-मद्रास हाईकोर्ट का अहम फैसला
चेन्नई। महिला ने रिवीजन पटीशन दायर कर अपने लिए 1 लाख प्रतिमाह के मेंटीनेंस की मांग की थी। उसने अपने 35 साल के बीमार बेटे के इलाज के लिए 5.80 करोड़ रुपये की डिमांड की थी। पारिवारिक विवाद के मामले में मद्रास हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि पत्नी अगर अपनी मर्जी से अलग रहने लग जाती है और वो तलाक के समय गुजारा भत्ते की मांग नहीं करती तो बाद में मेंटीनेंस को लेकर वो कोई दावा नहीं कर सकती। हाईकोर्ट के जज भारथा चक्रवर्ती ने महिला की रिवीजन पटीशन को खारिज करते हुए कहा कि वो मेंटीनेंस की हकदार नहीं है।
महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ रिवीजन पटीशन हाईकोर्ट में दायर की थीं। उसने अपने लिए 1 लाख प्रतिमाह के मेंटीनेंस की मांग की थी। इसके साथ उसने अपने 35 साल के बीमार बेटे के इलाज के लिए 5.80 करोड़ रुपये की डिमांड की थी। उसका कहना था कि फैमिली कोर्ट ने उसके गुजारा भत्ते की याचिका को खारिज कर दिया है। उसकी अपील थी कि हाईकोर्ट दखल देकर उसे गुजारा भत्ता देने के लिए आदेश जारी करे।
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जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कार्रवाई संबंधी याचिका पर केंद्र को नोटिस
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने ‘डरा-धमकाकर और ‘तोहफे एवं आर्थिक लाभ देकर कपटपूर्वक कराए जाने वाले धर्मांतरण पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर केंद्र एवं अन्य से 14 नवंबर तक जवाब मांगा। यलमूर्ति एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने शुक्रवार को भारत संघ, गृह मंत्रालय और विधि एवं न्याय मंत्रालय को नोटिस जारी किए। शीर्ष अदालत ने पक्षकारों से 14 नवंबर तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा। शीर्ष अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ‘डरा-धमकाकर, उपहार और आर्थिक लाभ की पेशकश करके छल से बहकाकर कपटपूर्ण तरीके से कराए जाने वाले धर्मांतरण पर रोक लगाने का केंद्र और राज्यों को निर्देश देने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया, ‘इससे नागरिकों को बहुत नुकसान होता है, क्योंकि एक भी ऐसा जिला नहीं है, जहां हर संभव माध्यम का इस्तेमाल करके धर्मांतरण नहीं कराया जाता हो।
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