राजीव गांधी के हत्यारे रिहा : 29 साल बाद जेल से छूटी नलिनी बोली- मैं आतंकवादी नहीं हूं

कांग्रेस ने कहा- सुप्रीम कोर्ट ने देश की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सज़ा काट रहे नलिनी श्रीहरन और आरपी. रविचंद्रन समेत छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का निर्देश दिया। वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कांग्रेस ने कहा कि यह पूर्ण रूप से अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत करार दिया है। इधर नलिनी ने कहा, मैं जानती हूं कि मैं आतंकवादी नहीं हूं। कोर्ट का आदेश आने के एक घंटे बाद ही उम्रकैद की सजा काट रहे सभी दोषियों की रिहाई हो गई।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर. गवई और न्यायाधीश बीवी. नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक ए. जी. पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला इनके मामले में भी लागू होता है। इस मामले में नलिनी, रविचंद्रन के अलावा चार दोषियों संतन, मुरुगन, पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को जेल से रिहा किया गया था। उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि जेल में रहने के दौरान दोषियों का आचरण संतोषजनक था। सभी ने विभिन्न विषयों के अध्ययन किए हैं। बता दें कि इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार ने बताया था कि वह राजीव गांधी हत्या मामले में उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन की समय से पूर्व रिहाई के पक्ष में है।

मैं इतने सालों से जेल में सड़ रही थी

मुख्य आरोपी नलिनी ने कहा, ‘मैं इतने सालों से जेल में सड़ रही थी। जिन लोगों ने साथ दिया, उनका शुक्रिया करती हूं। मैं तमिलनाडु के लोगों और वकीलों को मुझ पर भरोसा रखने के लिए धन्यवाद देती हूं।’ ज्ञात हो कि नलिनी की मौत की सज़ा को 2001 में इस बात पर गौर करते हुए आजीवन कारावास में बदल दिया गया था कि उसे एक बेटी है।

इन आरोपियों को किया रिहा

श्रीहरन, रविचंद्रन, संथन, मुरुगन, एजी पेरिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को उम्रकैद की सजा हुई थी। इससे पहले 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पेरिवलन को 30 साल से ज्यादा जेल में रहने के बाद रिहा किया गया। नलिनी और रविचंद्रन, दोनों ही पिछले साल 27 दिसंबर से पैरोल पर हैं। बाकी दोषियों ने भी उसी आदेश का हवाला देकर कोर्ट से रिहाई की मांग की थी।

फांसी की सजा पहले ही उम्रकैद में तब्दील

बता दें कि राजीव गांधी की हत्या के मामले में नलिनी सहित 25 को फांसी की सजा टाडा के स्पेशल कोर्ट ने 1998 में सुनवाई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 19 दोषियों को बरी कर दिया था। चार की फांसी की सजा बरकरार रखी थी। इनमें नलिनी का भी नाम था। अन्य तीन को उम्रकैद की सजा दी गई थी। बाद में तमिलनाडु सरकार ने 2000 में नलिनी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया था। बाकी की सजा भी उम्रकैद में तब्दील हो गई।

दोषियों का जेल में रहकर पढ़ाई की : कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी 30 साल से ज़्यादा का वक्त जेल में गुजार चुके हैं। जेल में उनका व्यवहार अच्छा रहा है। मसलन रॉबर्ट पॉयस ने कई बीमारियों से जूझते हुए डिग्री हासिल की। जयकुमार ने भी जेल में पढ़ाई की। संथन ने कई बीमारियों से जूझते हुए आर्टिकल लिखे, जिनके चलते उसे इनाम भी मिला। नलिनी, रविचंद्रन , मुरुगन का भी जेल में व्यवहार अच्छा रहा है। तीस साल से ज़्यादा के वक़्त जेल में वो रहे है और इस दरमियान उन्होंने पढ़ाई की है।

कांग्रेस ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत

कांग्रेस महासचिव जयराम नरेश ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के अन्य हत्यारों को मुक्त करने का सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अस्वीकार्य और पूरी तरह से गलत है। कांग्रेस इसकी आलोचना करती है और इसे पूरी तरह से अक्षम्य मानती है। दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने भारत की भावना के अनुरूप काम नहीं किया। फैसला गलतियों से भरा हुआ है।

सीएम स्टालिन बोले- फैसले का स्वागत

राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा किए जाने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कहा है- मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। नियुक्त किए गए राज्यपाल को चुनी हुई सरकार के फैसले को नहीं बदलना चाहिए।

सोनिया ने नलिनी को कर दिया था माफ

जब नलिनी को राजीव गांधी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था, तब वह गर्भवती थी। उसकी प्रेग्नेंसी को दो महीने हो गए थे। तब सोनिया गांधी ने नलिनी को माफ कर दिया था। उन्होंने कहा था कि नलिनी की गलती की सजा एक मासूम बच्चे को कैसे मिल सकती है, जो अब तक दुनिया में आया ही नहीं है।

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