समाजवादी पार्टी के संरक्षक और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया। आज उनके पैतृक गांव सैफई में उनका अंतिम संस्कार होगा। इसमें देशभर के कई दिग्गज राजनीतिक हस्तियां शामिल होंगी। 
यूं तो राजनीति में दुश्मन ज्यादा होते हैं, लेकिन मुलायम के साथ ऐसा नहीं था। मुलायम अपने विरोधियों को भी अपना दोस्त बनाकर रखते थे। दोस्ती भी ऐसी की वैचारिक मतभेद होने के बावजूद लोग उनकी हर तरह से मदद करते थे। आज हम आपको मुलायम सिंह यादव के ऐसे ही दस दोस्तों से रूबरू कराएंगे। 
. कपिल देव सिंह: समाजवादी नेता कपिलदेव सिंह और मुलायम सिंह यादव की दोस्ती काफी चर्चित रही। दोनों के रिश्ते समाजवादी आंदोलन के समय की थी। कपिल बिहार के रहने वाले थे। बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह कपिल को खूब पसंद करते थे। राममनोहर लोहिया भी कपिल का सम्मान करते थे। कपिल कर्पूरी ठाकुर की सरकार में मंत्री भी थे। हालांकि, मुलायम से उनके रिश्ते काफी अलग थे। जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने कपिल को अपने मंत्रिमंडल में शामिल करना चाहा। कई बार कपिल को मंत्री पद का ऑफर भी दिया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। बताया जाता है कि उस वक्त कपिल ने साफ कह दिया था कि वह संगठन में काम करके अपने दोस्त को मजबूत बनाएंगे। यही कारण है कि उन्हें समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय प्रधान महासचिव बना दिया गया। कपिल आजीवन सपा के महासचिव रहे। 2002 में जब कपिलदेव का निधन हुआ तो मुलायम की आंखें भर आईं थी। वह उनके अंतिम संस्कार में भी पहुंचे थे।
2. जनेश्वर मिश्र : छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र ने मुलायम से पहले राजनीति में कदम रखा था। वह राम मनोहर लोहिया के करीबी नेताओं में शामिल थे। 1967 में जब मुलायम पहली बार चुनाव लड़े तो उन्होंने अपनी मदद के लिए जनेश्वर मिश्र को ही बुलाया। यहीं से दोनों की दोस्ती मजबूत हो गई। जनेश्वर मिश्र को संगठन का खिलाड़ी माना जाता था। वह इलेक्शन मैनेजमेंट में भी माहिर थे। कैसे माहौल बनाना है, जनेश्वर को बखूबी आता था। एक बार दोस्ती होने के बाद जनेश्वर ने मरते दम तक मुलायम सिंह यादव का साथ दिया। वह हमेशा मुलायम के पीछे खड़े रहे और ताकत दी। 1992 में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी की स्थापना की तो जनेश्वर मिश्र को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया।
3. अमर सिंह : मुलायम का सबसे ज्यादा नाम अमर सिंह के साथ ही जोड़ा जाता है। यूं तो उम्र में अमर सिंह छोटे थे, लेकिन वह मुलायम की जिंदगी का हर राज जानते थे। मुलायम की जिंदगी में किसी पारिवारिक सदस्य से भी ज्यादा अमर सिंह का दखल था। 90 के दशक में दोनों करीब आए। अमर सिंह ने ही मुलायम की दूसरी शादी साधना गुप्ता से कराई थी। समाजवादी पार्टी और खुद मुलायम सिंह यादव को देश की बड़ी फिल्मी हस्तियों के साथ जोड़ने वाले भी अमर सिंह ही थे। उन्होंने मुलायम और अमिताभ बच्चन की दोस्ती कराई। जयाप्रदा को सपा से जोड़ा। 2010 में अमर सिंह को सपा ने बाहर का रास्ता दिखा दिया। तब अमर सिंह ने मुलायम पर भी निशाना साथा, लेकिन वह हमेशा इसे हंसकर टाल देते थे। बाद में फिर से मुलायम उन्हें पार्टी में लेकर आए और राज्यसभा का सांसद बनाया।
4. बृजभूषण तिवारी : मुलायम और बृजभूषण की दोस्ती भी लोहिया आंदोलन के समय की थी। बृजभूषण और डॉ. राममनोहर लोहिया अच्छे दोस्त हुआ करते थे। आंदोलन के दौरान ही मुलायम भी बृजभूषण के नजदीक आए। दोनों की दोस्ती इस कदर थी कि दोनों ने हर स्तर पर एक-दूसरे का साथ दिया। 1991 में एक बार बृजभूषण का मुलायम ने खुले मंच से बृजभूषण का प्रचार किया और हवा का रूख बदल दिया। नतीजा निकला कि बृजभूषण भारी मतों से चुनाव जीत गए। 
 
आजम खान : यूपी में बड़े अल्पसंख्यक नेता आजम खान और मुलायम की दोस्ती चर्चित रही है। बीच में दरार भी पड़ी, लेकिन फिर सब ठीक हो गया। ये दरार पहली बार तब पड़ी जब मुलायम और कल्याण सिंह एकसाथ आ गए। कल्याण पर बाबरी कांड का आरोप था। इसके बावजूद उन्हें साथ लाने से आजम खान नाराज हुए। दूसरी बार अमर सिंह के चलते आजम ने पार्टी छोड़ दी। ये बात 2009 की है। हालांकि, बाद में सब ठीक हो गया। आजम वापस पार्टी में शामिल हो गए। तब मुलायम और आजम के आंखों में आंसू थे।
कल्याण सिंह : यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह से मुलायम की दोस्ती काफी चर्चा में रही है। कल्याण सिंह पर बाबरी कांड का आरोप लगा, वहीं मुलायम पर कारसेवकों पर गोली चलवाने का। दोनों के राजनीतिक विचारधारा बिल्कुल अलग थी, इसके बावजूद दोनों की दोस्ती बनी रही। 1992 में मुलायम सिंह को मुल्ला मुलायम तो कल्याण सिंह को हिंदू हृदय सम्राट कहा गया। 2009 में जब कल्याण सिंह और भाजपा के बीच अनबन हुई तो उन्होंने नई पार्टी बना ली। तब आगरा में मुलायम और कल्याण सिंह एकसाथ एक मंच पर आए।
नारायण दत्त तिवारी : इस दोस्ती को भी हमेशा याद रखा जाएगा। जब नारायण दत्त तिवारी यूपी के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, तो मुलायम नेता प्रतिपक्ष थे। सदन में दोनों एक-दूसरे का खुलकर विरोध करते थे। दोनों के बीच वैचारिक मतभेद भी हुआ करता था, लेकिन इसके बावजूद दोनों निजी तौर पर अच्छे दोस्त रहे। एनडी तिवारी और मुलायम खुद अपनी दोस्ती के कई किस्से बता चुके हैं। मुलायम कहते थे कि दोनों को जब कोई सलाह लेनी होती थी, तो बेहिचक एक-दूसरे से बात कर लिया करते थे।


 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
                                                    
                                                                                                 
			     
                                        
                                     
                                        
                                     
                                        
                                    