महारानी को श्रद्धांजलि देने उमड़ा जनसैलाब

स्कॉट लैंड से महारानी के ताबूत को लंदन में मंगलवार को आरएएफ नॉर्थोल्ट में क्वींस कलर स्क्वाड्रन द्वारा एक विमान से लाया गया। इसके बाद क्वीन का ताबूत शाही रथ में बकिंघम पैलेस ले जाया गया। पैलेस के पास वाले पार्क में हजारों लोग पहले ही एकत्र थे। वे फूलों और अपने लिखित संदेशों के जरिये महारानी को श्रद्धांजलि दे रहे थे। महारानी के प्रशासनिक मुख्यालय और शाही आवास बकिंघम पैलेस से, दिवंगत महारानी के ताबूत को तोप गाड़ी पर रखकर संसद भवन ले जाया जाएगा जहां महारानी की पार्थिव देह चार दिन तक रखी जाएगी। इस तोप गाड़ी को घोड़ें खींचेंगे। महारानी के आधिकारिक लंदन आवास बकिंघम पैलेस से संसद के ऐतिहासिक वेस्टमिंस्टर हॉल तक की ताबूत यात्रा के लिए महल के बाहर बड़ी संख्या में शोकाकुल लोग जमा हैं। महाराजा चार्ल्स तृतीय और शाही परिवार के अन्य सदस्य ताबूत गाड़ी के पीछे चलेंगे।

महारानी का ताबूत अंतिम यात्रा के लिए बकिंघम पैलेस से रवाना

लंदन। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का ताबूत बुधवार को अंतिम यात्रा पर लंदन के बकिंघम पैलेस से संसद भवन के लिए निकला जहां उसे वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘लाइंग-इन-स्टेट’ में रखा जाएगा और उसके बाद सोमवार को वेस्टमिंस्टर एबे में महारानी का राजकीय तरीके से अंतिम संस्कार किया जाएगा। ताबूत को महाराजा की ट्रूप रॉयल हॉर्स आर्टिलरी की घोड़ों वाली तोपगाड़ी में रखा गया और स्थानीय समयानुसार अपराह्न 2:22 बजे पैलेस ऑफ वेस्टमिंस्टर तक का करीब दो किलोमीटर का रस्मी जुलूस शुरू हुआ। इसमें महाराजा चार्ल्स तृतीय और उनके बेटे प्रिंस विलियम तथा प्रिंस हैरी भी शामिल हुए और ताबूत के साथ में चलते रहे। इस दौरान हाइड पार्क और बिग बेन से तोपों की सलामी दी गयी। महारानी की अन्य संतान प्रिंसेस एनी और प्रिंस एंड्रयू तथा प्रिंस एडवर्ड भी तोपगाड़ी के पीछे चल रहे थे। टेम्स नदी के पास से गुजरने वाले इस जुलूस के मार्ग में हजारों लोग कतारबद्ध खड़े थे।

वेस्टमिंस्टर हॉल में कैंटरबरी के आर्चबिशप मोस्ट रेवरेंड जस्टिन वेल्बी ताबूत को लेंगे और एक संक्षिप्त प्रार्थना सेवा की जाएगी। इसमें वेस्टमिंस्टर के डीन, वैरी रेवरेंड डॉ डेविड हॉयले भी शामिल होंगे और साथ ही शाही परिवार के अन्य सदस्य रहेंगे। इसके बाद ताबूत को एक ऊंचे प्लेटफॉर्म पर रखा जाएगा।

अंतिम संस्कार से पहले ‘लाइंग-इन-स्टेट’ चरण शुरू होगा और अनेक अधिकारी निगरानी रखेंगे। इस दौरान महारानी के ताबूत को चार दिन के लिए इस अवस्था में रखा जाएगा और लोग उनकी अंतिम झलक पा सकेंगे। वेस्टमिंस्टर हॉल दिवंगत महारानी की एक झलक पाने के लिए सोमवार शाम से इंतजार में खड़े हजारों लोगों के लिए स्थानीय समयानुसार शाम पांच बजे खुलेगा। ताबूत यात्रा शुरू होने से कुछ घंटे पहले ही बकिंघम पैलेस के बाहर ‘द मॉल’ पर और टेम्स नदी के किनारे हजारों लोग जुटे थे। यह भीड़ महारानी के प्रति सम्मान और उनके निधन पर देशभर में फैली शोक की लहर की ताजा झलक है। महारानी का बृहस्पतिवार को उनके बाल्मोरल स्थित ग्रीष्मकालीन आवास पर निधन हो गया। वह 96 वर्ष की थीं। महारानी के अंतिम संस्कार से जुड़ी कुछ जिम्मेदारियां संभाल रहे मेजर जनरल क्रिस्टोफर घीका ने कहा, ‘‘यह बहुत दुखद दिन है, लेकिन यह महारानी के लिए हमारा कर्तव्य अदा करने का आखिरी मौका है, वहीं महाराजा के लिए कुछ करने का हमारा पहला अवसर है। हमारे लिए यह बहुत सम्मान की बात है।” भाषा वैभव पवनेश

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ब्रिटिश महारानी के अंतिम संस्कार में शामिल होंगी राष्ट्रपति मुर्मू

-दुनियाभर के 500 नेता भी आएंगे इस आयोजन में

  • 17-19 सितंबर को होगा क्वीन एलिजाबेथ का फ्यूनरल

नई दिल्ली। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का राजकीय अंतिम संस्कार 17-19 सितंबर 2022 को होने जा रहा है। वहीं भारत की तरफ से शामिल होने और भारत सरकार की ओर से संवेदना व्यक्त करने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लंदन जाएंगी। इसकी जानकारी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को दी। बता दें महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का आठ सितंबर को निधन हो गया था और भारत ने रविवार को राष्ट्रीय शोक भी व्यक्त किया था। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर राष्ट्रपति मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। इसी के साथ विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 12 सितंबर को यहां ब्रिटिश उच्चायोग का दौरा किया और भारत की ओर से संवेदना व्यक्त की।

कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष होंगे शामिल

राजा-रानियों, राष्ट्राध्यक्षों, सरकार के प्रमुखों सहित लगभग 500 विश्व नेताओं के साथ-साथ विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के अंतिम संस्कार में शामिल होने की उम्मीद है, जो हाल के इतिहास में ब्रिटेन की सबसे महत्वपूर्ण राजनयिक घटनाओं में से एक है। महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने तीन बार भारत की यात्रा की। पहली बार दिल्ली के रामलीला मैदान में 1961 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का भव्य स्वागत किया गया था। यहां उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में बड़ी सभा को संबोधित किया था। उन्होंने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक परिसर का औपचारिक उद्घाटन भी किया था। वे 1983 और 1997 में भी भारत आई थीं।


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