पुरानी पेंशन योजना पर चुनावी जंग
नई दिल्ली। पुरानी पेंशन योजना की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है। वैसे हर गैर-बीजेपी शासित राज्यों में विपक्ष ये मुद्दा उछाल रहा है। छत्तीसगढ़ और राजस्थान के बाद अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात में इस मामले को तूल दिया जा रहा है। बता दें, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व राजस्स्थान के सीएम अशोक गहलोत केंद्र से एनपीएस में जमा उनके राज्यों के कर्मचारियों के पैसे मांग रहे हैं।इस बीच केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान और छत्तीसगढ़ की मांग को ठुकरा दिया है। सीतारमण ने मीडिया से बात करते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था से जुड़े सवालों के जवाब में कहा कि राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकारें केंद्र से पैसा लौटाने के लिए कह रही हैं, कानून के तहत ऐसा नहीं हो सकता।
कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं : बघेल
छत्तीसगढ़ के सीएम तर्क है कि केंद्र कर्मचारियों का पैसा नहीं लौटा रहा है। उन्होंने एक बयान में कहा है कि केंद्र ने राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के अंतर्गत पंजीकृत राज्य सरकार के कर्मचारियों का 17,000 करोड़ रुपये लौटाने से इनकार कर दिया है। भूपेश बघेल का कहना है कि केंद्र लंबे समय तक पैसा नहीं रख सकता और राज्य सरकार ने इस बारे में कानूनी राय मांगी है और वह अदालत जा सकती है। यानी केंद्र और राज्य इस मामले पर आमने-सामने हो सकते हैं।
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दरअसल, हर चुनाव में भाजपा का अब पुरानी पेंशन स्कीम से मुकाबला होता है। वैसे कई राज्य अपने यहां ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने के ऐलान कर चुके हैं। इनमें अधिकतर कांग्रेस शासित राज्य हैं। इस कतार में राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब हैं। अब हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी चुनाव से पहले कांग्रेस और आप ने चुनाव जीतने पर मतदाताओं को लुभाने के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था को लागू करने का वादा किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि राष्ट्रीय पेंशन योजना में जमा पैसा इसमें योगदान करने वाले व्यक्तियों का है। कानून के तहत राज्य सरकारें इसे नहीं ले सकती हैं, क्योंकि इसपर उसका कोई हक नहीं है। बता दें, दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पुरानी पेंशन व्यवस्था शुरू करने के लिए केंद्र से राष्ट्रीय पेंशन स्कीम के तहत जमा कर्मचारियों के पैसों को लौटाने की मांग की है जबकि इन दोनों राज्यों का कहना है कि केंद्र कर्मचारियों का पैसा नहीं रख सकता है।

