बेईमानी का ट्विन टॉवर नेस्त-ओ-नाबूद… देखें वीडियो

-सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नोएडा में सुपरटेक के ट्विन टावर को गिराया गया

नई दिल्ली। नोएडा में सुपरटेक के दो ट्विन टावर को रविवार को पलक छपकते ही जमींदोज कर दिया गया। 30 और 32 मंजिला ये गगनचुंबी इमारतें बस चंद सेकेंड्स में ही मिट्टी में मिल गईं। बस एक बटन दबाते ही 60 सेकंड के अंदर पूरी बिल्डिंग धराशायी हो गई। 9000 से ज्यादा छेद कर 3700 किलो बारूद भर इस टावर को ध्वस्त कर दिया गया। इसके बाद तीन किलोमीटर इलाके तक धूल फैलती दिखी।

नोएडा के सेक्टर 93ए में स्थित सुपरटेक के ट्विन टावर को रविवार दोपहर गिरा दिया गया। अवैध रूप से निर्मित इस ढांचे को ध्वस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के साल भर बाद यह कार्रवाई की गई। लगभग 100 मीटर ऊंचे टावर को विस्फोट कर चंद सेकंड में धराशायी कर दिया गया। दिल्ली की प्रतिष्ठित कुतुब मीनार (73 मीटर) से ऊंचे गगनचुंबी ट्विन टावर को ‘वाटरफॉल इम्प्लोजन’ तकनीक की मदद से गिराया गया। टावर गिराए जाने के कुछ मिनट बाद आसपास की इमारतें सुरक्षित नजर आईं। विस्तृत सुरक्षा ऑडिट बाद में किए जाने की संभावना है। ट्विन टावर भारत में अब तक ध्वस्त की गई सबसे ऊंचे ढांचे थे। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से लगे नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से ‘एपेक्स’ (32 मंजिल) और ‘सियान’ (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे। इमारत गिराने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित किए गए थे।

5000 लोगों को पहले हटाया

दोनों टावर को गिराए जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया। इसके अलावा, करीब 3,000 वाहनों और बिल्ली तथा कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया। अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इसके 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा।

क्या था सुप्रीम कोर्ट का आदेश

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने अगस्त 2021 में ट्विन टावर को गिराने का आदेश दिया था। उच्चतम न्यायालय ने एमराल्ड कोर्ट सोसायटी परिसर के बीच इस निर्माण को नियमों का उल्लंघन बताया था। मुंबई की एडिफिस इंजीनियरिंग को 28 अगस्त को लगभग 100 मीटर ऊंचे ट्विन टावर को सुरक्षित रूप से गिराने का कार्य सौंपा गया था। कंपनी ने इस जोखिम भरे काम के लिए दक्षिण अफ्रीका की जेट डिमॉलिशन्स के साथ एक करार किया था। शीर्ष न्यायालय द्वारा केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई) को परियोजना के लिए तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में नियुक्त किया गया था।

आखिरी समय में एक व्यक्ति सोता मिला, उसे बाहर निकाला

नोएडा में ट्विन टावर गिराए जाने से पहले एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के एक ‘विशेष कार्यबल’ ने एक महीने पहले बहुत बारीकी से बनायी गयी योजना के तहत सोसाइटी के सभी लोगों को वहां से बाहर निकाल लिया था। हालांकि सुबह सात बजे से ठीक कुछ देर पहले एक सुरक्षागार्ड ने विशेष कार्यबल को एक टावर की ऊपरी मंजिल पर एक व्यक्ति के रह जाने की सूचना दी। विशेष कार्यबल के सदस्य नरेश केशवानी ने कहा, टावर खाली कराने की हमारी दोहरी पुष्टिकरण प्रक्रिया के चलते हमें इसके बारे में पता चला। जानकारी सामने आयी कि एक को छोड़कर सभी लोग टावर से चले गये। यह भी पता चला कि यह व्यक्ति अपार्टमेंट में गहरी नींद में सो रहा था और टावर खाली करने की समय सीमा की बात उसके दिमाग से निकल गयी थी। केशवानी ने कहा, किसी तरह सुरक्षाकर्मियों ने उसे जगाया और उसे महज सात बजे के आसपास टावर से बाहर लाया गया।

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