तोपखानों का आधुनिकीकरण कर रही सेना

भारतीय सेना का तोपखाना (आर्टिलरी) आधुनिकीकरण की प्रक्रिया से गुजर रहा है और सेना का ये प्लान है कि वर्ष 2040 तक सभी आर्टिलरी रेजिमेंट को 155 mm मीडिया में तब्दील कर दिया जाए. इसके साथ ही आर्टिलरी में भविष्य में सिर्फ स्वदेशी तोपों को शामिल करने की दिशा में काम चल रहा है। स्वदेशी तोप धनुष की एक रेजिमेंट सेना को मिल भी चुकी है और नॉर्दर्न बॉर्डर पर तैनात भी किया जा चुका है। सूत्रों के मुताबिक़, दूसरे रेजिमेंट की 18 गन अगले साल यानी मार्च 2023 तक मिलने की उम्मीद है।

इसके साथ ही स्वदेशी टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) और माउंटेड गन सिस्टम खरीदने पर भी काम चल रहा है। ATAGS ट्रायल के अडवांस स्टेज में है। डीआरडीओ और स्वदेशी प्राइवेट सेक्टर ने मिलकर इसे डिजाइन किया और बनाया है। इसमें 25 लीटर का चेंबर है, जो लॉग रेंज है और रेपिड फायर हो सकता है। इसके यूजर ट्रायल हो गए हैं जो संतोषजनक रहे है, लेकिन अभी अन्य प्रक्रियाओं में कुछ देरी हो रही है।

बोफोर्स तोपों को किया जाएगा रिटायर

दरअसल बोफोर्स गन को सेना में शामिल हुए 36 साल हो गए है और इन्हें अब रिटायर किया जाना है। सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक़, पिछले 5 साल में जितनी भी गन ली गई है, वे बस अमेरिका से ली गई. M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर के अलावा सभी स्वदेशी हैं। सूत्रों की मानें तो M-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर की रेजिमेंट 3 से बढ़कर अब 7 तक हो गई है और अभी फ़िलहाल अतिरिक्त गन लेने की कोई ज़रूरत नहीं है। अगर हम आआर्टिलरी रेजिमेंट की बात करें तो हर रेजिमेंट में 3 बैटरी होती है और हर बैटरी में 6 गन होती है यानी एक रेजिमेंट 18 गन होती है।

मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर रेजिमेंट में भी इजाफा

आर्टिलरी को किंग ऑफ़ द बैटल फ़ील्ड भी कहा जाता है, यानी जिसकी तोपें जितनी जानदार और ताकतवर होगी जंग में उसी का पलड़ा हमेशा भारी रहेगा। लंबी दूरी तक मार करने वाले रॉकेट लॉन्चर भी भारतीय सेना की आर्टिलरी का हिस्सा है, जिसमें रूस से ली गई स्मर्च मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर की 3 रेजिमेंट, ग्रैड की 5 रेजिमेंट और स्वदेशी पिनाका की 4 रेजिमेंट शामिल है। वहीं आत्मनिर्भर भारत के तहत अब स्वदेशी पिनाका रेजिमेंट की संख्या भी बढ़ने वाली है।

सेना के सूत्रों के मुताबिक़, आने वाले 4 से 5 साल में पिनाका की 10 रेजिमेंट भारतीय सेना के पास होगी, यानी पिनाका की 6 और रेजिमेंट सेना को मिल जाएगी। ये रेजिमेंट अपग्रेटेड होंगी, जिससे अलग-अलग तरह के एम्युनिशन आसानी से दागे जा सकेंगे.

रक्षा अधिग्रहण समिति पिनाका वेपन सिस्टम के लिए बढ़ी हुई रेंज यानी एक्सटेंडेड रेंज गाइडेड रॉकेट जिसकी मारक क्षमता 75 किलोमीटर है, उसे लेने की मंजूरी दे चुकी है। यानी भारतीय सेना ज्यादा दूरी तक सटीक निशाना लगा सकेगी।

प्रातिक्रिया दे