भारत के चावल बैन से एशियाई मार्केट ठप, दुनिया भर में बढ़ी महंगाई

— गेहूं के बाद चावल के एक्सपोर्ट पर लगाया गया है प्रतिबंध

  • एशियाई बाजारों में चावल के दाम बढ़े 5 फीसदी, व्यापार ठप
  • वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार ने बढ़ा दिए हैं रेट

-घरेलू बाजार में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने लिया फैसला

  • भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को करता है चावल निर्यात

नई दिल्ली। भारत ने बीते सप्ताह चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लगाने का ऐलान किया था, जिसका असर अब पूरी दुनिया और खासतौर पर एशियाई बाजार में देखने को मिल रहा है। बाजार में चावल की कीमतों में तेजी से इजाफा हो रहा है। भारत के फैसले के 4 दिनों के अंदर ही एशिया के बाजारों में चावल के दाम 4 से 5 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इससे एशिया में चावल का व्यापार लगभग ठप पड़ गया है क्योंकि भारतीय व्यापारी अब नए समझौतों पर दस्तखत नहीं कर रहे हैं। नतीजतन खरीददार वियतनाम, थाईलैंड और म्यांमार जैसे विकल्प खोज रहे हैं। लेकिन इन देशों के व्यापारियों ने मौके को भुनाने के कारण दाम बढ़ा दिए हैं। दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत ने पिछले हफ्ते ही टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने का ऐलान किया था। इसके साथ ही कई अन्य किस्मों पर निर्यात कर 20 प्रतिशत तक लगा दिया गया। औसत से कम मॉनसून बारिश के कारण स्थानीय बाजारों में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम कसने के लिए यह फैसला किया गया है।

150 देशों को निर्यात

‘ चावल दुनिया के तीन अरब लोगों का मुख्य भोजन है। डीलरों का कहना है कि पिछले चार दिन में, यानी भारत के निर्यात पर रोक के फैसले के बाद से कीमतों में 20 डॉलर यानी लगभग डेढ़ हजार रुपये प्रति टन की वृद्धि हो चुकी है। भारत दुनिया के 150 से ज्यादा देशों को चावल का निर्यात करता है।

कुल निर्यात का 40 फीसदी भारत से

यूरोप और अमेरिका के कई इलाके ऐतिहासिक सूखे से जूझ रहे हैं और यूक्रेन युद्ध का असर भी विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव बढ़ाए हुए हैं। भारत के सबसे बड़े चावल निर्यातक सत्यम बालाजी के निदेशक हिमांशु अग्रवाल कहते हैं, पूरी दुनिया के कुल चावल निर्यात का 40 फीसदी भारत से होता है। इसलिए कोई भी इस बात को लेकर सुनिश्चित नहीं है कि आने वाले समय में दाम कितने बढ़ेंगे।2007 में भी भारत ने चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था। तब इसके दाम एक हजार डॉलर प्रति टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे।

बंदरगाहों पर लदाई बंद

भारत सरकार के फैसले के बाद देश के प्रमुख बंदरगाहों पर जहाजों में चावल की लदाई का काम बंद हो गया है और करीब दस लाख टन चावल वहां पड़ा हुआ है। खरीददार सरकार द्वारा लगाए गए नए 20 प्रतिशत कर को देने से इनकार कर रहे हैं। अग्रवाल कहते हैं कि बढ़े हुए कर के कारण आने वाले महीनों में भारत का निर्यात 25 फीसदी तक गिर सकता है। वह कहते हैं कि सरकार को कम से कम उन समझौतों के लिए राहत देनी चाहिए जो आज से पहले हो चुके हैं और बंदरगाहों पर चावल लादा जा रहा है।


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