श्रद्धा हत्याकांड : कोर्ट में बोला आफताब, आवेश में कर दिया कत्ल!

नई दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने अपनी 27 वर्षीय ‘लिव इन पार्टनर’ श्रद्धा वालकर की हत्या करने के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की पुलिस हिरासत मंगलवार को और चार दिन के लिए बढ़ा दी जबकि एक अन्य अदालत ने उसका पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की भी इजाजत दे दी। वहीं, बचाव पक्ष के वकील के मुताबिक, पूनावाला ने अदालत को बताया कि उसने ‘क्षणिक आवेश’ में आकर वारदात को अंजाम दिया। उसने अदालत के समक्ष यह भी कहा कि वह पुलिस के साथ सहयोग कर रहा है। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अविरल शुक्ला ने कहा, जांच अधिकारी द्वारा बताए गए कारणों के मद्देनजर, इस अदालत की यह राय है कि मामले में जांच के निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए आरोपी की पुलिस हिरासत बढ़ाई जाए। तदनुसार, आरोपी को 26 नवंबर तक चार दिनों की अतिरिक्त अवधि के लिए पुलिस हिरासत में भेजा जाता है। न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी ने सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार सूचित किया है कि कि कुछ धार्मिक संगठन या असामाजिक तत्व आरोपी पर हमला कर सकते हैं इसलिए उसे साकेत जिला अदालत के हवालात में पेश किया जा सकता है। न्यायाधीश ने कहा, आईओ से प्राप्त अनुरोध पर और आरोपी की सुरक्षित पेशी सुनिश्चित करने के लिए आज सुबह साढ़े नौ बजे साकेत न्यायालय परिसर के हवालात में मौजूदा कार्यवाही की गई है। अदालत ने आरोपी को वकील अविनाया कुमार द्वारा उपलब्ध कराई गई कानूनी सहायता पर संतुष्टि जताई। अदालत ने कहा कि पूनावाला की पुलिस रिमांड बढ़ाने के लिए पेश आवेदन में आईओ ने कहा कि मृतका श्रद्धा वालकर के जबड़े सहित शरीर के कुछ और अंग 20 नवंबर को एक जंगल से बरामद किए गए थे।

आफताब ने बताया- ब्लेड और आरी गुरुग्राम में फेंके

कुछ रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि आफताब ने मर्डर वेपन के बारे में पुलिस को जानकारी दी है। पूछताछ में बताया कि हत्या के बाद शव के टुकड़े करने के लिए इस्तेमाल किया ब्लेड और आरी उसने गुरुग्राम में फेंके हैं। दिल्ली पुलिस मर्डर वेपन की तलाश के लिए अब तक दो बार गुरुग्राम के जंगली इलाके में सर्चिंग कर चुकी है। अब पुलिस फिर से जंगल में तलाशी अभियान चलाएगी।

सीबीआई की मांग वाली याचिका खारिज

दिल्ली उच्च न्यायालय ने श्रद्धा वालकर हत्या मामले की जांच दिल्ली पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपे जाने का आग्रह करने वाली एक जनहित याचिका मंगलवार को खारिज करते हुए उसे ‘प्रचार हित याचिका’ बताया। अदालत ने याचिकाकर्ता पर जुर्माना भी लगाया लेकिन जुर्माना राशि नहीं बतायी। मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा कि यह प्रचार हित याचिका है तथा याचिका में एक भी सही आधार नहीं है।

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