-बोलीं- संकट से निपटने में फेल रहा स्वीडन
स्टॉकहोम। स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित बच्चों और युवा वयस्कों के एक समूह ने अपने ही देश स्वीडन के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। समूह ने जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय करने में विफल रहने के लिए स्वीडन के खिलाफ एक क्लास एक्शन सूट्स दायर किया है। मुकदमा जलवायु संबंधी कानूनी कार्रवाई की एक अंतरराष्ट्रीय लहर का हिस्सा है। बता दें कि स्वीडन के खिलाफ यह केस ऐसे समय में दायर किया गया है जब इसी तरह के एक मामले में नीदरलैंड की अदालत ऐतिहासिक फैसला दे चुकी है। 2019 में नीदरलैंड में एक हाई-प्रोफाइल मामला सामने आया था। उस साल देश की सर्वोच्च अदालत ने फैसला सुनाया था कि ग्लोबल वार्मिंग पर कार्रवाई करने के लिए सरकार का कानूनी दायित्व है। स्वनीडन के खिलाफ मुकदमे में ग्रेटा थनबर्ग और 600 से अधिक अन्य लोग भी शामिल हैं। ये लोग दावा करते हैं कि स्वीडन की जलवायु नीतियां उसके संविधान के साथ-साथ मानवाधिकारों पर यूरोपियन कन्वेंशन का भी उल्लंघन करती हैं। समूह ने केस दायर करते हुए कहा, “स्वीडिश देश वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के वास्ते एक अच्छे वातावरण को बनाने में विफल रहा। इसके अलावा स्वीडन सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक आवश्यकता को पूरा करने में भी विफल रहा है।”
कड़े हों कानून
स्वीडिश दैनिक अखबार डेगेन्स न्येथर के साथ एक इंटरव्यू में, ग्रेट थनबर्ग ने कहा कि उनका मानना है कि जलवायु कानूनों को कड़ा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमारे पास ऐसे कानून नहीं हैं जो जलवायु और पर्यावरणीय संकट के परिणामों से दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करते हों। इसलिए हमें अपने निपटान में बेहतर तरीकों का इस्तेमाल करने और वह सब कुछ करने की आवश्यकता है जो हम कर सकते हैं।” स्टॉकहोम में दायर मुकदमे में कहा गया है कि अदालत सरकार से पेरिस समझौते के लक्ष्यों के अनुरूप ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बनाए रखने के लिए वैश्विक उपायों का अपना “उचित योगदान” दे।

