- इसकी एक डोज में ही पशु डेढ़ से दो साल तक सुरक्षित रहेगा
हिसार (हरियाणा) लंपी पॉक्स की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान (आईसीएआर) हिसार (हरियाणा) की तरफ से बनाई गई पहली स्वदेशी वैक्सीन लंपी प्रोवैक आईएनडी के व्यावसायिक उत्पादन का अधिकार बंगलूरू की कंपनी बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड को मिल गया है। कंपनी के अफसरों व आईसीएआर के निदेशक की मौजूदगी में दिल्ली में इसके लिए एमओयू पर हस्ताक्षर भी हो गया है। अब कंपनी के अफसर सोमवार को हिसार आकर वैक्सीन उत्पादन की विधियों का एक सप्ताह का प्रशिक्षण लेंगे। इसके उपरांत कंपनी वैक्सीन का उत्पादन शुरू करेगी।
गोवंश में फैली बीमारी एलएसडी (लंपी पॉक्स डिजीज) की रोकथाम के लिए राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान संस्थान ने लंपी प्रोवैक आईएनडी नाम से स्वेदशी वैक्सीन बनाई थी। इस संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नवीन की टीम ने दो वर्ष तक अनुसंधान के बाद इस पूर्णत: सुरक्षित व शत प्रतिशत प्रभावी वैक्सीन को बनाया था। बीते अगस्त में इसको राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान परिषद ने मंजूरी देते हुए व्यावसायिक उत्पादन के लिए टेंडर जारी किया था।
आईसीएआर के निदेशक डॉ. यशपाल और वैक्सीन बनाने वाले डॉ. नवीन ने बताया कि बंगलूरू की बायोटेक इंडिया लिमिटेड व हिसार के वैक्सीन अनुसंधान और हरियाणा वेटनरी वैक्सीन इंस्टीट्यूट समेत पांच जगहों से आवेदन मिला था। बंगलूरू की बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड ने 81 लाख रुपये जमाकर पहला अधिकार प्राप्त कर लिया।
तीन सप्ताह में विकसित होगी एंटी बॉडी
लंपी की रोकथाम के लिए बनी इस वैक्सीन लंपी प्रोवैक आईएनडी की खासियत यह है कि इसकी एक डोज में ही पशु डेढ़ से दो साल तक सुरक्षित रहता है। डोज लगने के पहले सप्ताह में ही उसके अंदर एंटी बॉडी का विकास होने लगता है और तीन सप्ताह के अंदर एंटी बॉडी पूरी तरह से सक्रिय हो जाती है। इस वैक्सीन को खास तौर पर लंपी पॉक्स के लिए ही बनाया गया है, लिहाजा यह शत प्रतिशत असरकारक है। इस वक्त गोवंश को जो वैक्सीन लगाई जा रही है वह गोट पॉक्स (बकरी व भेड़ के लिए) की वैक्सीन है, जो गोवंश में करीब 70 प्रतिशत तक ही असरकारक है।

