कैसी थी छत्रपति शिवाजी की नौसेना? अब तक भारतीय नौसेना में क्या-क्या बदला, पढ़ें पूरी कहानी

आज भारतीय नौसेना को नया निशान यानी प्रतीक चिह्न मिल गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका अनावरण किया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने देश के पहले स्वदेशी एयरक्रॉफ्ट करियर आईएनएस विक्रांत को भी नौसेना को समर्पित किया। कुल मिलाकर आज का दिन भारतीय नौसेना के लिए बड़ा बदलाव वाला दिन है।

ऐसे में आज हम भारतीय नौसेना के इतिहास पर नजर डालेंगे। आखिर कैसे भारत में नौसेना का विस्तार हुआ? कब-कब इसमें बदलाव हुआ? कहां से इसकी शुरुआत हुई? छत्रपति शिवाजी की नौसेना कैसी थी? आइए जानते हैं….

इतिहास से शुरुआत करते हैं
यूं तो भारतीय नौसेना का इतिहास आठ हजार साल से भी पुराना है। इसका उल्लेख वेदों में भी मिलता है। दुनिया की पहली ज्वार गोदी का निर्माण हड़प्पा सभ्यता के दौरान 2300 ई. पू. के आसपास लोथल में माना जाता है, जो इस समय गुजरात के तट पर मौजूद मंगरोल बंदरगाह के निकट है।

वेदों में भी है जिक्र
थोड़ा और पहले चलें तो 90 हजार साल पुराने ऋग्वेद में भी नौसेना का जिक्र है। भगवान वरुण के रूप में। भगवान वरुण को समुद्र और नदियों का देवता माना जाता है। इंडियन नेवी की वेबसाइट के अनुसार, आदिकाल में जहाजों द्वारा इस्तेमाल किए गए सागर के मार्गों के ज्ञान का वर्णव भी वेद में है। इसमें सौ चप्पुओं से चलने वाले जहाज अन्य राज्यों को नियंत्रण में लाने में इस्तेमाल किए गए। इसमें प्लेव का भी जिक्र है। जो तूफान आने पर पोत को स्थिर रखने का काम करता था। आज के जमाने में इसे आधुनिक स्टेबलाइजर्स कहा जा सकता है। इसी तरह, अथर्वेद में नौकाओं का उल्लेख है जो विशाल, अच्छी तरह से निर्मित और आरामदायक थे।

सिकंदर के राज में नौसेना
समय के साथ-साथ समुद्री सेना बदलती रही। उत्तर-पश्चिम भारत में सिकंदर के राज में नौसेना में फिर बदलाव दिखा। सिंकदर ने पाटला पर एक बंदरगाह का निर्माण किया, जहां अरब सागर में प्रवेश करने से पहले सिंधु नदी दो शाखाओं में बंट जाती है। तब सिकंदर ने सिंध में निर्मित जहाज को भी अपने बेड़े में शामिल किया।

13वीं शताब्दी में गिरावट हुई

भारतीय समुद्री शक्ति की गिरावट तेरहवीं शताब्दी में शुरू हुई। जब पुर्तगाली भारत में आए। बाद में व्यापार के लिए लाइसेंस की एक प्रणाली लगाई गई और सभी एशियाई जहाजों पर इन्हें लागू किया गया। सन 1529 में बॉम्बे हार्बर के थाना बंडोरा, और करंजा में नौसेना नियुक्ति करने पर सहमति बनी। 1531 में नौसेना की एक विशाल समीक्षा आयोजित की गई थी। तब पुर्तगालियों ने 1534 में बंदरगाह का पूरा नियंत्रण ले लिया और अंत में इसे 1662 में चार्ल्स द्वितीय और ब्रेगेंजा के इंफाना कैथरीन के बीच शादी की एक संधि के तहत ब्रिटिशर्स को सौंप दिया।

प्रातिक्रिया दे