर फॉलोवर्स बढ़ाने की होड़ मची है। इसी चक्कर में लोग, इंटरनेट की दुनिया के अनचाहे खतरे में फंस जाते हैं। आर्थिक नुकसान के साथ-साथ मानसिक प्रताड़ना भी झेलते हैं।

पैसे बढ़ाने का लालच

जहां पर ज्यादा फॉलोवर होते हैं, तो वहां हैकर्स द्वारा बड़ी सेटिंग के साथ विज्ञापन चला दिया जाता है। मान लें कि वह विज्ञापन कुछ ही घंटे तक चलता है, तो अनेक लोग हैकर्स के चक्कर में फंस जाते हैं। बतौर रक्षित टंडन, सोशल मीडिया पर क्रिप्टो करेंसी वाले बहुत सक्रिय हैं। वे एक एप देते हैं। इसके बाद कहते हैं कि आप एक हजार दो, 1200 रुपये वापस मिलेंगे। उसके बाद कहते हैं, दो हजार रुपये लाओ, 2500 रुपये ले जाओ। तीन-चार ट्रांजेक्शन के बाद में जब लोगों को यकीन हो जाता है कि उनके पैसे बढ़ रहे हैं, तो वे बड़ी राशि लगा देते हैं। यहीं से उनके फंसने की शुरुआत होती है। वे अपने लाखों करोड़ों रुपये खो बैठते हैं।

शॉपिंग के लिए देते हैं कमीशन

आजकल मॉल स्कैम भी जोरों पर हैं। शॉपिंग के लिए कमीशन देते हैं। इस चक्कर में भी हजारों लाखों का पैसा डूब चुका है। देश में साइबर ट्रेनिंग को लोग एक वर्कशॉप समझकर भूल जाते हैं। एक बार की ट्रेनिंग से काम नहीं चलेगा। साइबर जागरुकता को आदतों में ढालना होगा। जब तक ये सब नहीं होगा, तब तक पूर्ण सुरक्षा संभव नहीं है। सब कुछ जानने के बाद भी लोग, साइबर अटैक की जद में आ जाते हैं। एम्स में बड़े साइबर अटैक के बाद अब सरकार और लोगों को जागने की जरूरत है। लोगों को रिएक्टिव होने से आगे बढ़ना होगा, उन्हें अब प्रोएक्टिव बनना होगा।

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