विदेशी विवि के सहयोग से ऑनलाइन पीएचडी मान्य नहीं

यूजीसी और एआईसीटीई ने की घोषणा, छात्राें को किया अलर्ट

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने शुक्रवार को घोषणा की कि विदेशी शिक्षण संस्थानों के सहयोग से ‘एडटेक’ कंपनियों द्वारा पेश ऑनलाइन पीएचडी पाठ्यक्रम मान्य नहीं हैं। यूजीसी और एआईसीटीआई ने छात्रों के लिए इस साल दूसरी बार ऐसी चेतावनी जारी की है। इस साल की शुरुआत में यूजीसी और एआईसीटीई ने अपने मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और संस्थानों को एड-टेक कंपनियों के सहयोग से दूरस्थ शिक्षा और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की पेशकश के प्रति आगाह करते हुए कहा था कि मानदंडों के अनुसार, कोई फ्रैंचाइजी समझौता स्वीकार्य नहीं है। यूजीसी और एआईसीटीआई की ओर से जारी संयुक्त बयान के अनुसार, पीएचडी डिग्री प्रदान करने के मानकों को बनाए रखने के लिए, यूजीसी ने यूजीसी (एमफिल, पीएचडी डिग्री प्रदान करने हेतु न्यूनतम मानक एवं प्रक्रिया) विनियमन 2016 को अधिसूचित किया है। पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए सभी उच्च शिक्षण संस्थानों (एचईआई) के लिए यूजीसी की ओर से जारी विनियमन और इसके संशोधनों का पालन करना अनिवार्य है। बयान में कहा गया है कि छात्रों और आम लोगों को सलाह दी जाती है कि वे विदेशी शिक्षण संस्थानों के सहयोग से एडटेक कंपनियों की तरफ से दिए गए ऑनलाइन पीएचडी कार्यक्रमों के विज्ञापनों के बहकावे में न आएं।

आदेश में क्या

आदेश के अनुसार, ऐसे ऑनलाइन पीएचडी कार्यक्रम यूजीसी द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं हैं। इच्छुक छात्रों और आम लोगों से अनुरोध है कि दाखिला लेने से पहले यूजीसी विनियमन 2016 के अनुसार पीएचडी कार्यक्रमों की प्रामाणिकता सत्यापित करें।

पहले भी किया था आगाह

इसके पहले सरकार ने जुलाई में एडटेक कंपनियों को अनुचित व्यापार व्यवहार के प्रति आगाह किया था। सरकार देश में संचालित एडटेक कंपनियों को विनियमित करने के लिए नीति बनाने पर भी काम कर रही है। प्रस्तावित नीति का मकसद एकाधिकार पर रोक लगाना और विद्यार्थियों को उन एडटेक मंचों के शोषण से बचाना है जो आकर्षक वादे या अनुचित व्यवहार करते हैं।

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यूट्यूब ने कहा- लोकसभा चुनाव के लिए स्पष्ट नीति, गलत सूचनाएं जल्द हटाएंगे

नई दिल्ली। यूट्यूब ने कहा कि हमारे पास भारत में 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए स्पष्ट नीति है। हम गलत सूचनाओं के कंटेंट को जितनी जल्दी संभव होता है अपने प्लेटफॉर्म से हटाते हैं और हमारा दृष्टिकोण व्यापक है। यह दावा यूट्यूब के चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर और गूगल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नील मोहन ने टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और सोसाइटी के जुड़े एक सम्मेलन में वर्चुअली हिस्सा लेते हुए किया। नील मोहन ने कहा कि हमारा दृष्टिकोण काफी व्यापक है। यह सुनिश्चित कर रहा है कि चुनावी पवित्रता या चुनावों से संबंधित संभावित गलत सूचनाओं के बारे में हमारी स्पष्ट नीति है।

मतदान कैसे करें, कहां मतदान करें, उम्मीदवार की देनदारी आदि सभी प्रकार की चीजें चुनाव के दौरान आती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारी नीति है कि गलत जानकारी के कंटेंट को जितनी जल्दी हो सके, हटा देते हैं। हमारे पास हिंसा, हिंसा को भड़काने, भड़काऊ भाषण को लेकर संदर्भ, नीतियां हैं जो यह सुनिश्चित करती हैं कि चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से हों जिससे लोग खुद को सुरक्षित महसूस करें।

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