—96 साल की उम्र में महारानी का निधन
—2000 वीवीआईपी दुनियाभर से पहुंचे थे
—2 मिनट का मौन पूरे ब्रिटेन में रखा गया
–150 सैनिकों ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर
—125 सिनेमा हॉल में अंतिम संस्कार का लाइव
लंदन। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को अंतिम विदाई देने के लिए पूरा ब्रिटेन उमड़ पड़ा। यहां आम जिंदगी थम गई है। पार्लियामेंट क्वायर से विक्टोरिया स्ट्रीट तक जहां तक देखो, वहां लोग नजर आए। ब्रिटेन के लोग सबसे ज्यादा शासन करने वाली महारानी की आखिरी झलक पाने के लिए इकट्ठा हुए। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के ताबूत को राजकीय अंतिम संस्कार के लिए जैसे ही वेस्टमिंस्टर एबे के भीतर ले जाया गया, बिग बेन थम गई और हवा में प्रार्थनाओं के स्वर गूंजने लगे। अंतिम संस्कार में शामिल लोगों में दुनियाभर के करीब 2000 मेहमान जुटे हैं, जिनमें भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू और विदेश सचिव विनय क्वात्रा भाग लिया। महाराजा चार्ल्स तृतीय की अगुवाई में ताबूत यात्रा 11वीं सदी के ऐतिहासिक एबे पहुंची तो दिवंगत महारानी के नाम पर बने एलिजाबेथ टॉवर में लगी बिग बेन में हर एक एक मिनट बाद 96 घंटा बजाया जा रहा था, जो महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की जीवन काल को श्रद्धांजलि का प्रतीक था। प्रार्थना सभा के आयोजन में शामिल वेस्टमिंस्टर के डीन वेरी रेवरेंड डॉ डेविड होयले ने कहा, जहां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय की शादी हुई थी और उन्हें ताज पहनाया गया था, वहां देश और दुनिया से बड़ी संख्या में लोग दिवंगत महारानी को श्रद्धांजलि देने जुटे। महारानी की इस अंतिम यात्रा में उनके बेटे और महाराजा चार्ल्स पीछे चल रहे थे। महाराजा के साथ उनके बेटे प्रिंस विलियम और प्रिंस हैरी तथा भाई-बहन प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड थे। इससे पहले ताबूत को पिछले बुधवार से वेस्टमिंस्टर हॉल में अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था। इस अंतिम यात्रा में साथ चलने वाले राजपरिवार के सबसे कम उम्र के सदस्यों में 9 वर्षीय प्रिंस जॉर्ज तथा सात साल की प्रिंसेस शेरलोट थीं। दोनों अपने माता-पिता प्रिंस और प्रिंसेस ऑफ वेल्स के बीच में चल रहे थे। देशभर में दो मिनट के मौन के साथ महारानी की प्रार्थना सभा समाप्त हुई और अंतिम संस्कार के पहले भाग के रूप में राष्ट्रगान ‘गॉड सेव द किंग’ की धुन बजाई गई।
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70 साल तक राजगद्दीपर रहीं आसीन
70 साल तक राजगद्दी पर आसीन रहीं महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को बाल्मोरल कैसल स्थित उनके आवास में निधन हो गया था। वह 96 वर्ष की थीं। बड़ी संख्या में लोग लंदन में सर्द रात की परवाह किए बगैर संसद के वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘लाइंग इन स्टेट’ (अंतिम दर्शन के लिए रखे) में रखे महारानी के ताबूत के अंतिम दर्शन करने के लिए पहुंचे।
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दर्शन कर कहा- यह मेरे जीवन का सबसे अहम क्षण
महारानी के ताबूत के दर्शन करने वाले आखिरी व्यक्ति ने कहा कि यह ‘मेरे जीवन का सबसे अहम क्षण’ रहेगा। अंतिम संस्कार से पहले शाही परिवार ने महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का सोमवार को अंतिम चित्र जारी किया। इसमें वह हल्के नीले रंग की पोशाक पहने अपने चिर परिचित अंदाज में मुस्कुराती नजर आ रही हैं।
वेस्टमिंस्टर ऐबे में राजकीय सम्मान की रस्में
इसके पहले, रॉयल गार्ड्स की परेड के साथ क्वीन का कॉफिन यानी ताबूत वेस्टमिंस्टर हॉल से वेस्टमिंस्टर ऐबे लाया गया। शाही परिवार के लोग गन कैरीज (तोपगाड़ी) के पीछे चल रहे थे। अंतिम संस्कार की तमाम रस्में डीन ऑफ वेस्टमिंस्टर डेविड होयले ने पूरी कराईं। उनके साथ केंटरबरी के आर्कबिशप जस्टिन वेल्बी मौजूद रहे। शाही रीति-रिवाजों के मुताबिक क्वीन के निधन पर शोक जताया गया, प्रेयर्स हुईं। प्राइम मिनिस्टर लिज ट्रस ने छोटा भाषण दिया।
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भारत की राष्ट्रपति मुर्मू ने दी श्रद्धांजलि
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दिवंगत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के अंतिम विदाई समारोह में शामिल होने के लिए ब्रिटेन में हैं। वह 17 सितंबर को ब्रिटेन पहुंच गई थीं। दिवंगत रानी के ताबूत को लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में रखा गया था। इससे पहले राष्ट्रपति मुर्मू ने दिवंगत महारानी के अंतिम दर्शन किए और भारत की ओर से उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने एलिजाबेथ द्वितीय की शोक पुस्तिका में भी संदेश लिखा।
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