ट्विन टावर को उड़ाने में 3 अग्नि, 12 ब्रह्मोस या 4 पृथ्वी मिसाइलों के बराबर विस्फोटक का इस्तेमाल

ट्विन टावर के जमींदोज होने की कहानी…

50 से ज्यादा फायर टेंडर की गाड़ियां सफाई में जुटीं

करीब 5 हजार लोगों को दूसरी जगहों पर किया गया था शिफ्ट

नईदिल्ली। सुपरटेक ट्विन टावर आखिरकार जमींदोज हो गया। पूरे देश की नजरें इस पर लगी थीं। इस बिल्डिंग को गिराने में मिसाइलों की ताकत के जितना विस्फोटक जहां इस्तेमाल हुआ वहीं टावर गिरने के बाद मलबे का ढेर , 5 मंजिला इमारत के बराबर करीब 50 से 60 फीट की ऊंचाई तक फैला नजर आया। पेड़ों और इमारतों से धूल हटाने के लिए 50 से ज्यादा फायर टेंडर्स को लगाया गया है…

ट्विन टावर को गिराने के लिए 3500 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया। इन दो टावर को गिराने के लिए जितने विस्फोटक लगे हैं उसकी मात्रा अग्वि-वी मिसाइल के वारहेड या फिर ब्रह्मोस मिसाइल के या फिर पृथ्वी मिसाइल के चार वारहेड के बराबर था। कुतुब मीनार से ऊंचे बन टॉवर का निर्माण नोएडा के सेक्टर 93 ए में किया गया था। टावर्स को गिराने के लिए करीब 20 करोड़ रुपए का खर्चा आया है। दोनों टॉवर की ऊंचाई 100 मीटर से थोड़ी अधिक थी।

500 से ज्यादा मजदूर जुटे

मलबे को साफ करने का काम भी शुरू कर दिया गया है। 50 से ज्यादा फायर ब्रिगेड के वाहन और 100 से ज्यादा पानी के टैंकर इस काम में लगे हुए हैं। 500 से ज्यादा मजदूर भी जी जान से इस काम में जुटे हुए हैं। टावर की जगह 50 से 60 फीट की ऊंचाई में मलबा बिखरा पड़ा हुआ है। आसपास की कॉलोनियों और बिल्डिंगों में धूल की मोटी परत चढ़ी हुई है। इमारतों को जिन पर्दों से ढका गया था वे सीमेंट की चादरों जैसी दिख रही हैं। ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न हुए 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा। बिल्डिंग गिराने से पहले प्रशासन ने 400 से 500 मीटर का एक एक्सक्लूजन जोन बनाया था जिसमें लोगों की एंट्री बैन थी. इस जोन में 560 पुलिसकर्मी, रिजर्व फोर्स के 100 जवान और 4 क्विक रिस्पॉन्स टीम सहित एनडीआरएफ की टीम तैनात है.

जबरदस्त तनाव में थे बटन दबाने वाले चेतन

कंपनी के ब्लास्टर चेतन दत्ता ने इन टावरों को गिराने के लिए रिमोट कंट्रोल का बटन दबाया था। सुपरटेक के ट्विन टावर्स गिराने का जिम्मा संभाल रही एडिफिस कंपनी के ब्लास्टर दत्ता ने बताया कि हम 5 लोग टावर से बस 70 मीटर की दूरी पर थे। मेरी टीम में 10 लोग थे जिनमें 7 विदेशी विशेषज्ञ थे। सायरन बजाने के आधे घंटे पहले से हम 5 लोग आपस में कोई बात नहीं कर पा रहे थे, बस एक दूसरे के चेहरे देख रहे थे। तनाव का आलम यह था धमाके से एक दिन पहले पूरी रात ढंग से नहीं सो पाए थे।

ये हैं ट्विन टावर का मालिक

ये ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी ने बनाया था। सुपरटेक कंपनी के मालिक का नाम आरके अरोड़ा है। आरके अरोड़ा ने 34 कंपनियां खड़ी की हैं। ये कंपनियां सिविल एविएशन, कंसलटेंसी, ब्रोकिंग, प्रिंटिंग, फिल्म्स, हाउसिंग फाइनेंस, कंस्ट्रक्शन तक के काम करती हैं। यही नहीं, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आरके अरोड़ा ने तो कब्रगाह बनाने तक की कंपनी भी खोली है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आरके अरोड़ा ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर सात दिसंबर 1995 को इस कंपनी की शुरुआत की थी। कंपनी ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना विकास प्राधिकरण क्षेत्र, मेरठ, दिल्ली-एनसीआर समेत देशभर के करीब 12 शहरों में रियल स्टेट के प्रोजेक्ट लॉन्च किए।

प्रातिक्रिया दे