एक मुलाकात से चढ़ा सियासी पारा, क्या कांग्रेस में होने वाली है बड़ी टूट? जानें बदलते समीकरण

महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी हलचल तेज हो गई है। शुक्रवार को महाराष्ट्र के दो बार के मुख्यमंत्री और कांग्रेस विधायक अशोक चव्हाण ने भाजपा नेता और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की। बीते कुछ दिनों में दोनों नेता कई बार मिल चुके हैं। कयास लगाए जाने लगे हैं कि महाराष्ट्र में अशोक चव्हाण कांग्रेस को बड़ा झटका दे सकते हैं। चव्हाण के साथ कई अन्य कांग्रेस विधायकों के भाजपा में शामिल होने की अटकलें हैं।

इस सियासी उठापटक के बीच सोमवार को गृह मंत्री अमित शाह खुद मुंबई पहुंच रहे हैं। कहा जा रहा है इस दौरान चव्हाण की अमित शाह से मुलाकात हो सकती है। अशोक चव्हाण ही नहीं पृथ्वीराज चव्हाण, प्रणिति शिंदे, धीरज देशमुख जैसे विधायक भी कांग्रेस से नराज बताए जा रहे हैं। इन सभी के भाजपा के संपर्क में होने की चर्चाएं हैं। आइए जानते हैं क्यों ऐसे कयास लग रहे हैं? इसका क्या असर होगा?…

क्या सच में कांग्रेस में फूट पड़ सकती है?
ये समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने दो बिंदुओं में इसे समझाया। ये भी बताया कि अशोक चव्हाण जैसे कांग्रेसी नेता अगर भाजपा में शामिल होते हैं तो भाजपा को इसका कैसे फायदा मिलेगा? कांग्रेस को किस तरह का नुकसान उठाना पड़ सकता है?

  1. विधायकों की पार्टी नेतृत्व से नाराजगी: पिछले कई महीने से महाराष्ट्र कांग्रेस में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जब राज्य में उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब कांग्रेस विधायक लगातार आरोप लगाते रहे कि उनके क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। कांग्रेस विधायकों के क्षेत्र का विकास नहीं कराया जा रहा है। कांग्रेस विधायक विकास कार्यों के लिए फंड न जारी करने के आरोप भी लगते थे। इसको लेकर विधायकों ने सोनिया गांधी से भी मुलाकात कर शिकायत की थी। हालांकि, कोई सुनवाई नहीं हुई। कांग्रेस नेतृत्व के रवैये से विधायकों में नाराजगी थी।
  2. खुद के भविष्य को लेकर चिंतित : प्रमोद सिंह कहते हैं कि कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक के नेता और कार्यकर्ता असमंजस में हैं। हर किसी को अब लगने लगा है कि कांग्रेस में उनका भविष्य ठीक नहीं है। लगातार एक के बाद एक चुनावों में मिलती हार ने नेताओं के चिंता को और बल दिया। यही कारण है कि महाराष्ट्र के कांग्रेस विधायक भी अपने बेहतर राजनीतिक भविष्य के लिए विकल्प तलाश कर रहे हैं। भाजपा से मजबूत विकल्प उन्हें फिलहाल नहीं दिख रहा है।

किन विधायकों के पाला बदलने के कयास लग रहे हैं?

जून में हुए विधान परिषद् चुनावों में कांग्रेस के सात विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की थी। बताया जाता है कि इन सभी विधायकों ने भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में वोट डाला था।
जुलाई में जब उद्धव ठाकरे की जगह एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने तो फ्लोर टेस्ट हुआ। इस दौरान भी कांग्रेस के 10 विधायक गायब रहे थे। कांग्रेस के जिन 10 विधायकों ने फ्लोर टेस्ट में हिस्सा नहीं लिया, उनमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, जितेश अंतापुरकर, जीशान सिद्दीकी, प्रणति शिंदे, विजय वडेट्टीवार, धीरज देशमुख, कुणाल पाटिल, राजू आवाले, मोहनराव हम्बर्दे और शिरीष चौधरी शामिल हैं। 
अशोक चव्हाण खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। प्रणति शिंदे पूर्व मुख्यमंत्री सुशील शिंदे की बेटी हैं। वोटिंग के दौरान विधानसभा से गैर हाजिर रहने वालों में तीसरा बड़ा नाम धीरज देशमुख का है। धीरज देशमुख महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे हैं।  इनके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ बागी रुख अपनाए हुए हैं।  

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