अग्रवाल’ ऐसे बने ‘झुनझुनवाला’, 100 साल पहले दादा ने छोड़ा झुंझुनूं, पिता ने यह किया था

राजेश झुनझुनवाला का असल सरनेम अग्रवाल था।

राजेश झुनझुनवाला का असल सरनेम अग्रवाल था। – फोटो : सोशल मीडिया
देश के दिग्गज निवेशक राकेश झुनझुनवाला का आज सुबह निधन हो गया। उन्हें शेयर बाजार का बेताज बादशाह माना जाता था। 62 साल के राकेश को मिले झुनझुनवाला सरनेम के पीछे भी एक कहानी है और इसकी शुरुआत राजस्थान के झुंझुनूं जिले से होती है। आइए अब अपको बताते है कि राजेश ने अपने नाम के साथ झुनझुनवाला क्यों और कैसे जोड़ा।
सांकेतिक तस्वीर।

दरअसल, राजेश झुनझुनवाला का असल सरनेम अग्रवाल था। उनके दादा और परदादा झुंझुनूं जिले से 30 किमी दूर मलसीसर गांव के में रहते थे। 100 साल पहले उनके दादा मलसीसर छोड़कर अपने परिवार के साथ कानपुर चले गए थे। जहां उन्होंने सिल्वर का कारोबार शुरू किया और खूब नाम कमाया। इधर, राकेश झुनझुनवाला के पिता राधेश्याम इनकम टैक्स विभाग में अफसर बन गए और फिर मुंबई आकर रहने लगे।
हालांकि, झुंझुनूं छोड़ने के बाद भी राकेश के दादा और उनके पिता का लगाव वहां से कम नहीं हुआ। उनका वहां आना-जाना लगा रहा। इस दौरान राकेश पिता राधेश्याम ने अपने नाम के पीछे झुनझुनवाला सरनेम लगाया और वह राधेश्याम झुनझुनवाला कहलाने लगे। बाद में इस सरनेम को राकेश ने भी अपनाया और व अग्रवाल की जगह अपना सरनेम झुनझुनवाला लिखने लगे।
100 साल पहले दादा के गांव छोड़ने के बाद भी राकेश और उनके छोटे भाई राजेश झुनझुनवाला का लगाव झुंझुनूं से कम नहीं हुआ। उनका और उनके परिवार का यहां आना-जाना लगा रहा। झुनझुनवाला का परिवार अपनी कुलदेवी राणी सती के दर्शन के लिए यहां आता रहता था। करीब सात महीने पहले राकेश और उनके छोटे भाई का परिवार कुलदेवी के लिए दर्शन के लिए आया था। हालांकि, इस दौरान राकेश यहां नहीं आए थे। परिवार के लोग हर साल मंदिर की वार्षिक पूजा में शामिल होने के लिए यहां आते हैं। राकेश 2011 में अपने पिता राधेश्याम झुनझुनवाला के साथ झुंझुनूं आए थे। यहां उन्होंने 15 फरवरी 2011 को जेजेटी यूनिवर्सिटी की नींव रखी थी।

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