राजनीतिक गलियारों में शिवराज की विदाई की चर्चा! सिंधिया और कैलाश की मुलाकात ने आग में डाला घी

भाजपा को केंद्र की सत्ता की ओर ले जाने वाले राज्य मध्यप्रदेश की राजनीति में इन दिनों अजीब सी बेचैनी दिखाई पड़ रही है। हालांकि सतह पर सत्ताधारी भाजपा और शिवराज का राज शांत तो नजर आ रहा है, लेकिन अंदर ही अंदर चौहान की रवानगी की चर्चा शुरू हो गई है। सोमवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह राजधानी भोपाल में थे। मध्यप्रदेश में जोरों की बरसात हो रही थी। इसी बीच भोपाल से दिल्ली तक शिवराज की कुर्सी जाने की चर्चाएं शुरू हो गईं। जब कयासों ने जोर पकड़ा तो शाम तक तमाम सोशल मीडिया ग्रुप पर शिवराज को बदले जाने के मैसेज प्रसारित हो गए। हालांकि इन संदेशों की पुष्टि नहीं हुई। लेकिन तमाम राजनीतिक विशलेषक इन्हें अफवाह करार ही देते हैं, इसी बीच शाम को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इंदौर पहुंच गए। वे सीधे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचे और इस तरह के बयान दिए कि शिवराज को बदले जाने की अफवाहों को फिर से बल मिल गया।
फीका पड़ रहा शिवराज का जादू!

मध्यप्रदेश में सत्ता का चेहरा बदलने की बातें इससे पहले कभी इतनी प्रबलता से राजनीतिक गलियारों में नहीं गूंजी। दरअसल, शिवराज की ही कैबिनेट में ही गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा उनके प्रतिस्पर्धी माने जाते हैं। प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के समर्थक अपने ‘भाई साहब’ की ताजपोशी की शर्त लगा रहे हैं। सिंधिया ने कहा, ‘कैलाश विजयवर्गीय के मार्गदर्शन में आगे बढेंगे। मैं नए जोश के साथ काम करूंगा।’ तो मायने निकाले गए कि सिंधिया बतौर मुख्यमंत्री और विजयवर्गीय कहीं प्रदेश की जिम्मेदारी तो नहीं संभाल रहे। दरअसल, कैलाश हमेशा से शिवराज के समानांतर चलने वाली रेल की पटरी की तरह देखे गए हैं, जो कितनी ही दूर साथ चले लेकिन एक-दूसरे से अलग ही रहते है। बीते नगरीय निकाय चुनाव और उससे पहले हुए विधानसभा चुनाव में शिवराज का जादू फीका पड़ता नजर आया है। मामा के लल्छेदार भाषण भी अब मध्यप्रदेश की जनता को उबाने लगे हैं।

इसी बीच भाजपा संसदीय बोर्ड से शिवराज की विदाई हुई, तो तय मान लिया गया कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री बदला जा रहा है। कांग्रेस को तोड़कर भाजपा यहां सत्ता में आई है। सिंधिया पहले से ही कुर्सी के दावेदार माने जाते रहे हैं। कमलनाथ की कुर्सी गिराने में डॉ. नरोत्तम मिश्रा की भूमिका अहम रही, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। भाजपा वैसे भी नया चेहरा और नई पैकेजिंग की राजनीति करने में माहिर मानी जाती है। ऐसे में मध्यप्रदेश की सत्ता का रैपर बदलकर नया प्रोडक्ट पेश करना जनता को भी लुभा सकता है। भाजपा इससे पहले कर्नाटक, उत्तराखंड और गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस फॉर्मूले को अमल में ला चुकी है।
सिंधिया के बयान के मायने

सोमवार का दिन मध्यप्रदेश की राजनीति के लिए बेहद अहम रहा है। भाजपा की शीर्ष कमेटी संसदीय दल से शिवराज सिंह चौहान को हटाने के बाद सीएम चौहान और शाह की पहली बार मुलाकात हुई। गृहमंत्री शाह पूरे दिन भोपाल में रहे और रात को सीएम के घर डिनर में भी पहुंचे। इसी बीच भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से पश्चिम बंगाल का प्रभार लेने के बाद सिंधिया भी उनसे मिलने उनके घर पहुंचे।

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सोमवार दोपहर तीन बजे इंदौर पहुंचे। इस दौरान उनके बेटे महाआर्यमन भी साथ थे। वे सीधे कभी अपने धुर विरोधी रहे विजयवर्गीय के घर पहुंचे। सिंधिया ने कहा, ‘आज एक पारिवारिक वातावरण में कैलाश जी के यहां सामूहिक परिवार के रूप में आया हूं। मैं मानता हूं कि उनके मार्गदर्शन में पार्टी उन्हें आगे आम कार्यकर्ता के रूप में क्षेत्र और प्रदेश के विकास का बीड़ा सौंपेगी। उसे नई उमंग और नए जोश के साथ कार्य करूंगा। इसके लिए कैलाश विजयवर्गीय के साथ मिलकर इसे पूरा करेंगे। आज उज्जैन में महाकाल की सवारी के लिए इंदौर आया था, तो सोचा कि कैलाश जी से भी मिल लूं।’


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