आईपीएस मुकेश गुप्ता को झटका… हाईकोर्ट ने माना- प्रमाेशन नहीं दिया जाना सही फैसला

  • हाईकोर्ट की डिवीजन बैंच ने शासन के पक्ष में दिया फैसला
  • कैट और सिंगल बेंच के आदेश को पलटा, ऐडीजी से ही होंगे रिटायर

बिलासपुर। आईपीएस मुकेश गुप्ता को हाईकोर्ट से झटका लगा है। प्रमोशन मामले में शासन की याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने कैट जबलपुर और सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस दीपक तिवारी की डिवीजन बेंच ने आईपीएस मुकेश गुप्ता के प्रमोशन आदेश निरस्त करने के राज्य शासन के फैसले को सही ठहराया है। कोर्ट ने कैट से आईपीएस को दी गई राहत के आदेश को भी निरस्त कर दिया है। फैसले के बाद अब मुकेश गुप्ता बतौर एडीजी ही सेवानिवृत्त होंगे। मुकेश गुप्ता इसी महीने 30 सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। वे 1988 बैच के छत्तीसगढ़ कैडर के आईपीएस हैं।

गौरतलब है कि साल 2018 में मुकेश गुप्ता का प्रमोशन एडीजी से डीजी के तौर पर हुआ था। 2019 में राज्य शासन ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को निरस्त कर दिया। शासन के इस निर्णय और ऑब्जरवेशन को चुनौती देते हुए आईपीएस श्री गुप्ता ने कैट में याचिका लगाई। कैट ने सुनवाई के बाद मुकेश गुप्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए पदस्थापना का आदेश सुनाया। इसके खिलाफ राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका पेश की। मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने कैट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी। हाइकोर्ट में 22 अगस्त 2022 से इस पर अंतिम बहस शुरू की गई। चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बहस की।

केंद्र से नहीं ली गई थी अनुमति

राज्य शासन ने हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच को अपील की थी। शासन का पक्ष रखते हुए उपमहाधिवक्ता जितेंद्र पाली ने बताया था कि उन्हें केंद्र सरकार के परमिशन के बिना ही प्रमोशन दिया गया था। जबकि इसके लिए केंद्र सरकार से अनुमति लेनी चाहिए थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद डिवीजन बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा था। बुधवार को आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट ने शासन की अपील को स्वीकार कर लिया है।

यह था मामला

निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता को राज्य शासन ने पूर्व में 2018 में प्रमोशन देकर एडीजी से डीजी बना दिया था। तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। इसके बाद कांग्रेस ने चुनाव जीता। सरकार ने उनके खिलाफ हुई शिकायतों के आधार पर जांच कराई। आरोप सही पाए गए और उनके खिलाफ अलग-अलग कई आपराधिक प्रकरण दर्ज किए गए। इसके साथ ही साल 2019 में उनके प्रमोशन आदेश को निरस्त कर दिया गया।

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