चुनाव आयोग ही तय करेगा ‘असली’ शिवसेना कौन

  • उद्धव गुट को सुप्रीम कोर्ट से झटका, ईसी की कार्रवाई पर रोक से इनकार
  • शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को जल्द एक्शन लेने लिखा पत्र

-महाराष्ट्र में शिवसेना में हो चुकी है दो फाड़

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निर्वाचन आयोग में पार्टी पर प्रभुत्व, नाम और निशान के अधिकार को लेकर जारी प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। कोर्ट का यह फैसला उद्धव गुट के लिए आफत तो शिंदे गुट के लिए राहत जैसा है। कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग सिंबल मामले पर सुनवाई करने को स्वतंत्र है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव आयोग की कार्रवाई पर अब कोई रोक नहीं होगी। इसी के साथ उद्धव ठाकरे ग्रुप की अर्जी खारिज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद अब एकनाथ शिंदे गुट ने चुनाव आयोग को पत्र लिखा है। इस पत्र में सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का जिक्र किया गया है। शिंदे गुट चाहता है कि अब चुनाव आयोग जल्द इस मामले में एक्शन ले। बता दें कि शिवसेना पार्टी को लेकर उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे आमने-सामने हैं। यह सब तब शुरू हुआ था, जब कुछ महीनों पहले एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना पार्टी के कई विधायक बागी हो गए थे। इसी वजह से उद्धव ठाकरे को सीएम पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। लंबे सियासी ड्रामे के बाद इन बागी विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।

-ईडब्लूएस कोटा पर फैसला सुरक्षित, सवर्णों के आरक्षण को दी गई है चुनौती

नई दिल्ली। शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में ऊंची जाति में आर्थिक तौर पर कमजोर (ईडब्लूएस) सवर्णों को आरक्षण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुरक्षित रख लिया है। सर्वोच्च अदालत में उच्च शिक्षा में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को आरक्षण की संवैधानिक वैधता और वित्तीय स्थितियों को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। अदालत ने उच्च शिक्षा में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण की संवैधानिक वैधता और वित्तीय स्थितियों के आधार पर सार्वजनिक रोजगार के मुद्दों से संबंधित मामले में आदेश सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट में एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स में एडमिशन और सरकारी नौकरियों में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण देने के प्रावधान करने वाले संविधान के 103वें संशोंधन की वैधता को चुनौती दी गई थी।

-नोटबंदी की होगी सुनवाई, पांच जजों की बेंच का गठन

साल 2016 में हुई नोटबंदी के 6 साल बाद अब सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इसकी वैधता पर सुनवाई करेगी। इसके लिए जस्टिस एस.अब्दुल नजीर की अध्यक्षता में 5 जजों की बेंच का गठन किया गया है। 28 सितंबर को बेंच मामले की विस्तृत सुनवाई की तारीख तय कर सकती है। 16 दिसंबर 2016 को मामला संविधान पीठ को सौंपा गया था लेकिन, बेंच का गठन अब तक नहीं हो पाया था। मामले की सुनवाई के लिए जिस बेंच का गठन किया गया है, उसके सदस्य- जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, बी आर. गवई, ए. एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यम और बी. वी नागरत्ना.हैं। 8 नवंबर 2016 को केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोट वापस लिए थे। इसके खिलाफ कई याचिकाएं दाखिल की गई थी।

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