-इस साल का क्वांटम भौतिकी के लिए दिया गया है भौतिकी में नोबेल
-विजेताओं ने क्वांटम संलिप्तताओं के बारे में कुछ पुरानी धारणाओं को किया है खारिज
नई दिल्ली। साल 2022 का भौतिकी नोबेल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों को क्वांटम भौतिकी में बड़े और अहम प्रयोगों के लिए दिया गया है। रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज के मुताबिक एलेन एस्पेक्ट, जॉन एफ क्लॉजर और एंटोन जिलिंगर को “उनके संलिप्त फोटोन पर किए गए प्रयोगों के लिए दिया जा रहा है जिससे क्वांटम विज्ञान की अहम जानकारी और बेल असमानताओं का उल्लंघन स्थापित किया जा सका। इन प्रयोगों के जरिए इन वैज्ञानिकों ने महान भौतिकविद अल्बर्ट आइंस्टीन की कुछ धारणाओं को भी गलत साबित किया है। क्वांटम यांत्रिकी भौतिकी में शास्त्रीय यांत्रिकी से हटकर एक अलग उभरता हुए क्षेत्र है जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह दुनिया में अलग तरह की क्रांति लाने वाली है।
क्या है क्वांटम भौतिकी
क्वांटम भौतिकी का सिद्धांत परमाणु और उससे भी छोटे कणों के संसार की व्याख्या करता है जिसमें भौतिकी के सामान्य शास्त्रीय सिद्धांत लागू नहीं होते हैं बल्कि उससे काफी अलग ही तरह से कणों की व्याख्या होती है। शास्त्रीय भौतिकी में समीकरणों के जरिए वस्तुओं के व्यवहार का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। जैसे अगर किसी भार वाली वस्तु को पृथ्वी पर कुछ ऊंचाई से छोड़ा जाएगा तो वह त्वरण के साथ नीचे गिरेगी।
स्थिति की संभावना
क्वांटम भौतिकी कणों को अलग ही नजरिए से देखती है। किसी निश्चित नतीजे के पूर्वानुमान लगाने की जगह क्वांटम भौतिकी हमें किसी स्थान विशेष में उपपरमाणु कणों के पाए जाने की संभावना को बताती है। किसी भी एक यादृच्छिक या बेतरतीब स्थान से मापन करने से पहले कोई कण वास्तव में एक ही समय पर कई जगह पर हो सकता है।
यह था आइंस्टीन का मानना
अल्बर्ट आइंस्टीन इस सिद्धांत केबा रे में शुरु में काफी असहज थे। वे मानते थे कि यह एक गलत सिद्धांत है। उनका मानना था कि परिणाम बेतरतीब होने की जगह जरूर कुछ ऐसे छिपे हुए बल या नियम होने चाहिए जिन्हें हम तो नहीं देख या समझ पा रहे हैं, लेकिन वे हमारे मानप के पूर्वानुमान लगाने की क्षमता को जरूर प्रभावित कर रहे हैं।
जॉन बेल के परीक्षण
लेकिन कई भौतिकविदों ने क्वांटम यांत्रिकी को अपनाया जिनमें उत्तरी आयरलैंड के जॉन बेल भी शामिल थे। उन्होंने 1964 में एक महत्वपूर्ण सैद्धांतिक परीक्षण निर्मित किया जो यह दर्शाता सकता था कि आइंस्टीन जिस तरह के छिपी हुई राशियों (बल या नियमों) की बात कर रहे हैं उनका कोई अस्तित्व नहीं हैं। क्वांटम यांत्रिकी के सिद्धांतों के अनुसार कण आपस में संलिप्त या उलझे हुए या असामान्य रूप से जुड़े हुए हो सकते हैं जिससे हम अगर एक का आंकलन करते हैं तो हम स्वतः और फौरन ही दूसरे के बारे में पता लगा सकते हैं।
आइंस्टीन के सिद्धांत के उल्लंघन की संभावना
यदि दूर स्थित कण रहस्यमयी तरह से एक दूसरे को तुरंत प्रभावित कर सकते हैं, और इसकी कणों के एक दूसरे से छिपे हुए कारकों के जरिए हो रहे संचार की व्याख्या की जा सके तो इससे दोनों के बीच में प्रकाश से भी तेज गति से संचार होता होगा। और यह खुद आइंस्टीन के सिद्धांतों का उल्लंघन होगा जिसके मुताबिक कोई भी कण प्रकाश की गति से तेज नहीं जा सकता है।
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