- छोटे कर्मियों को गिरफ्तार कर की गई है खानापूर्ति
-हादसे में जान गंवा चुके हैं 100 से ज्यादा लोग
नई दिल्ली। गुजरात के मोरबी जिले में पुल हादसे के बाद बीजेपी (भाजपा) सरकार विपक्ष के निशाने पर है। रविवार (30 अक्टूबर) को हुए इस हादसे में 100 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है। इस दुर्घटना के बाद पुलिस ने केस दर्ज करते हुए सोमवार को 9 लोगों को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें पुल मैनेजर, 2 कॉन्ट्रेक्टर, 3 गार्ड, 3 टिकट क्लर्क शामिल हैं। इसी बीच मोरबी नगर पालिका के उपाध्यक्ष ने बातचीत में ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख पटेल का नाम लेकर उन्हें हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया है। हालांकि कंपनी के मालिक की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
कंपनी मालिक का नाम एफआईआर में नहीं
ओरेवा कंपनी के मालिक जयसुख भाई पटेल का नाम भी पुलिस एफआईआर में नहीं है। इस पुल के लिए कंपनी ने स्थानीय नागरिक निकाय से फिटनेस प्रमाण पत्र भी नहीं लिया था। साथ ही इसे समय से पहले खोला गया। हादसे के वक्त पुल पर लोगों की संख्या भी ज्यादा थी। ऐसे में विपक्ष राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहा है। साथ ही ये सवाल भी उठ रहा है कि क्या मोरबी हादसे में सरकार किसी को बचा रही है?
कंपनी मालिक ने कहा था- 10 साल चलेगा पुल
बता दें कि, मोरबी नगर निगम ने घड़ियां और ई-बाइक बनाने वाली कंपनी ओरेवा ग्रुप को इस पुल की मरम्मत का काम सौंपा था। मरम्मत के बाद पुल जब 26 अक्टूबर को जनता के लिए खोला गया तो उस वक्त ओरेवा ग्रुप के जयसुख पटेल ने कहा था कि उनकी कंपनी ने मरम्मत पर दो करोड़ रुपये खर्च किए हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि ये पुल आराम से 8 से 10 साल तक चलेगा।
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कांग्रेस ने पूछा- क्या यह एक्ट ऑफ फ्रॉड
इस हादसे को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पूछा कि मोरबी के पुल की दुर्घटना ‘एक्ट ऑफ गॉड’ है या ‘एक्ट ऑफ फ्रॉड’ है? साथ ही उन्होंने कहा कि 6 महीने से पुल की मरम्मत की जा रही थी। इसमें कितना खर्च आया? 5 दिनों में पुल गिर गया। 27 साल से बीजेपी की सरकार है, क्या यही है आपका विकास मॉडल?
हादसा नहीं यह धोखाधड़ी : शिवसेना
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने कहा कि गुजरात सरकार इस हादसे में लोगों की मौत पर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकती। इस घटना को धोखाधड़ी, साजिश का कृत्य कहा जाना चाहिए, हादसा नहीं।
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सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा मामला
मोरबी पुल हादसे का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गया है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार (1 नवंबर) को कहा कि वह मोरबी में पुल गिरने की घटना की जांच के लिए न्यायिक आयोग गठित करने संबंधी जनहित याचिका पर 14 नवंबर को सुनवाई करेगा।
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