भगवान की इच्छा थी इसलिए गिर गया पुल : गुजरात के मोरबी पुल हादसे में गिरफ्तार मैनेजर ने कोर्ट से कहा

डीएसपी ने कोर्ट को बताया कि पुल की केबल को जंग लग गई थी

‘अस्थायी मरम्मत करके पुल खोल देंगे’, सामने आया कलेक्टर को लिखा लेटर

मोरबी। गुजरात पुल हादसे के आरोपियों में से एक ने कोर्ट को बताया ‘भगवान की इच्छा’ की वजह से यह घटना हुई है। यह टिप्पणी 150 साल पुराने पुल के रखरखाव के लिए जिम्मेदार ओरेवा कंपनी के मैनेजर दीपक पारेख ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट एमजे खान के कोर्ट में की है। वह रविवार को पुल दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद गिरफ्तार किए गए नौ लोगों में से एक हैं। इधर आरोपों के बीच ओरेवा कंपनी का एक लेटर सामने आया है जो मोरबी के कलेक्टर को लिखा गया था। उस लेटर में कहा गया है कि अगर ओरेवा कंपनी को ब्रिज का परमानेंट कॉन्ट्रेक्ट नहीं मिला तो पुल की पूरी मरम्मत नहीं हो पाएगी। लेटर में ये साफ लिखा है कि वो सिर्फ अस्थाई रिपेयर कर ही इस ब्रिज को खोल देगी।

गुजरात के मोरबी में हुए भयंकर हादसे ने कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। ओरेवा कंपनी, जिसने रिनोवेशन किया था, उस पर भी कई तरह के आरोप हैं। अब उन आरोपों के बीच ओरेवा कंपनी का ही एक लेटर सामने आया है जो मोरबी के कलेक्टर को लिखा गया था। उस लेटर में कहा गया है कि अगर ओरेवा कंपनी को ब्रिज का परमानेंट कॉन्ट्रेक्ट नहीं मिला तो पुल की पूरी मरम्मत नहीं हो पाएगी।

केबल में लग गई थी जंग, नहीं बदला गया

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट हाजिर मोरबी के डीएसपी ने कोर्ट को बताया कि पुल की केबल को जंग लग गई थी और मरम्मत करने वाली कंपनी ने इसे नहीं बदला था। प्रशासन की मंजूरी या क्वालिटी चेक के बिना 26 अक्टूबर को पुल को जनता के लिए फिर से खोल दिया गया था। इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई है और अनेक लोग घायल हैं।

ओरेवा का मोरबी कलेक्टर को लेटर

जानकारी के लिए बता दें कि ओरेवा कंपनी की तरफ से दो साल पहले 20 अगस्त को मोरबी के कलेक्टर को ये लेटर लिखा गया था। इस लेटर में ओरेवा ने लिखा था कि अगर कंपनी को मोरबी के सस्पेंशन ब्रिज का परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलेगा तो ऐसी स्थिति में सही तरीके से पूरा रिपेयर नहीं हो पाएगा। सिर्फ अस्थायी काम किया जाएगा।

चिठ्ठी में लिखा अस्स्थायी रिपेयर कर खोल देंगे पुल्र

चिट्ठी में यहां तक कहा गया है कि अगर सिर्फ रिपेयरिंग का ही काम होने वाला है, उस स्थिति में कंपनी कोई भी मटेरियल या सामान मरम्मत के लिए ऑर्डर नहीं करेगी। शर्त ये रखी गई कि जब तक परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलेगा, काम भी पूरा नहीं किया जाएगा। ओरेवा कंपनी ने लेटर में ये साफ लिखा है कि वो सिर्फ अस्थाई रिपेयर कर ही इस ब्रिज को खोल देगी।

चिठ्ठी ने खड़े किए कई सवाल

अब इस चिट्ठी का सामने आना कई तरह के सवाल खड़े कर रहा है. क्या परमानेंट कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलने की वजह से ओरेवा ने अपना काम ठीक तरह से नहीं किया? क्या जिस प्रकार के मटेरियल का इस्तेमाल होना था, रिपेयर में जिन चीजों की जरूरत पड़नी थी, क्या उन्हें नजरअंदाज कर दिया गया? जो चिट्ठी सामने आई है, वो तो मोरबी के कलेक्टर से लेकर ओरेवा कंपनी को कटघरे में खड़ा करती है।

एल्यूमीनियम शीट के कारण बढ़ा वजन

एक अभियोजक पक्ष ने कोर्ट को बताया कि पुल की मरम्मत करने वाले ठेकेदार सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के रखरखाव के लिए योग्य नहीं थे। उन्होंने कहा, ‘इसके बावजूद साल 2007 और 2022 में इन ठेकेदारों को पुल के मरम्मत का काम दिया गया। केबल नहीं बदले गए थे, ऐसे में वह नए फर्श का वजह नहीं सहन कर पाए और टूट गए। फर्श में इस्तेमाल होने वाली चार-परत वाली एल्यूमीनियम शीट की वजह से पुल का वजन बढ़ गया था।

केबल का सुधार नहीं, सिर्फ फर्श बदला

कोर्ट में उपस्थित पुलिस अधिकारी ने बताया कि मरम्मत के दौरान पुल का केवल फर्श बदला गया था। पुल के केबल पर ना कोई तेल लगाया गया, ना ही किसी तरह के ग्रीसिंग का काम किया गया। जहां से केबल टूटी है, वहां जंग लगी हुई थी। अगर केबल की मरम्मत की जाती तो यह हादसा नहीं होता।

मैनेजिंग डायरेक्टर अब तक फरार

मरम्मत करने वाली कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुखभाई पटेल हादसे के बाद से गायब हैं। पटेल को आखिरी बार उनके परिवार के साथ पुल के दोबारा खुलने के वक्त देखा गया था। ओरेवा कंपनी का अहमदाबाद स्थित फार्महाउस को ताला लगा है और उसमें कोई भी नहीं है। हादसे को लेकर दाखिल की गई पुलिस शिकायत में कॉन्ट्रेक्ट करने वाले ओरवा और मोरबी नगर निकाय के शीर्ष अधिकारियों के नाम का जिक्र नहीं है।

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