गुजरात के पहले चरण में 59.2 फीसदी मतदान… 89 सीटों के 788 उम्मीदवारों के ‘भाग्य’ बंद

-राजनीतिक एक्सपर्ट कम मतदान के तलाश रहे मायने

अहमदाबाद। गुजरात विधानसभा के पहले चरण का मतदान हो गया। 89 सीटों पर गुरुवार को मतदाताओं ने 788 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला ईवीएम में कैद कर दिया है। पहले फेज में शाम 5 बजे तक कुल 59.2 फीसदी वोटिंग हुई है, जो कि 2017 विधानसभा चुनाव के मुकाबले बेहद कम है। पिछले चुनाव में पहले फेज में 68 फीसदी वोटिंग हुई थी। राजनीतिक जानकार अब कम मतदान के मायने तलाशने में जुट गए हैं।

गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 89 विधानसभा सीटों पर गुरुवार शाम पांच बजे तक औसतन 59.24 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। निर्वाचन अधिकारियों ने यह जानकारी दी। मतदान सुबह आठ बजे शुरू हुआ था और शाम पांच बजे समाप्त हुआ। मतदान के अंतिम आंकड़े अधिक रहने की संभावना है क्योंकि मतदान प्रक्रिया अभी जारी है। जो मतदाता शाम पांच बजे से पहले मतदान केंद्रों पर पहुंच गये थे, वे मत डालने के लिए अभी कतारों में खड़े थे। पहले चरण में 788 उम्मीदवारों की चुनावी किस्मत का फैसला होगा। इस चरण में सौराष्ट्र-कच्छ और दक्षिणी क्षेत्रों के 19 जिलों की 89 सीट के लिए मतदान हुआ। कुछ छिटपुट घटनाओं और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में गड़बड़ी की कुछ शिकायतों को छोड़कर सुबह आठ बजे शुरू हुई मतदान प्रक्रिया कमोबेश शांतिपूर्ण रही। निर्वाचन आयोग ने कहा कि मतदान का अंतिम आंकड़ा आना अभी बाकी है क्योंकि कुछ मतदान केंद्रों के आंकड़े प्राप्त नहीं हुए है और इसमें डाक मतपत्र भी शामिल नहीं थे। तापी जिले में सबसे अधिक 72.32 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। आदिवासी-प्रभुत्व वाले जिले में व्यारा और निजार दो विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। लगभग 68.09 प्रतिशत मतदान के साथ, नर्मदा जिला दूसरे स्थान पर रहा। सौराष्ट्र क्षेत्र में भावनगर में शाम पांच बजे तक सबसे कम 51.34 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया। नर्मदा के अलावा, चार अन्य जिलों में 60 प्रतिशत से अधिक मतदान दर्ज किया गया जिनमें नवसारी (65.91 प्रतिशत), डांग (64.84 प्रतिशत), वलसाड (62.46 प्रतिशत) और गिर सोमनाथ (60.46 प्रतिशत) शामिल हैं। निर्वाचन आयोग ने कहा कि कुछ प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच झड़प की कुछ घटनाओं को छोड़कर मतदान काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा। जामनगर जिले के जामजोधपुर में महिला मतदाताओं ने मतदान केंद्र पर उनके लिए कोई अलग बूथ नहीं होने पर विरोध दर्ज कराया। निर्वाचन आयोग ने 104 वर्षीय मतदाता रामजीभाई की तस्वीर ट्वीट की और कहा कि उन्होंने डाक मतपत्र का विकल्प चुनने के बजाय मतदान केंद्र पर आकर मतदान करके लोकतंत्र के उत्सव में भाग लिया। निर्वाचन आयोग ने सुबह 100 वर्षीय मतदाता कामुबेन पटेल की एक तस्वीर ट्वीट की जिसमें वह वलसाड जिले के उंबरगांव विधानसभा क्षेत्र के एक मतदान केंद्र में वोट डालने के बाद अपनी उंगली पर लगी अमिट स्याही दिखा रही हैं। राज्य विधानसभा की कुल 182 सीटों में से 89 सीटों पर चुनाव के पहले चरण के तहत मतदान हुआ। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि मतदान के शुरुआती तीन घंटों में विभिन्न केंद्रों पर गड़बड़ी के कारण 33 बैलट यूनिट, 29 कंट्रोल यूनिट और 69 वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल को बदला गया। राज्य में मतदान होने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंचमहल के कलोल और छोटा उदयपुर में रैलियों को संबोधित किया, जहां विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के तहत पांच दिसंबर को मतदान होगा।

महंगाई के विरोध में सिलेंडर लेकर पहुंचा

गुजरात में घरेलू रसोई गैस सिलेंडर महंगाई के विरोध का प्रतीक बन गया। विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के दौरान कुछ मतदाता ऐसे सिलेंडर के साथ मतदान केंद्रों पर पहुंचे। जूनागढ़ में, पुलिस ने कांग्रेस के एक पदाधिकारी को उस समय रोकने की कोशिश की, जब वह अपने कंधे पर रसोई गैस सिलेंडर लेकर मतदान केंद्र की ओर जा रहे थे।


कहां कितनी सीटें?

राज्य में पहले चरण में कच्छ की (06), सुरेंद्रनगर की (05), मोरबी (03), राजकोट (08), जामनगर (05), देवभूमि द्वारका (02), पोरबंदर (02), जूनागढ़ (05), गिर सोमनाथ (04), अमरेली (05), भावनगर (07), बोटाद (02) , नर्मदा (02) , भरूच (05), सूरत (16) , तापी (02), डांग (01), नवसारी (04) और वलसाड की (05) सीटों के लिए मतदान हुआ।

रिकॉर्ड सातवीं जीत और परिवर्तन की कोशिश

भाजपा 27 सालों से जारी शासन को कायम रखने की कोशिश में जुटी है तो कांग्रेस ने गांव-गांव जाकर अपने लिए तीन दशक का सूखा खत्म करने की अपील की है। वहीं, इस बार अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में आम आदमी पार्टी ने भी सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं और परिवर्तन का दावा किया है।

5 को दूसरा चरण, 8 को नतीजे

दूसरे चरण की वोटिंग 5 दिसंबर को होगी। परिणाम 8 दिसंबर को सामने आएंगे। 182 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 92 सीटों की आवश्यकता है। 2017 में भाजपा ने 99 और कांग्रेस ने 77 सीटों पर कब्जा किया था।

एक्सपर्ट व्यू

कम वोटिंग के क्या हैं मायने?

आमतौर पर माना जाता है कि किसी चुनाव में कम मतदान से सत्ताधारी दल को फायदा होता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कई बार वोटर्स जब सरकार के कामकाज से संंतुष्ट होते हैं या वह परिवर्तन के पक्ष में नहीं होते हैं तो कम मतदाता बूथ तक जाते हैं। वहीं, वोटिंग फीसदी में इजाफे को परिवर्तन के संकेत के रूप में देखा जाता है। हालांकि, पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। गुजरात में हुई कम वोटिंग किसके पक्ष में जाएगी और किसे इसका नुकसान उठाना पड़ेगा यह तो 8 दिसंबर को मतगणना के बाद ही साफ हो पाएगा।

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