—केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई के बाद गृह मंत्रालय का एक्शन
00 राज्यों में हिंसा, देश के खिलाफ साजिश और टेरर फंडिग
00 अब तक 300 से अधिक पीएफआई सदस्यों की गिरफ्तारी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से ‘संबंध’ होने के कारण पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है। पीएफआई और उसके नेताओं से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। आतंकवाद रोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत प्रतिबंधित संगठनों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन, कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया, ऑल इंडिया इमाम काउंसिल, नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन, नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल के नाम शामिल हैं। इस 16 साल पुराने संगठन के खिलाफ मंगलवार को सात राज्यों में छापेमारी के बाद 150 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया या गिरफ्तार किया गया। इससे पांच दिन पहले भी देशभर में पीएफआई से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी की गई थी और करीब 100 से अधिक लोगों को उसकी कई गतिविधियों के लिए गिरफ्तार किया गया था, जबकि काफी संख्या में संपत्तियों को भी जब्त किया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से मंगलवार देर रात जारी एक अधिसूचना के अनुसार, पीएफआई के कुछ संस्थापक सदस्य ‘स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया’ के नेता हैं और पीएफआई के जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) से भी जुड़े हैं। जेएमबी और सिमी दोनों ही प्रतिबंधित संगठन हैं। अधिसूचना में कहा गया कि पीएफआई के ‘इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया’ (आईएसआईएस) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ संबंधों के भी कई मामले सामने आए हैं। अधिसूचना में दावा किया गया कि पीएफआई और उसके सहयोगी या मोर्चे देश में असुरक्षा होने की भावना फैलाकर एक समुदाय में कट्टरता को बढ़ाने के वास्ते गुप्त रूप से काम कर रहे हैं, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि पीएफआई के कुछ कार्यकर्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए हैं। अधिसूचना में कहा गया, उक्त कारणों के चलते केंद्र सरकार का दृढ़ता से यह मानना है कि पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए उसे और उसके सहयोगियों या मोर्चों को तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी संगठन घोषित करना जरूरी है। संबंधित अधिनियम की धारा-3 की उपधारा (3) में दिए गए अधिकार का इस्तेमाल करते हुए इसे गैर-कानूनी घोषित किया जाता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा कि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने का सुझाव दिया था। अधिसूचना में दावा किया गया कि पीएफआई, उसके सहयोगी या उससे संबद्ध मोर्चे देश में आतंक का माहौल पैदा करने के इरादे से हिंसक आतंकवादी कृत्यों में शामिल रहे हैं, जिससे राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था को खतरा उत्पन्न होता है। अधिसूचना में आरोप लगाया गया कि पीएफआई आतंक-आधारित दमनकारी शासन को बढ़ावा देते हुए उसे लागू करने की कोशिश कर रहा है, देश के प्रति वैमनस्य उत्पन्न करने के लिए राष्ट्र विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने और समाज के एक विशेष वर्ग को कट्टरपंथी बनाने की लगातार कोशिश कर रहा है। इसमें कहा गया है कि संगठन ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है, जो देश की अखंडता, सुरक्षा व संप्रभुता के लिए खतरा हैं। गृह मंत्रालय ने दावा किया कि जांच में पीएफआई और उसके सहयोगियों या मोर्चों के बीच संबंध के स्पष्ट सबूत मिले हैं। अधिसूचना में कहा गया कि ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ पीएफआई सदस्यों के जरिए कोष एकत्रित करता है।
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इन संगठनों पर प्रतिबंध
रिहैब इंडिया फाउंडेशन
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया
ऑल इंडिया इमाम काउंसिल
नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन
नेशनल विमेन फ्रंट, जूनियर फ्रंट
एम्पावर इंडिया फाउंडेशन
रिहैब फाउंडेशन, केरल
जूनियर फ्रंट
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कार्यालय से हटाया बोर्ड
प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नवी मुंबई स्थित कार्यालय पर लगे बोर्ड को भारी सुरक्षा के बीच बुधवार को हटा दिया गया। ठाणे जिला में संगठन के अन्य कार्यालयों को भी बंद कर दिया गया है। उल्लेखनीय है कि पुलिस और अपराध शाखा के अधिकारियों ने राज्यव्यापी कार्रवाई के तहत पीएफआई के चार कार्यकर्ताओं को ठाणे जिले से गिरफ्तार किया था। इनमें से दो को मुंब्रा से और एक-एक को क्रमश: कल्याण और भिवंडी से गिरफ्तार किया गया था।
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जब्त होगी संपत्ति, बैंक खातों पर रोक
पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना के बाद संगठन के खिलाफ कई कार्रवाई की जाएगी। इनमें संपत्तियों को जब्त करना, बैंक खातों पर रोक लगाना और इसकी सामान्य गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना शामिल है। केन्द्र सरकार, संगठन को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं, इस पर निर्णय के लिए अधिसूचना के प्रकाशन की तारीख से 30 दिनों के भीतर एक न्यायाधिकरण का भी रुख करेगी।
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बंद होंगी वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट्स
केंद्र ने इन संगठनों की वेबसाइटों और सोशल मीडिया अकाउंट को ब्लॉक करने के लिए एक टेकडाउन ऑर्डर जारी किया है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि पीएफआई जैसे संगठन अपनी गतिविधियों का प्रचार न कर सकें। सरकारी आदेश के तहत पीएफआई की आधिकारिक वेबसाइट, इसके ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम अकाउंट, यूट्यूब चैनल और अन्य सभी ऑनलाइन उपस्थिति को भी ब्लॉक किया जा रहा है।
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गिरीराज बोले– बाय बाय पीएफआई
पीएफआई पर बैन लगने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह ने ट्वीट किया है। सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा- बाय बाय पीएफआई। वहीं असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि मैं भारत सरकार की ओर से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने के फैसले का स्वागत करता हूं। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए दृढ़ है कि भारत के खिलाफ विभाजनकारी या विघटनकारी डिजाइन से सख्ती से निपटा जाएगा।
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भाजपा ने उचित, विपक्ष बोला- संघ पर भी लगाएं पाबंदी
भाजपा ने सरकार द्वारा पीएफआई व उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगाए जाने के ‘उचित समय पर ठोस कदम’ करार देते हुए कांग्रेस पर भारत विरोधी ताकतों के साथ खड़े होने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ, कई विपक्षी नेताओं ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित करने की मांग की।
विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने एक ट्वीट में कहा, राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पीएफआई और उसके अनुषांगिक संगठनों पर लगाया गया प्रतिबंध सराहनीय एवं स्वागत योग्य है। भाजपा महासचिव सी टी रवि ने इस कदम के लिए अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि पीएफआई को कांग्रेस ने पोषित किया। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा, कांग्रेस पार्टी हमेशा से सभी प्रकार की सांप्रदायिकता की खिलाफ रही है, हम बहुसंख्यकवाद या अल्पसंख्यकवाद के आधार पर धार्मिक उन्माद में फ़र्क़ नहीं करते। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को एक ‘हिंदू कट्टरपंथी संगठन’ करार दिया और कहा कि उस पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी ने बुधवार को कहा कि पॉपुरल फ्रंट ऑफ इंडिया जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाना समाधान नहीं है बल्कि बेहतर विकल्प यह होता कि उन्हें राजनीतिक रूप से अलग-थलग कर उनकी आपराधिक गतिविधियों के खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाती। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने हालांकि हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता।
पांच साल का ही बैन क्यों?
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने कहा, अभी एनआईए की प्रारंभिक जांच के आधार पर गृह मंत्रालय ने ये आदेश जारी किया है। किसी भी संगठन को खत्म करने के लिए शुरुआती पांच साल काफी अहम होते हैं। इन पांच साल में अगर सही से कानूनी शिकंजा कसता है तो इस संगठन के सभी गलत लोगों का तार कट जाएगा। जो सरकार के लिए बड़ी उपलब्धि होगी। श्री उपाध्याय ने कहा कि अभी इसकी जांच जारी है और चार्जशीट फाइल होनी है। प्रारंभिक जांच में कई अहम सबूत मिले। कई ने गवाही दी, जिसके आधार पर एक ये बड़ा एक्शन हुआ है। आगे चार्जशीट फाइल करते समय सरकार इन संगठनों पर हमेशा के लिए पाबंदी लगा सकती है। ये भी सबूत के आधार पर होगा।
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