-नोटबंदी के 6 साल पूरे
- 2016 में प्रधानमंत्री ने हजार-पांच सौ के नोट किए थे चलन से बाहर
नई दिल्ली। नोटबंदी को छह साल पूरे हो गए हैं और विपक्षी दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार द्वारा 2016 में की गई नोटबंदी को “आर्थिक नरसंहार और आपराधिक कृत्य” करार देते हुए श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है। कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नोटबंदी स्वतंत्र भारत की सबसे बड़ी संगठित लूट थी और 2016 के कदम पर मोदी सरकार को एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए। कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ ने कहा, आज चलन में नकदी 30.88 लाख करोड़ रुपये है, जबकि नवंबर 2016 में यह महज 17.97 लाख करोड़ रुपये थी। कांग्रेस नोटबंदी पर सरकार से श्वेत पत्र की मांग करती है।
2016 में हुई थी नोटबंदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा की थी। इस फैसले का मुख्य मकसद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और काले धन पर अंकुश लगाना तथा आतंकवाद के वित्तपोषण को खत्म करना था।
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पे-पीएम ने 2-3 अरबपति दोस्तों के लिए की थी नोटबंदी
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट में पीएम मोदी पर तंज कसते हुए ‘पेपीएम’ लिखा और कहा, यह 2-3 अरबपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया था। “नोटबंदी ‘पे-पीएम’ द्वारा एक जानबूझकर उठाया गया कदम था ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके 2-3 अरबपति दोस्त छोटे और मध्यम व्यवसायों को खत्म करके भारत की अर्थव्यवस्था पर एकाधिकार कर लें।”
येचुरी ने साधा निशाना
तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता और राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि यह कदम एक “नौटंकी” था। एक नौटंकी जो आर्थिक नरसंहार साबित हुई। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी ने सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि वह “सभी अच्छी समझ, सबूत और सलाह के विरुद्ध, नोटबंदी के आपराधिक कृत्य पर अपना ढोल पीट रही है।” मोदी और उनकी सरकार के दर्प के छह साल, भारतीय अर्थव्यवस्था को खत्म कर दिया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के वरिष्ठ नेता बिनय विश्वम ने भी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि छह साल पहले बड़ी धूमधाम से नोटबंदी का कदम उठाया गया था तथा काला धन और आतंकवाद को समाप्त करने का वादा किया गया था। उन्होंने कहा कि अब यह जायजा लेने का वक्त समय है कि इससे देश को किस प्रकार मदद मिली।
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